संपादकीय विश्लेषण: निष्पक्ष पंचायत चुनाव की ओर एक ठोस कदम
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की मतगणना से ठीक पहले जिस प्रकार प्रशासन और पुलिस महकमा सक्रियता से कार्य कर रहा है, वह लोकतंत्र की नींव को और अधिक मजबूत करता है। खास तौर पर ऊधमसिंह नगर ज़िले के खटीमा, सितारगंज और रुद्रपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में जिलाधिकारी श्री नितिन सिंह भदौरिया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री मणिकांत मिश्रा द्वारा किए गए औचक निरीक्षण यह दर्शाता है कि प्रशासन मतगणना प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता, निष्पक्षता और शांति के साथ संपन्न कराने के लिए पूरी तरह संकल्पित है।
निरीक्षण के दौरान न केवल स्ट्रॉन्ग रूमों की सुरक्षा की समीक्षा की गई, बल्कि यह सुनिश्चित किया गया कि मतगणना स्थलों पर CCTV कैमरे लगातार 24 घंटे चालू रहें। यह व्यवस्था किसी भी संभावित गड़बड़ी या संदेहास्पद गतिविधि पर तत्काल निगरानी रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा और सुगमता दोनों पर विशेष ध्यान


प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि मतगणना स्थलों के चारों ओर बैरिकेडिंग की जाए और बिना पास के किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न मिले। इसके साथ-साथ मतगणना कक्षों में पर्याप्त टेबल-कुर्सियों की व्यवस्था, माइक व लाउडस्पीकर जैसी सुविधाओं पर भी ज़ोर दिया गया ताकि संचार में कोई अवरोध न हो।
वाहनों की पार्किंग, बिजली की निर्बाध आपूर्ति, और यातायात व्यवस्था को लेकर भी ज़िला प्रशासन पूरी मुस्तैदी से सक्रिय है। कुल मिलाकर यह साफ संकेत हैं कि मतगणना कार्य को किसी भी अव्यवस्था या विवाद से बचाने के लिए पहले से ही रणनीतिक योजना लागू कर दी गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग की पारदर्शी पहल
31 जुलाई को सुबह आठ बजे से शुरू होने जा रही मतगणना में कुल 10,915 पदों के लिए 15,024 कार्मिक और 8,926 सुरक्षा जवान तैनात रहेंगे। यह आंकड़े स्वयं प्रशासन की गंभीरता को दर्शाते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद किसी भी प्रकार के विजय जुलूस पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे।
आयोग ने यह भी कहा कि परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद उन्हें आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। इससे पहले 24 और 28 जुलाई को कराए गए दो चरणों के मतदान में 69.16% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही — यह अपने आप में लोकतंत्र की एक सुखद तस्वीर पेश करता है।
प्रशासनिक गंभीरता से उपजता है जनविश्वास
ऐसे समय में जब देशभर में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठते हैं, उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में प्रशासन और निर्वाचन आयोग की समन्वित कार्यशैली सराहनीय है। यह न केवल जनप्रतिनिधियों की साख बढ़ाता है, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र की जड़ों को भी मजबूती देता है।
श्री नितिन भदौरिया और श्री मणिकांत मिश्रा जैसे अधिकारियों की सक्रियता एक सकारात्मक संकेत है कि जब प्रशासन चाहे, तो निष्पक्षता, पारदर्शिता और कानून-व्यवस्था साथ-साथ चल सकती हैं
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– अवसेतार सिंह बिष्ट, संपादक, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

