हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट भारत का मिजोरम एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार इसकी वजह यहां के समुदाय या उनके बीच का झगड़ा नहीं बल्कि पड़ोसी देश म्यांमार है. हकीकत तो यह है कि असल मुद्दा म्यांमार है और घटनाक्रम से भारत चिंतित है और स्थिति पर बारीक नजर बनाए हुए है.

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हुआ यह था कि पिछले महीने से म्यांमार की जुंटा सैन्य सरकार के खिलाफ सक्रिय बलों ने सेना पर हमले करने शुरू किए जिसके बाद से म्यांमार के में खासी उथल पुथल हो गई है. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ की म्यांमार कै सैनिकों को भी भारत में घुसना पड़ा और वहां की उथल पुथल हो क्यों रही है. भारत के लिए यह कितनी चिंता की बात है?

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट

विद्रोहियों का खास ऑपरेशन
म्यांमार में विद्रोही समूह की ओर से चीन की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्य शान में चलाए जा रहा ऑपरेशन 1027 की वजह से म्यांमार में स्थानीय लोगों के साथ सेना तक को भागना पड़ा है इससे जहां 6 हजार से लोग भारत से लगे मिजोरम राज्य में शरणार्थी के तौर पर घुसे आए, तो वहीं 45 म्यांमार सैनिक भी भारतीय सीमा में घुस चुके हैं.

म्यांमार के कई हिस्सों में
म्यांमार के विद्रोही समूह, नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी (एमएनडीएए), अराकान आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) नाम के तीन संगठनों ने ऑपरेशन 1027 लॉन्च किया है जिसके सफलता के बाद इसी तरह के कई अभियान म्यांमार के दूसरे हिस्सों में भी शुरू किए गए हैं. विद्रोही समूहों ने सैन्य ठिकानों और भारतीय सीमा से लगे चिन एवं काचीन राज्यों के साथ सागैंग इलाके के के व्यापार मार्गों पर हमले किए हैं.

भारत के मिजोरम और मणिपुर
यही कारण है कि भारतीय सीमा के पास हुई उथल पुथल के कारण भी संख्या में लोग पास के भारतीय राज्य मिजोरम में घुस आए और सैन्य तम्बुओं पर हुए हमले की वजह से भागे हुए 45 सैनिक भी मिजोरम में घुस गए. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तीखी झड़पों की वजह से करीब 90 हजार लोग विस्थापित हुए हैं बताया जा रहा है कि समूहों ने अपने पूर्व में चले आ रहे भेदभावों को ताक पर रख कर एकजुट हो कर म्यांमार की सेना पर हमला किया है.


म्यांमार की स्थितियां भारत को इस बार सीधे तौर पर प्रभावित कर रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या है इन झड़प का मकसद
इन हमलों का मुख्य लक्ष्य प्रमुख सैन्य इलाकों के साथ चीन और भारत के साथ लगने वाले व्यापारिक मार्गों पर कब्जा करना था. जहां भारत के साथ लगी म्यामांर की सीमा कम है. विद्रोहियों चिनश्वेहा पर कब्जा कर लिया है जिससे हर साल चीन के साथ 1.8 अरब डॉलर का व्यापार होता है.

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जारी रहेगा संघर्ष
माना जा रहा है कि आने वाले समय तक यह सैन्य संघर्ष जारी रहेगा. इसका भारत पर भी गहरा असर होने की संभावना है. एक तो बढ़ते शरणार्थियों से निपटना तो चुनौती होगी ही, भारत म्यांमार सीमा पर देश के रणनीतिक पूर्वोत्तर क्षेत्र खास तौर से मणिपुर और मिजोरम राज्या में सुरक्षा पर खासा असर देखने को मिलेगा.

भारत से कनेक्शन?
जहां मणिपुर के मैतेई समुदाय के की उग्रवादी समूह म्यांमार के सांगैंग में देखने को मिलते हैं, वहीं कुकी समुदाय का म्यांमार के चिन समुदाय से संबंध रहे हैं. इन समूहों को म्यांमार की जुंटा सरकार का समर्थन हासिल है. इसका स्पष्ट मतलब है कि म्यांमार की बिगड़ती स्थिति भारत के मणिपुर और मिजोरम में तनाव के हालात पैदा कर सकती है.

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लेकिन इसके अलावा केवल भारत के इन राज्यों में शरणार्थियों का आना ही एक बड़ी समस्या है. वैसे रही मणिपुर में सामुदायिक संघर्ष के कारण पिछले कई हफ्तों से यहां की हालात नाजुक और चिंताजनक बने हुए हैं. ऐसे में अचानक शरणार्थियों का आना एक बड़ी समस्या का कारण बन सकता है जबकि अनुमान लगाया जा रहा है कि शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है.


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