संपादकीय विशेष रिपोर्ट: 2027 का चुनाव पुष्कर सिंह धामी के सानिध्य में ही लड़ा जाएगा, अमित शाह ने इशारों में साफ कर दिया रास्ता रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्ट, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर विशेष संस्करण

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रुद्रपुर,उत्तराखंड निवेश उत्सव 2025 के ऐतिहासिक आयोजन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का संबोधन केवल एक औपचारिक वक्तव्य नहीं था, बल्कि यह उत्तराखंड की आगामी राजनीतिक दिशा का स्पष्ट और ठोस संकेत था। मंच से गृहमंत्री ने जिस प्रकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और उन्हें “ओजस्वी मुख्यमंत्री” कहकर संबोधित किया, उससे यह कयास अब लगभग समाप्त हो गए हैं कि 2027 का विधानसभा चुनाव किसी नए चेहरे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अमित शाह के शब्दों में धामी के प्रति वह पूर्ण विश्वास झलक रहा था, जो दिल्ली की शीर्ष भाजपा नेतृत्व की सहमति का प्रतीक है।


एक ओजस्वी नेतृत्व की सार्वजनिक स्वीकृति?अमित शाह ने कहा, “उत्तराखंड में जो निवेश और विकास दिख रहा है, वह पारदर्शिता, तीव्रता और दूरदर्शिता के मंत्र पर आधारित है, और इसका संपूर्ण श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जाता है।”

यह बयान केवल एक प्रशंसा नहीं, बल्कि दिल्ली से धामी को एक बार फिर मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने का सीधा संकेत था। खास बात यह रही कि जिस आत्मीयता और जोर के साथ शाह ने यह बयान दिया, उसने उन सभी सियासी कयासों पर विराम लगा दिया जो बीते महीनों से धामी की जगह संभावित चेहरे को लेकर लग रहे थे।


धामी के नेतृत्व पर उठते सवालों पर सर्जिकल स्ट्राइक?बीते कुछ समय से सत्ता पक्ष के भीतर और बाहर, कुछ वर्गों द्वारा यह विमर्श फैलाया जा रहा था कि धामी को 2027 से पहले बदला जा सकता है — कभी जातीय समीकरणों के आधार पर, तो कभी गुटीय असंतोष का हवाला देकर। लेकिन रुद्रपुर के मंच से अमित शाह ने एक सर्जिकल स्ट्राइक की तरह इन सभी अटकलों को कुचल दिया।

गृहमंत्री ने राज्य सरकार के कार्यों की एक-एक करके प्रशंसा की — चाहे वह कानून-व्यवस्था हो, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, महिला सुरक्षा हो या धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात।


धामी मॉडल की दिल्ली से पुष्टि?उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा हमेशा रहती है कि दिल्ली किसे पसंद करती है — और अमित शाह ने इस बार स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली की पसंद पुष्कर सिंह धामी ही हैं।

धामी ने हालिया वर्षों में “युवा, ऊर्जावान, निर्णायक और संवेदनशील मुख्यमंत्री” की छवि बनाई है। 2022 के चुनावों में भाजपा को दोबारा सत्ता दिलाने के बाद से धामी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को ज़मीन पर उतारने का प्रयास कर रहे हैं।


निवेश उत्सव: केवल आर्थिक नहीं, राजनीतिक ग्राउंडिंग भी?इस बार का ‘निवेश उत्सव’ राज्य के आर्थिक भविष्य के लिए जितना महत्वपूर्ण था, राजनीतिक दृष्टिकोण से भी उतना ही निर्णायक रहा।

₹1 लाख करोड़ से अधिक की ग्राउंडिंग के साथ मुख्यमंत्री धामी ने यह साबित किया कि वे केवल भाषणबाज नेता नहीं, बल्कि क्रियान्वयन में विश्वास रखने वाले मुख्यमंत्री हैं।

केंद्रीय मंच से अमित शाह द्वारा उन्हें दिया गया समर्थन इस बात का प्रमाण है कि भाजपा अब किसी भी प्रकार की अंतर्विरोधी चर्चाओं को कुचलकर 2027 के लिए एकरूपता के साथ आगे बढ़ना चाहती है।


