देश की सीमाओं को मजबूत बनाने में लगी भारत सरकार ने चीन के बाद अब पाकिस्‍तान का रुख किया है. सरकार ने पहली बार पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (POK) के इतना नजदीक तक पहुंचने का प्‍लान बनाया है.

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उसकी मंशा एलओसी और पीओके के पास 44 किलोमीटर लंबा हाईवे बनाने की है. सरकार ने जम्मू और कश्मीर के कठिन पहाड़ी इलाके में एक चुनौतीपूर्ण परियोजना पर काम शुरू किया है. इसके तहत गुलमर्ग वन्यजीव अभयारण्य के बीच से 44 किलोमीटर लंबी नई सड़क का निर्माण करेगी.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

इस सड़क के जरिये पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) के साथ नियंत्रण रेखा (LoC) पर स्थित दो दूरस्थ सीमा चौकियों को जोड़ने में मदद मिलेगी. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने अगले तीन वर्षों में लगभग 288 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पहली बार सड़क चीमा से लीच नाला, बारामूला तक जाएगी और आगे जाकर सेना के गुरदालीगली पोस्ट और सरसों पोस्ट से जुड़ेगी. सीएनएन-न्यूज18 के अनुसार, रक्षा मंत्रालय और हाईवे अथॉरिटी तेजी से काम कर रही है.

खड़ी पहाड़ी और बर्फ से गुजरेगा रास्‍ता
यह परियोजना सड़क एक महत्वपूर्ण रणनीतिक धुरी पर स्थित है, जो खड़ी पहाड़ी और मोटी बर्फ की चादर से गुजरेगी. चीमा से लीची नाला और गुरदालीगली पोस्ट से सरसों पोस्ट तक कोई मौजूदा सड़क नहीं है. एक है भी तो उसकी हालत काफी खराब है. खड़ी ढलानों के कारण सेना के वाहनों की आवाजाही के लिए सही नहीं है. परियोजना के इस हिस्से में कोई आबादी नहीं है और नई सड़क से इन सीमा चौकियों पर तैनात सैनिकों को आसानी से लॉजिस्टिक सहायता दी जा सकती है.

बेरोक-टोक पहुंचेगा सेना का गोला-बारूद
चूंकि बड़ी संख्या में सैनिकों को सड़क के साथ-साथ विभिन्न सीमा चौकियों पर तैनात किया गया है. लिहाजा यह सड़क ऑल-वेदर कनेक्टिविटी देने के साथ लॉजिस्टिक समर्थन और सुरक्षा भी प्रदान करेगी. इस मार्ग का विकास सैनिकों, उपकरणों और वाहनों की एलओसी के साथ अग्रिम चौकियों तक पहुंच को बढ़ाएगा. सड़क का विकास सुरक्षा बढ़ाएगा, यात्रा का समय कम होगा और वाहन उपयोग की लागत को कम करेगा.

गुलमर्ग सेंचुरी से गुजरेगा रास्‍ता
इस प्रोजेक्‍ट को बनाने के लिए सिर्फ एक ही रास्‍ता है, जो गुलमर्ग वाइल्‍डलाइफ सेंचुरी से होकर जाता है. ये सेंचुरी 180 वर्गकिलोमीटर में बनी है. 1987 में स्थापित यह अभ्‍यारण्य अपनी विविध वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हिमालयी भूरा भालू, कस्तूरी मृग और विभिन्न प्रकार के पक्षी शामिल हैं. अभ्‍यारण्य की ऊंचाई 2,400 से 4,300 मीटर तक है, जिसमें घने जंगलों से लेकर अल्पाइन घास के मैदान तक शामिल हैं. यह श्रीनगर से महज 50 किमी दूर स्थित है.


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