उत्तराखंड में लोकसभा की सभी पांचों सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाने के लक्ष्य को लेकर मैदान में उतर चुकी भाजपा ने अब अपनी तैयारियों को जमीनी स्तर पर धार देना शुरू कर दिया है।

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इसी कड़ी में राज्य के साढ़े ग्यारह हजार से अधिक पोलिंग बूथ स्तर पर 11-11 कार्यकर्ताओं की विशेष टोलियां बनाई गई हैं। ये अपने-अपने बूथ के मतदाताओं से निरंतर संपर्क में रहेंगी।

इन टोलियों को पार्टी की रीति-नीति के साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों से लैस करने के लिए इनके सम्मेलनों की श्रृंखला प्रारंभ की जा रही है। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक के चुनावी परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा इनमें अजेय बनी हुई है।

चाहे वह लोकसभा व विधानसभा के चुनाव हों अथवा नगर निकाय, पंचायत व सहकारिता के, सभी में पार्टी परचम लहराती आई है। राज्य में लोकसभा की पांचों सीटों पर पार्टी वर्ष 2014 से काबिज है और अब उसके सामने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अपनी व्यूह रचना की है, जिस पर केंद्रीय नेतृत्व भी निरंतर नजर रखे हुए है।

टोलियों के सम्मेलनों की श्रृंखला की होने जा रही शुरुआत

भाजपा की चुनावी रणनीति में बूथ जीता-चुनाव जीता का मूलमंत्र अहम भूमिका निभाता आया है। इस कड़ी में पार्टी सभी बूथों पर पन्ना प्रमुखों की नियुक्तियां करती आई है। इसके तहत प्रत्येक बूथ की मतदाता सूची के एक-एक पृष्ठ की जिम्मेदारी एक कार्यकर्ता को सौंपी जाती है।

इन्हें ही पन्ना प्रमुख कहा जाता है, जो अपने पन्ने में अंकित मतदाताओं की चिंता करता है। इस बार पार्टी ने पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति करने के साथ ही हर बूथ पर 11-11 कार्यकर्ताओं की टोलियां भी बनाई हैं। बूथ स्तर पर गठित टोलियों को भी अपने अपने बूथ के मतदाताओं से निरंतर संपर्क का जिम्मा दिया गया है।

ये टोलियां प्रत्येक जानकारी से लैस हों, इसके लिए इनके सम्मेलन आयोजित करने की रणनीति बनाई गई है। सम्मेलनों में टोलियों के कार्यकर्ताओं को केंद्र एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों, कल्याणकारी योजनाओं समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी से लैस किया जाएगा। फिर ये टोलियां मतदाताओं से संपर्क साधेंगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के अनुसार बूथ टोलियों के सम्मेलन की तिथियां जल्द ही तय की जाएंगी।


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