हल्द्वानी,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी मंच का गठन कर जिसमें भुवन जोशी को संयोजक सर्व समिति से नियुक्त किया गया। 17 अगस्त 2024 को प्रस्तावित राज्य आंदोलनकारी सम्मेलन में राज्य आंदोलनकारीयो से संबंधित मुद्दों को लेकर वार्ता होगी। राज्य आंदोलनकारी वक्ता अपने विचार व्यक्त करेंगे । जल जंगल, जमीन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पलायन,, बेरोजगारी ,भू अध्यादेश 1950, एक समान पेंशन, 10% क्षैतिज आरक्षण, चिन्हित करण,आदि मुद्दों को लेकर वक्ता अपनी बातों को मंच के माध्यम से रखेंगे, लगभग 23 लोगों की आयोजन समिति के साथ-साथ पदाधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। मुख्य कार्यकारिणी उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी मंच, संयोजक-भुवन चंद्र जोशी,सचिव-पान सिंह सिजवाली, कोषाध्यक्ष-मनमोहन कनवाल,प्रवक्ता केदार पलडिया ,प्रचार सचिव नीरज तिवारी,
संचालन समिति
धीरेंद्र प्रताप, प्रभात ध्यानी, हेमंत बगडवाल, हुकुम सिंह कुंवर, डा बालम सिंह बिष्ट, मोहन पाठक, कैलाश शाह, हेमचंद पाठक, डॉक्टर निशांत पपनै, हरीश पाठक, योगेश सती, पान सिंह नेगी, सुशील भट्ट, बृजमोहन सिजवाली, जगमोहन सिंह बगडवाल,कमलेंद्र सेमवाल , अवतार सिंह। हरीश पनेरु, आर्येन्द्र शर्मा सुंदर गोस्वामी, जितेंद्र चौहान, बी सी तिवारी,
।सभी को अपनी अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को कहा गया है। राज्य आंदोलनकारियो का यह सम्मेलन मिल का पत्थर साबित होगा ।जिसमें नैनीताल ,उधम सिंह नगर के साथ-साथ 13 जनपदों के राज्य आंदोलनकारी भी प्रतिभागी करने जा रहे हैं।
1धामी सरकार राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ देना चाहती है। इसके लिए इसी साल फरवरी में सरकार ने प्रवर समिति की सिफारिशों को मानते हुए विधेयक कुछ संशोधनों के साथ राजभवन भेजा, जो एक बार फिर लटक गया है।
राजभवन विधेयक पर निर्णय नहीं ले पाया, जिससे राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों की लंबे इंतजार के बाद भी नौकरी में आरक्षण की मुराद पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि, राजभवन से इसमें देरी की एक वजह लोकसभा चुनाव और राज्यपाल के नैनीताल में होने बताया गया था।
राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के बिल का अनुमोदन राज्यपाल ने आज तक नहीं किया. इसके लिए प्रदेश सरकार ने भी कोई पहल नहीं की. राज्य आंदोलनकारियों के दम पर ही उत्तराखंड राज्य की नींव रखी गई थी. अब सरकार उन्हीं की उपेक्षा कर रही है. राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ न देकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ धोखा कर रही है. सरकार से राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण तुरंत दिए जाने की मांग