उत्तराखंड के शहरों में HIV का बढ़ता संकट: स्पा सेंटरों की आड़ में फैल रही वेश्यावृत्ति और नशे का जाल”

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रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर से उत्तराखंड के प्रमुख शहरों — हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार, देहरादून और ईश्वर (ऋषिकेश) — में हाल के वर्षों में HIV संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। अकेले हल्द्वानी में 400 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि ये मामले केवल चिकित्सा संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा कर रहे हैं।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

डॉक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बढ़ते संक्रमण का मुख्य कारण है — नशीली दवाओं का दुरुपयोग, असुरक्षित यौन संबंध, और खासतौर पर शहरों में तेजी से फैलते स्पा सेंटरों की आड़ में चल रही वेश्यावृत्ति।

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद, खासकर मैदानी क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण हुआ। देहरादून, हल्द्वानी और रुद्रपुर जैसे शहरों में स्पा सेंटरों का चलन बढ़ा, लेकिन दुर्भाग्य से इन स्पा सेंटरों में कई जगह ‘मसाज थेरेपी’ की आड़ में देह व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है।

इन स्पा सेंटरों के संचालन में बाहरी राज्यों से आए लोगों की भूमिका भी चिन्ताजनक है। बिना सख्त निगरानी और लाइसेंस सत्यापन के, ये सेंटर स्थानीय युवाओं को नशे और अनैतिक कार्यों के दलदल में धकेल रहे हैं।

हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे धार्मिक शहरों में भी हालात भयावह हैं। जहां एक ओर ये स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, वहीं दूसरी ओर स्पा और मसाज के नाम पर वहां दिन-प्रतिदिन कई अवैध गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार महिलाओं और बच्चों में भी HIV संक्रमण की दर तेजी से बढ़ी है, जो समाज की जड़ें हिला देने वाली बात है। इसके पीछे प्रमुख रूप से अनियंत्रित यौन व्यवहार, वेश्यावृत्ति और सामाजिक जागरूकता की कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी और कानून व्यवस्था की ढिलाई

स्पा सेंटरों में चल रही अवैध गतिविधियों की जानकारी के बावजूद, प्रशासन की ओर से अब तक कोई प्रभावशाली कार्रवाई नहीं हो पाई है। अधिकांश स्पा सेंटर जीएसटी नंबर और स्थानीय नगर निगम से स्वीकृति लेकर चल रहे हैं, लेकिन उनकी आड़ में क्या हो रहा है, इस पर नज़र रखने वाला कोई तंत्र सक्रिय नहीं दिखता।

रुद्रपुर में एक स्थानीय निवासी (नाम गोपनीय) ने बताया, “शहर में कई स्पा सेंटर हैं जहां रात के समय व दिन के उजाले में गाड़ियों की लाइन लगती है। अंदर क्या होता है, सबको पता है, पर पुलिस आंख मूंदे बैठी है।”

देहरादून में एक पत्रकार द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में भी यह सामने आया कि कई स्पा सेंटरों में पैकेज के नाम पर ‘स्पेशल सर्विस’ दी जाती है, जो सीधे तौर पर देह व्यापार की श्रेणी में आती है। यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि युवाओं और महिलाओं के जीवन के साथ भी खिलवाड़ है।

नशे और अनैतिकता का दलदल: फंसी हुई युवा पीढ़ी

इन स्पा सेंटरों में काम करने वाली कई युवतियाँ रोजगार की तलाश में फंस जाती हैं। एजेंसियाँ उन्हें ‘फुल टाइम जॉब’ या ‘थेरेपिस्ट’ कहकर बुलाती हैं, लेकिन बाद में जबरन अनैतिक कार्यों में धकेला जाता है। कई लड़कियाँ इससे बाहर निकलना चाहती हैं, लेकिन डर, शर्म और सामाजिक बहिष्कार के डर से चुप रहती हैं।

वहीं दूसरी ओर, युवा लड़के ग्राहक बनकर इन जगहों की ओर आकर्षित होते हैं। नशे की आदत, डिजिटल अश्लीलता, और तात्कालिक सुख के लालच में वे खुद को HIV और मानसिक बीमारी की चपेट में ले लेते हैं।

समाज पर पड़ता असर: टूटते परिवार और बढ़ती बीमारियाँ

HIV संक्रमण केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता — यह परिवार, रिश्ते और समाज को प्रभावित करता है। हल्द्वानी, रुद्रपुर और देहरादून के कई अस्पतालों में महिलाएं HIV पॉजिटिव पाई गई हैं, जिन्हें उनके पति द्वारा संक्रमित किया गया था। जब बच्चे भी संक्रमित होने लगें, तो यह संकेत है कि समाज गहरे संकट में है।

समाधान क्या है?

समस्या विकराल है, लेकिन समाधान असंभव नहीं। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. स्पा सेंटरों की गहन जांच और नियमित निरीक्षण अनिवार्य हो।
    • संदिग्ध सेंटरों का लाइसेंस रद्द किया जाए
    • CCTV अनिवार्य किया जाए
  2. एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए जो इन अवैध गतिविधियों पर नजर रखे।
  • युवाओं और महिलाओं के लिए पुनर्वास एवं काउंसलिंग सेंटर खोले जाएं।
    • नशा मुक्ति और नैतिक शिक्षा पर जोर
  • HIV टेस्टिंग और जागरूकता अभियान चलाया जाए, विशेषकर उच्च जोखिम वाले इलाकों में।
  • सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म पर पॉर्नोग्राफी व स्पा के नाम पर प्रचारित अनैतिक विज्ञापनों पर पाबंदी लगे।
  • धार्मिक और सामाजिक संगठनों को इस मुहिम से जोड़ा जाए।

उत्तराखंड की शांत, पहाड़ी संस्कृति आज मैदानी चकाचौंध के पीछे खोती जा रही है। यदि समय रहते इन अवैध स्पा सेंटरों को बंद नहीं किया गया और HIV जैसी जानलेवा बीमारी के फैलाव को नहीं रोका गया, तो भविष्य में यह एक महाविनाश का कारण बन सकता है।

समय आ गया है कि सरकार “राजस्व” की जगह “जनस्वास्थ्य” को प्राथमिकता दे। समाज को भी अब मौन तोड़ना होगा — क्योंकि यह सिर्फ किसी और की नहीं, हमारी अपनी लड़ाई है।



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