लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में सियासी पारा उफान पर है, उत्तराखंड में अपनी सियासी पकड़ बनाने के लिए जुटी कांग्रेस पार्टी को चुनाव से पहले एक और झटका लगा है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पत्नी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है.ED की छापेमारी के बाद पूर्व मंत्री की पत्नी ने छोड़ी पार्टी, कहा- ‘बुरे समय में नहीं दिया उनका साथ’lहरक सिंह की करीबी लक्ष्मी राणा ने छोड़ी कांग्रेस, ईडी की कार्रवाई पर पार्टी ने नहीं दिया साथ

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हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स शैल ग्लोबल टाइम्स /अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड

वहीं कुछ दिन पहले हरक सिंह रावत के साथ ही ईडी की रडार पर आईं लक्ष्मी राणा से भी पूछताछ की गई थी.

ईडी पाखरो टाइगर सफारी घोटाले के मामले में कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पत्नी और जिला पंचायत अध्यक्ष के आवास पर छापेमारी कर चुकी है. छापेमार के दौरान उनके लॉकर से ईडी को 48 लाख रुपये की ज्वेलरी और संपत्ति के दस्तावेज मिले थे, जिसे लेकर उनसे पूछताछ के लिए बुलाया गया है. लक्ष्मी राणा ने इस्तीफे की वजह पार्टी द्वारा बुरे समय में उनका साथ न देने की बात कही है.

ED की छापेमारी पर क्या बोलीं लक्ष्मी राणा
कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पत्नी लक्ष्मी राण ईडी की कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने लिखा है, “हाल ही में मेरे घर और प्रतिष्ठान पर राजनीतिक द्वेष के चलते ईडी की छापेमारी की कार्रवाई हुई. हालांकि मैं जानती हूं कि ये कानूनी प्रक्रिया है, किंतु पार्टी की तरफ से मेरे खिलाफ इस राजनीतिक द्वेष के बारे में न कोई प्रतिक्रिया आई और न ही किसी ने इस दुख की घड़ी में मुझे ढाढ़स बंधाया.”

लक्ष्मी राणा 1997 से 2001 तक जखोली की ब्लॉक प्रमुख रहीं. साल 2002 से 2007 तक वह दर्जाधारी रहीं. 2014 से 2019 तक रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. लक्ष्मी राणा ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा. मौजूदा वक्त में वह कांग्रेस की महामंत्री के पद पर भी थीं. लक्ष्मी राणा से पहले शुक्रवार को मनीष खंडूरी ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और शनिवार को उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक इस्तीफों से कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई है.

Congress partyप्रदेश महासचिव व रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कहा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच की कार्रवाई में कांग्रेस ने उनका साथ नहीं दिया।

लक्ष्मी पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी मानी जाती हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को भेजे त्यागपत्र में लक्ष्मी ने कहा, वह 27 साल से ज्यादा समय से पार्टी से जुड़ी रही हैं। 1998 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री रहीं। 1997 से 2001 तक कांग्रेस पार्टी से ब्लॉक प्रमुख जखोली रहीं। 2002 से 2007 तक उपभोक्ता फोरम की सदस्य राज्यमंत्री के तौर पर सेवाएं दीं। 2014 से 2019 तक कांग्रेस पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रप्रयाग रहीं।

किसी ने मुझे इस दुख की घड़ी में ढांढस बंधाया
2017 में रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रही तो 2018 से लगातार प्रदेश महामंत्री पद पर सेवाएं दे रही हैं। कहा, पिछले दिनों राजनीतिक द्वेष के चलते ईडी कार्रवाई हुई थी। मैं जानती हूं कि ये कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन पार्टी की तरफ से मेरे खिलाफ हुई इस कार्रवाई में न तो कोई प्रतिक्रिया आई और न ही किसी ने मुझे इस दुख की घड़ी में ढांढस बंधाया।

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कहा, जिस पार्टी के लिए मैंने हजारों महिलाओं, युवाओं को दिन-रात मेहनत करके जोड़ने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने भी इस संकट की घड़ी में मेरा साथ नहीं दिया। उन्होंने लिखा, जिस कांग्रेस पार्टी के लिए मैंने अपना जीवन खपाया, उसमें रहने का अब कोई औचित्य नहीं है, इसलिए दुखी मन से सदस्यता से त्यागपत्र दिया है।

ईडी पाखरो टाइगर सफारी घोटाले के मामले में उनके आवास पर छापेमारी कर चुकी है। उनके लॉकर से ईडी को 48 लाख रुपये की ज्वेलरी और संपत्ति के दस्तावेज मिले थे, जिसे लेकर उनसे पूछताछ के लिए बुलाया गया है। लक्ष्मी राणा ने इस्तीफे की वजह पार्टी द्वारा बुरे समय में उनका साथ न देने की बात कही है।

उन्‍होंने लिखा है, “हाल ही में मेरे घर और प्रतिष्ठान पर राजनीतिक द्वेष के चलते ईडी की छापेमारी की कार्रवाई हुई। हालांकि मैं जानती हूं कि ये कानूनी प्रक्रिया है, किंतु पार्टी की तरफ से मेरे खिलाफ इस राजनीतिक द्वेष के बारे में न कोई प्रतिक्रिया आई और न ही किसी ने इस दुख की घड़ी में मुझे ढाढ़स बंधाया।”

लक्ष्मी राणा 1997 से 2001 तक जखोली की ब्लाॅक प्रमुख रहीं। साल 2002 से 2007 तक वह दर्जाधारी रहीं। 2014 से 2019 तक रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। लक्ष्मी राणा ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा। मौजूदा वक्त में वह कांग्रेस की महामंत्री के पद पर भी थीं।

लक्ष्मी राणा से पहले शुक्रवार को मनीष खंडूरी ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और शनिवार को उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक इस्तीफों से कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई है।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स शैल ग्लोबल टाइम्स /अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड

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