


रुड़की दिनांक04.11.2023
छल कपट और भेष बदलकर रावण ने क्या सीता का हरण।
पर्वतीय परंपराओं से प्रेरित आदर्श शिवाजी नगर ढंडेरा में चल रही रामलीला के सातवें दिवस की लीला का उद्घाटन सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह रावत, आलम सिंह रावत, रणजीत सिंह रावत, सत्यपाल सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह पवार ,राजेंद्र सिंह पवार ,बालम सिंह नेगी, गणेश सिंह रावत ,जसपाल सिंह रावत ,शिव सिंह बिष्ट, महावीर सिंह रावत, कुशाल सिंह गोसाई ,विनोद कोटनाला,राकेश चौहान ,देव सिंह सावंत अध्यक्ष शिवाजी कॉलोनी ,उदय सिंह पुंडीर जिला अध्यक्ष इन्टक ,श्रीमती कविता रानी पूर्व प्रधान कुमाऊनी होली मंडली, आशा नेगी महिला मंडली बी ब्लॉक विजयनगर व बलवीर सिंह मंडवाल ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया। सातवें दिवस की रामलीला रोचक रामलीला में वन में सूपर्णखा राम व लक्ष्मण से विवाह का आग्रह बार-बार करती है तंज आकर लक्ष्मण सूपर्णखा की नाक काट देते हैं। खर-दूषण को सूपर्णखा राम लक्ष्मण की कर करतूतों के बारे में बताती है तो वे राम लक्ष्मण को मारने जाते पर स्वयं मारे जाते हैं रावण मामा मारीच को मृग का वेश बनाकर पंचवटी भेजते हैं मृग छाला की जिद सीताराम से कहती है राम मृग का पीछा करते दूर चले जाते हैं है लक्ष्मण हाय लक्ष्मण की आवाज सीता व लक्ष्मण के कानों में पढ़ती है सीता लक्ष्मण को राम की मदद हेतु भेजते । रावण ने सीता स्वयंवर में घोषणा की थी कि वह सीता को साम दाम दंड भेद, छल कपट किसी न किसी रूप में अपने बस में कर लेगा । उसी सोच के चलते हुए रावण ने मामा मारीच को स्वर्ण हिरण का भेष रखकर चित्रकूट के आसपास विचरण करने को कहा जिससे सीता मोहित होकर राम से स्वर्ण हिरण की मांग करेगी , राम के हिरण के पीछे शिकार के लिए जाने के उपरांत , मैं रावण साधु का भेष बनाकर सीता को हर लाऊंगा । रावण की है योजना सफल भी हुई किंतु लक्ष्मण ने लक्ष्मण रेखा खींचकर सीता माता को बाहर न आने के लिए कहां रावण जब लक्ष्मण रेखा पार करने लगा तेज ज्वाला ने उसे अंदर जाने से रोका , इस पर रावण ने सीता को कहा मैं बंधी भिक्षा नहीं लेता हूं इसलिए बाहर आकर भिक्षा दें। सीता लक्ष्मण रेखा के बाहर आती है और रावण से हर ले जाता है।
रावण के रथ को जाता देख और माता सीता का रुदन सुनकर जटायु रावण को रोक लेता है। और सीता माता को छुड़वाने का असफल प्रयास करता है। दोनों में द्वंद युद्ध होता है। और अंततः रावण जटायु के पर काट देता है । जिसके फलस्वरूप वह बुरी तरह घायल हो जाता है। और हे राम हाय राम बिलखता, तड़पता रहता है। और इस प्रकार सातवें दिवस की लीला का पर पाठक
पटा पेक्ष हो जाता है। कलाकारों में लक्ष्मण सिंह बिष्ट रावण, सौरभ पावर राम, कुमारी रितु लखेड़ा सीता,बादल लखेड़ा लक्ष्मण, कुमारी रिया बिष्ट सूर्पनखा, दिव्यांशु थपलियाल, सुरेंद्र सिंह नेगी, अनूप, अभिनव, अव्वल सिंह मेघवाल, शुभम लखेड़ा, दरवान सिंह बुटोला, बालम सिंह नेगी,शाकुम्बरी चौहान, रविंद्र सिंह पवार,धन सिंह खत्री, महावीर प्रसाद डोभाल, शिशुपाल सिंह बिष्ट, सतीश कुकरेती, श्याम सिंह पवार, महिला अध्यक्ष संतोषी राणा, गायत्री देवी, रामेश्वरी पवार, वीरा गोसाई, विशम्बरी देवी ,संगीता रावत, सहयोग कार्यकर्ता में अध्यक्ष गौर सिंह भंडारी, संयोजक पुष्कर सिंह तोमर, सत्येंद्र सिंह नेगी, ज्ञान सिंह बिष्ट, परेश्वर प्रसाद लखेड़ा , जयवीर सिंह रावत, बच्चीराम कुण्डलिया, शिवचरण बिंजोला, भगत सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत ,विजय सिंह पवार , कुंदन सिंह नेगी, जय सिंह नेगी ,उमराव सिंह पटवाल, सतीश नेगी ,भीम सिंह बिष्ट, बलवंत सिंह भंडारी ,आनंद सिंह बर्थवाल ,रणजीत सिंह रावत, रोहित रावत, ऋतिक नेगी, लवली रावत ,अंजनी रावत, साक्षी डबराल, आराधना, पंचम सिंह बिष्ट, सुनील नेगी आदि राम भक्त उपस्थित थे।
मीडिया प्रभारी सतीश नेगी ने बताया लीला मंचन का उद्देश्य नई नई प्रतिभाओं को आगे लाकर, अपनी प्राचीन संस्कृति से रूबरू कराना है। इसका प्रतिफल हुआ की महिलाओं ने और बच्चियों बेटियों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा रामलीला में महिला पात्रों का अभिनय स्वयं बालिकाएं ही कर रही है। जो नारी उत्थान में एक सकारात्मक कदम है। क्योंकि वह अपने अपने इस किरदार को बखूबी निभा रही हैं।








