संपादकीय लेख — पंचायत चुनाव 2025: आरक्षण प्रक्रिया पूर्ण, अब अधिसूचना की प्रतीक्षा

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रुद्रपुर उत्तराखंड की लोकतांत्रिक व्यवस्था के बुनियादी ढांचे की रीढ़ माने जाने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर अब तस्वीर धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही है। शासन और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच समन्वय के बाद ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आगामी 21 जून की शाम को पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी की जा सकती है। हरिद्वार को छोड़ राज्य के अन्य 12 जिलों में आरक्षण की अंतिम सूची बुधवार को जारी कर दी गई है, जो कि पंचायती व्यवस्था की चुनावी प्रक्रिया में एक बड़ा कदम है।

आरक्षण प्रक्रिया का अंत — लंबित प्रतीक्षा का पटाक्षेप

पिछले कई हफ्तों से आरक्षण सूची को लेकर संशय बना हुआ था, लेकिन अब जिला स्तर पर यह प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। सभी 12 जिलों से अंतिम आरक्षण सूची गुरुवार सुबह तक पंचायती राज निदेशालय को भेज दी जाएगी। इसके बाद यह सूची शासन को उपलब्ध कराई जाएगी और फिर राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी। यह तय प्रक्रिया अब लगभग अपने अंतिम चरण में है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आयोग अधिसूचना जारी करने की दिशा में अग्रसर है।

मतदान और मतगणना की संभावित तिथियां

सूत्रों के अनुसार, 10 जुलाई को पंचायत चुनावों के तहत मतदान कराया जा सकता है, जबकि 15 जुलाई को मतगणना की संभावना जताई जा रही है। यद्यपि, अंतिम निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा शासन के साथ विमर्श के बाद ही लिया जाएगा। लेकिन इन संभावित तिथियों से इतना जरूर स्पष्ट है कि अगले माह का दूसरा सप्ताह लोकतंत्र के इस पर्व का साक्षी बनने जा रहा है।

पंचायती लोकतंत्र की मजबूती की ओर एक और कदम

पंचायत चुनाव केवल सत्ता के विकेंद्रीकरण का माध्यम नहीं, बल्कि ग्राम्य विकास, सामाजिक समरसता और स्थानीय नेतृत्व को उभारने का सशक्त मंच भी हैं। आरक्षण सूची के माध्यम से महिलाओं, अनुसूचित जातियों व जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलना हमारी संवैधानिक व्यवस्था की न्यायप्रियता को रेखांकित करता है।

हरिद्वार क्यों अपवाद?जहाँ बाकी 12 जिलों की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, वहीं हरिद्वार अभी भी पीछे है। इस जिले में पंचायत प्रणाली की कानूनी स्थिति और विशेष भौगोलिक-सांस्कृतिक संदर्भों के कारण चुनाव की प्रक्रिया थोड़ी जटिल मानी जाती है। इस दिशा में शासन को शीघ्रता से स्थिति स्पष्ट करनी होगी ताकि वहां की जनता भी प्रतिनिधित्व से वंचित न रह जाए।

प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारियां

अब जबकि अधिसूचना की संभावनाएं मजबूत हो चुकी हैं, जिला प्रशासन को चाहिए कि वह मतदाता सूचियों का अद्यतन, चुनाव केंद्रों की तैयारी, अधिकारियों की तैनाती, और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की दिशा में तत्काल कार्य प्रारंभ करे। साथ ही राजनीतिक दलों और संभावित प्रत्याशियों को भी आदर्श आचार संहिता का पालन करने हेतु मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना अब बस एक औपचारिक घोषणा भर की दूरी पर प्रतीत हो रही है। यदि 21 जून की संभावित तिथि पर अधिसूचना जारी होती है तो यह न केवल प्रशासनिक दक्षता की जीत होगी, बल्कि राज्य के लोकतंत्र में भागीदारी को और अधिक मजबूत करेगी।

यह आवश्यक है कि सरकार, निर्वाचन आयोग, प्रशासन और आम नागरिक — सभी एकजुट होकर इस चुनाव को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और व्यापक सहभागिता वाला बनाएं। उत्तराखंड की ग्राम पंचायतें केवल विकास की प्रयोगशालाएं नहीं, बल्कि लोकतंत्र के जीवंत स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं।


लेखक: अवतार सिंह बिष्ट

संपादक, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

(लेख विशेष रूप से उत्तराखंड पंचायत चुनावों की भावी प्रक्रिया और लोकहित में सहभागिता को लेकर लिखा गया है।)


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