राज्य के अंदरूनी विरोधियों को करारा संदेश?धामी के नेतृत्व को लेकर समय-समय पर जो ‘इंद्रधनुषी महत्वाकांक्षाएं’ देखी जाती हैं — कभी पुराने मुख्यमंत्री, तो कभी नौकरशाही समर्थित गुटों से — उन सभी को अमित शाह की उपस्थिति ने करारा संदेश दे दिया है कि अब “डबल इंजन” का अर्थ केवल केंद्र और राज्य सरकार नहीं, बल्कि “मोदी और धामी” की संगति है।

राज्य भाजपा में भी अब यह स्पष्ट है कि नेतृत्व को चुनौती देने वालों को 2027 से पहले अपने राजनीतिक समीकरणों की पुनर्समीक्षा करनी होगी।

रूद्रपुर की धरती एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी जब देश के केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने उत्तराखण्ड निवेश उत्सव-2025 के अवसर पर कुल ₹1342.84 करोड़ की विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उनके साथ मंच साझा करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निवेश पर्व को राज्य के समग्र विकास की दिशा में मील का पत्थर बताया। यह आयोजन केवल घोषणाओं का मंच नहीं, बल्कि “विकास के धरातल पर उतरते संकल्पों की सार्वजनिक पुष्टि” थी।

निवेश नहीं, नवयुग का संदेश

वास्तविकता यह है कि पहली बार किसी राज्य सरकार ने केवल एमओयू के हस्ताक्षर तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि ज़मीन पर उतरे कार्यों को जनमंच पर उत्सवपूर्वक प्रस्तुत किया। यह कार्यशैली उस पारदर्शिता, तीव्रता और दूरदर्शिता को दर्शाती है जिसकी बार-बार सराहना स्वयं श्री अमित शाह ने की। इस प्रकार का मॉडल देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा है।

लोकार्पण: परिणाम की पहली सीढ़ी

₹79.34 करोड़ की जिन 4 योजनाओं का लोकार्पण हुआ, वे उत्तराखण्ड की बुनियादी संरचना को मजबूती देने वाले स्तंभ हैं। पिथौरागढ़ जिला कारागार का उद्घाटन जहां न्यायिक प्रणाली की सुविधा में सुधार करेगा, वहीं चम्पावत में दो राजकीय पॉलीटेक्निक भवनों का उद्घाटन तकनीकी शिक्षा के प्रसार की दिशा में सार्थक कदम है। पुलिस विभाग के नए आवासीय भवन न केवल बलों को सुविधा देंगे बल्कि कार्यक्षमता में भी बढ़ोत्तरी करेंगे।

शिलान्यास: कल की नींव, आज के भरोसे पर

मुख्य आकर्षण रही ₹1263.5 करोड़ की 16 बड़ी परियोजनाएं जिनका शिलान्यास किया गया। इनमें सबसे उल्लेखनीय ₹378.35 करोड़ की लागत से हल्द्वानी में बस टर्मिनल और प्रशासनिक भवन की परियोजना है, जो शहर की यातायात व्यवस्था और प्रशासनिक दक्षता को नया आयाम देगी। वर्षा जल प्रबंधन और सड़क निर्माण की ₹217.82 करोड़ की योजना सतत् विकास की दिशा में स्पष्ट प्रतिबद्धता है।

टनकपुर क्षेत्र में ₹171.54 करोड़ की पेयजल परियोजना, रूद्रपुर में ₹126 करोड़ की लागत से बन रहा कामकाजी महिला छात्रावास—ये योजनाएं समाज के उस वर्ग को केन्द्र में रखती हैं जो अक्सर हाशिये पर रह जाता है। महिला सशक्तिकरण और जल प्रबंधन जैसे विषयों को प्राथमिकता देना वर्तमान सरकार की संवेदनशीलता और समावेशी सोच को दर्शाता है।

