Hindustan Global Times, अवतार सिंह बिष्ट

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उत्तराखंड में भी लोकसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना का मुद्दा गरमाने लगा है। पूरे देश में जहां जातीय जनगणना को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। तो वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को गरमा दिया है।

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने ऐलान किया है कि आने वाले समय में उत्तराखंड में सरकार बनने पर वह बिहार सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में जातीय जनगणना कराएगी।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़े जारी न करके और नई जाति जनगणना ना करके देश के कई समुदायों और वंचित वर्गो को धोखा दिया है। करन माहरा से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता प्रीतम सिंह भी जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं।

देश भर की तरह अब उत्तराखंड में भी विपक्ष जातीय जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। कांग्रेस इसको लेकर पूरी तरह से फ्रंटफुट में खेलने को तैयार है। बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस उत्तराखंड में भी करवानी की पक्षधर है।

बता दें कि उत्तराखंड में भी चुनाव में क्षेत्रीयवाद और जातिवाद का काफी बड़ा रोल रहता है। टिकट बंटवारे से लेकर वोटिंग तक इन मुद्दों पर कई बार सीधे तौर पर बहस होती नजर आती है। हालांकि भाजपा इस मुद्दे पर अभी ​राजनीति न करने की बात कर रही है और कांग्रेस पर हमेशा बांटने की राजनीति करने का आरोप लगा रही है।

जबकि कांग्रेस का कहना है कि जातीय जनगणना होती है तो इसका फायदा उन जातियों को भी मिलेगा जो काफी पिछड़ी हुई हैं। अब कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनने वर जातीय जगगणना कराने का ऐलान कर एक नया मुद्दा दे दिया है। जो कि आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।


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