
उत्तराखंड में भर्ती प्रक्रिया में सम्मिलित होने के लिए युवाओं को सही और सुविधाजनक यातायात व्यवस्था का सामना नहीं करना पड़ रहा है. उदाहरण के तौर पर, एक युवा ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह भर्ती स्थल तक पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करने पर मजबूर हो गया.हमने कई घंटों तक ट्रांसपोर्ट की तलाश की, लेकिन किसी भी तरह का वाहन नहीं मिला।” यह स्थिति न केवल युवाओं के लिए, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की गंभीरता को भी प्रभावित करती है.


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
जानिए क्या है पूरा मामला?
इस बीच ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. जिसमें उत्तराखंड में भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए एक शख्स उत्तराखंड परिवहन निगम की बस की पीछे लटकते हुए सफर करने को मजबूर है. हाल ही में अल्मोडा में हुए बस हादसे से भी अब तक हमने कुछ सीखा नहीं, ऐसे में जिला प्रशासन को इस तरह के मामलों पर विशेष नजर रखनी चाहिए, ताकि ऐसे हालात दोबारा न पैदा हों.
सड़क हादसों में वृद्धि के बावजूद सुधार की उम्मीद नहीं
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. इन हादसों के बावजूद यातायात की व्यवस्था में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है. जब सुरक्षा और सही यातायात व्यवस्था की बात आती है, तो राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद सरकारी स्तर पर रोड सेफ्टी और यातायात सुधार की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं दिखाई दे रही.
क्या यह सिस्टम की विफलता नहीं है?
यह सवाल उठता है कि क्या उत्तराखंड में सड़क परिवहन और भर्ती आयोजन को लेकर जिम्मेदार विभागों की ओर से उचित योजनाएं बनाई जा रही हैं. जब तक इस दिशा में सुधार नहीं किया जाएगा, तब तक युवाओं के लिए भर्ती में शामिल होने की प्रक्रिया और भी मुश्किल होती जाएगी.
