कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार गणेश गोदियाल ने एक वीडियो जारी कर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा शराब बांटकर चुनाव जीतना चाहती है। उन्होंने कहा कि उनके लोकसभा क्षेत्र में नौ हजार शराब की पेटियां पकड़ी गई है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सरकारी संरक्षण मिल रहा है और सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से ही इतनी अधिक मात्रा में शराब पहाड़ों तक पहुंच रही है। भाजपा शराब के बूते चुनाव को जीतना चाहती है जबकि शिकायत करने के बाद भी प्रशासनिक अमला उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने एक सवाल पर कहा कि बीना सबूत किसी पर आरोप लगाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह शराब किसकी है, अगर उनके पास सही सबूत हैं तो बताएं।
उन्होंने कहा कि मैं जब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री था उसी समय उत्तर प्रदेश का विभाजन हुआ और उत्तराखंड अलग राज्य बना। उस समय भी पूर्व सैनिकों के द्वारा ये मांग होती थी कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू की जाने चाहिए। 2013 में जब प्रधानमंत्री मोदी, पीएम पद के लिए उम्मीदवार घोषित हुए तो उस समय पार्टी का अध्यक्ष मैं ही था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हरियाणा की एक बड़ी सभा में जाकर पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि अगर हमारी सरकार बनेगी तो हम ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू करेंगे। सरकार बनते ही उन्होंने जरा भी देरी नहीं की और ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू कर दिया।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहती थी सड़क मत बनाओ, सुविधाओं का विकास मत करो नहीं तो पाकिस्तान घुस जाएगा- चीन घुस आएगा। मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सीमाओं पर सभी सुविधाओं का विकास हुआ है। हमने सीमाओं पर पड़ने वाले गाँवों में को अंतिम गाँव नहीं पहला गाँव माना है। यह नज़रिये का अंतर है।
राजनाथ ने तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस अब सुस्त पड़ गई है। अब उनकी पहाड़ चढ़ने की ताक़त नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की पवित्र धरती को नमन करता हूँ। गढ़वाल से लेकर कुमायूँ के अंतिम छोर तक इस उत्तराखण्ड के कण-कण में देवताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है। यह देवभूमि वीरभूमि भी है। भारतीय सेनाओं में इस प्रदेश के लोग अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज़ाद भारत का पहला घोटाला, जीप घोटाला कांग्रेस के जमाने में हुआ।कांग्रेस के जमाने में ही भ्रष्टाचार के कारण मंत्री तक को जेल जाना पड़ा। 2019 तक उत्तराखंड में 100 में से 9 परिवार के पास ही पाइप्ड वाटर की सुविधा थी। आज उत्तराखंड के 100 में से नब्बे परिवारों के घर में नल से जल आता है।