
एसटीएफ का दावा है कि आरोपित अभी तक पांच हजार से अधिक फर्जी अंकपत्र/प्रमाण पत्र बेच चुका है। दूरस्थ शिक्षा सेंटर की आड़ में आरोपित अंतरराज्यीय गैंग चला रहा था। आरोपित के राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित कई राज्यों ने अपने एजेंट बना रखे हैं।


इंस्पेक्टर एसटीएफ हुकुम सिंह ने बताया कि वेस्ट अर्जुन नगर, शाहगंज निवासी धनेश मिश्रा को गिरफ्तार किया गया है। जनवरी 2024 में ताजगंज क्षेत्र से फर्जी मार्कशीट बेचने वाले गैंग के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। धनेश मिश्रा भी इसी गैंग से जुड़ा था। साथियों के जेल जाने के बाद अपना अलग काम करने लगा। आरोपित ने सुभारती विवि, मंगलायतन विवि, सिक्कम ओपन बोर्ड, सुरेश ज्ञान विहार विवि की एडमीशन कोड फ्रेंचाइजी ले रखी थी। आरोपित सिर्फ दूरस्थ शिक्षा के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों के अंकपत्र दे सकता था। इसकी आड़ में अवैध धंधा चला रहा था। प्राइवेट नौकरियों के लिए भी बेरोजगारों को प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है।
आरोपित ऐसे ही जरूरतमंदों को ऑन डिमांड मार्कशीट दिया करता था। हर कोर्स की मार्कशीट के लिए दाम पहले से तय थे। 25 हजार रुपये में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट और 1.75 लाख रुपये में एमबीए और डीफार्मा करा दिया करता था। न तो किसी को परीक्षा देनी पड़ती थी और न ही कभी कॉलेज जाना पड़ता था। आरोपित को रुपये देने के बाद मार्कशीट मिल जाया करती थी। आरोपित यह दावा भी करता था कि सत्यापन कराया जाएगा तो भी मार्कशीट पकड़ में नहीं आएगी।
4 साल से कर रहा था काम
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह पिछले करीब चार साल से इस अवैध धंधे से जुड़ा हुआ है। अधिकांश निजी विवि की मार्कशीट बनाता है। वह खाली मार्कशीट सेटिंग से लेकर आया करता था। उन पर मुहर लगी होती थी। सिर्फ नाम और नंबर अंकित कराने होते थे। यह काम बड़े आराम से कंप्यूटर और प्रिंटर से हो जाता था। आरोपित के पास से चार लैपटाप, 1046 मार्कशीट बरामद हुईं। इसमें 942 फर्जी हैं। शेष खाली थीं।
जैसी डिग्री वैसे दाम
आरोपी ने एसटीएफ को बताया कि बी फार्मा, डी फार्मा, एमबीए के दो से ढाई लाख रुपये तक लेता था। बीए, बीएससी, बीकॉम के 25 हजार से 50 हजार तक वसूलता था। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के भी कम से कम 25 हजार लेता था।
इनकी मार्कशीट हुईं बरामद
ईस्कूल फेल हैं। कोई बात नहीं। एमबीए की डिग्री चाहिए या डीफार्मा की। दो लाख का खर्चा आएगा। कुछ इसी अंदाज में रेबड़ी की तरह फर्जी मार्कशीट बांटने वाले एक आरोपित को एसटीएस आगरा यूनिट ने गिरफ्तार किया है।
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
संपादकीय निष्कर्ष
फर्जी डिग्री और मार्कशीट का यह गोरखधंधा केवल एक आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह समाज के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सरकार, पुलिस और शिक्षण संस्थानों को मिलकर इस पर सख्त कार्रवाई करनी होगी ताकि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बनी रहे और योग्य व्यक्तियों को उनका हक मिल सके।

