हरीश पनेरु: भीमताल की राजनीति में एक नई उम्मीद की दस्तक!जनहित की लड़ाई को लेकर जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं कांग्रेस नेता हरीश पनेरु

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भीमताल (नैनीताल)।कुमाऊं की शांत वादियों के बीच बसे भीमताल विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों एक नाम हर गली-मुहल्ले, चाय की दुकानों और जनसभाओं में जोरों पर है – हरीश पनेरु। कांग्रेस के युवा नेता और जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर पहचाने जाने वाले पनेरु अब जनआंदोलन के प्रतीक बनते जा रहे हैं। उनका नारा है – “जनता की आवाज को ताकत दो, अन्याय के खिलाफ संगठित हो।”

जनता से जुड़ाव, संघर्ष से पहचान

हरीश पनेरु की सबसे बड़ी ताकत है – जनता से उनका सीधा जुड़ाव। उन्होंने न केवल जनसभाओं में भाषण दिए, बल्कि गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याओं को समझा, सुना और उनके समाधान के लिए धरना-प्रदर्शन से लेकर अधिकारियों से सीधी बातचीत तक की। चाहे वन विभाग की ज्यादतियां हों, या पुलिस उत्पीड़न, नशे के खिलाफ अभियान हो या सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दे – हर मोर्चे पर पनेरु ने जनता के साथ मिलकर संघर्ष किया।

भ्रष्टाचार और शराबबंदी पर मुखर

पनेरु लगातार क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वह कहते हैं, “जब तक सिस्टम में बैठे लोग जनहित की बजाय स्वार्थ की राजनीति करेंगे, तब तक हम लड़ते रहेंगे।” उन्होंने कई बार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और दबंगई का खुलकर विरोध किया है। साथ ही वे भीमताल क्षेत्र में पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर भी सक्रिय हैं।

विधायक से खुली टक्कर

हाल ही में भीमताल के वर्तमान विधायक राम सिंह खेड़ा के साथ विकास कार्यों को लेकर उनकी तीखी बहस हुई, जिसकी गूंज देहरादून तक पहुंची। हरीश पनेरु ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में विकास केवल कागजों तक सीमित है और जमीनी हकीकत कुछ और है। उन्होंने कहा, “हमारा मकसद जनता की सेवा है, न कि दिखावा करना। अगर विधायक जी जनता की बात नहीं सुनेंगे, तो जनता उन्हें बदलना भी जानती है।”

‘सिस्टम के खिलाफ जनता की आवाज हूं’

हरीश पनेरु खुद को एक “सामान्य जनता का प्रतिनिधि” मानते हैं। वे कहते हैं, “मैं किसी ओहदे या पद के लिए नहीं लड़ रहा। मैं उस व्यवस्था के खिलाफ खड़ा हूं जो जनता को दबाती है, डराती है और लूटती है।” उनकी इस स्पष्टवादी और साहसी छवि ने उन्हें भीमताल ही नहीं, बल्कि पूरे कुमाऊं क्षेत्र में एक चर्चित नेता बना दिया है।

युवाओं और महिलाओं में लोकप्रियता
पनेरु का प्रभाव केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। युवा और महिलाएं भी उन्हें उम्मीद की नई किरण मानती हैं। क्षेत्र के छात्र नेता दीपक बोरा कहते हैं, “हरीश भैया जैसे नेता की हमें बहुत ज़रूरत है। वह हमारी आवाज को ऊपर तक पहुंचाते हैं।” वहीं, ग्रामसभा धौलास में रहने वाली गृहिणी सरस्वती देवी कहती हैं, “पहली बार कोई नेता आया जो हमारे गांव तक पैदल चला, हमारी बात सुनी।”

2027 का समीकरण बदलने को तैयार
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे, और हरीश पनेरु इसी तरह जनता के मुद्दों पर संघर्ष करते रहे, तो 2027 में भीमताल का सियासी नक्शा बदलना तय है। पनेरु खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर उन्होंने अभी चुप्पी साध रखी है, लेकिन उनका हर कदम इस ओर इशारा जरूर करता है कि वह भीमताल की राजनीति को नई दिशा देने को तैयार हैं।

‘मैं न नेता हूं, न संतरी – मैं सिर्फ आपका बेटा हूं’
इस पंक्ति से हरीश पनेरु ने खुद के राजनीतिक चरित्र की साफ तस्वीर खींच दी है। उनके संघर्ष, साहस और जनसंपर्क ने उन्हें वह पहचान दी है जो आज के नेताओं में दुर्लभ होती जा रही है।

भीमताल की जनता अब केवल वादे नहीं, बल्कि वफादारी चाहती है – और हरीश पनेरु उन्हें यही दे रहे हैं।


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