सुरक्षा बलों और शिक्षा पर खास फोकस

PAC की 31वीं और 40वीं वाहिनियों के लिए टाईप-2 आवासों (₹47.79 करोड़ व ₹42.66 करोड़) का निर्माण, पुलिस विभाग के आवासीय व अनावासीय भवनों की अनेक योजनाएं, और वीसी कक्षों की स्थापना यह संकेत देती हैं कि उत्तराखण्ड सरकार कानून व्यवस्था के आधुनिकीकरण के प्रति गंभीर है। इसी के साथ कुमाऊँ विश्वविद्यालय में ₹45.68 करोड़ की लागत से उच्चीकरण और आधुनिकीकरण की योजना उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और अधुनिकीकरण की दिशा में उठाया गया सराहनीय कदम है।

विरासत और नवाचार का संतुलन

नैनीताल में मेट्रो पोल होटल परिसर की सरफेस पार्किंग योजना हो या चम्पावत में मल्टी-लेवल पार्किंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण—ये सभी परियोजनाएं दर्शाती हैं कि उत्तराखण्ड अब स्मार्ट सिटी संस्कृति को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है। गांधी पार्क रूद्रपुर का सौंदर्यीकरण न केवल एक सौंदर्य योजना है, बल्कि यह शहरी जीवन को सुगम, हरित और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की सोच का हिस्सा है।

राजनीति से परे, जनता के लिए समर्पित योजना

कई बार आलोचक कहते हैं कि शिलान्यास और लोकार्पण केवल राजनीतिक प्रदर्शन होते हैं। किंतु रूद्रपुर में आयोजित इस निवेश उत्सव ने इस धारणा को खारिज करते हुए साबित किया कि योजनाएं अब जमीनी स्तर पर परिणाम देने के लिए तैयार हैं

उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए ऐसी योजनाएं केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि यह सपनों का संकल्पित आर्किटेक्चर हैं। यहां का हर पुल, हर इमारत, हर पानी की पाइपलाइन, हर छात्रावास और हर बस टर्मिनल उस ‘नवउत्तराखण्ड’ की ईंट है, जिसकी कल्पना राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों ने की थी।

श्री अमित शाह का यह दौरा न केवल सियासी संदेश देने वाला था, बल्कि यह उत्तराखण्ड की विकास-यात्रा के लिए राजकीय आशीर्वाद के समान था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व क्षमता को जहां राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है, वहीं यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड ‘निवेश, नवाचार और निर्माण’ की नई पहचान बनेगा।
जनमानस में धामी की स्वीकार्यता?जनता के बीच धामी एक साफ-सुथरी छवि वाले, ईमानदार और मेहनती मुख्यमंत्री के रूप में उभरे हैं।

उत्तराखंड जैसे संवेदनशील और भौगोलिक दृष्टि से जटिल राज्य में उन्होंने आपदा प्रबंधन, कानून व्यवस्था, चारधाम यात्रा प्रबंधन, भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई और डिजिटल उत्तराखंड की दिशा में ठोस कार्य किए हैं।

पहाड़ से मैदान तक धामी की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है, और अमित शाह के मंचीय समर्थन ने इसे अब “दिल्ली की मुहर” प्रदान कर दी है।


समापन टिप्पणी: 2027 की बिसात बिछ चुकी है?राजनीति में वक्त से पहले किए गए संकेत अक्सर भविष्य के दस्तावेज बन जाते हैं।रुद्रपुर में अमित शाह का संबोधन भी ऐसा ही संकेत है।

अब यह लगभग तय हो गया है कि भाजपा 2027 का चुनाव पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर ही लड़ेगी।जो नेता इस संभावना से इनकार कर रहे थे, उनके लिए यह कार्यक्रम एक निर्णायक क्षण था — जब दिल्ली से सन्देश साफ मिला: “उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की कोई योजना नहीं है, बल्कि अब नेतृत्व को और अधिक मजबूती देने की रणनीति अपनाई जाएगी।”


रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्ट

रुद्रपुर, उत्तराखंड

प्रकाशन: हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, विशेष संस्करण



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