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रामपुर (19 अप्रैल 2025)।उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद में एक बार फिर दबंगों और भूमाफियाओं की साजिश उजागर हुई है। ताजा मामला बिलासपुर तहसील के रतनपुरा गांव का है, जहां मदन मित्तल नामक एक प्रतिष्ठित सामाजिक व्यक्ति की पैतृक भूमि पर साजिशन कब्जा करने का प्रयास किया गया। हैरानी की बात यह है कि उक्त भूमि पर पहले से ही अदालत का स्टे ऑर्डर लागू है, बावजूद इसके कुछ प्रभावशाली तत्वों ने खुलेआम इस आदेश की अवहेलना की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार की दोपहर जब मदन मित्तल अपनी भूमि (गाटा संख्या-110 मिन.) पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि वहां एक ट्रैक्टर ट्रॉली (UP22AV7292) से ईंटें उतारी जा चुकी हैं और चट्टा बना दिया गया है। यह ईंटें, ग्राम महतोष निवासी जसपाल सिंह पुत्र मंगल सिंह एवं ग्राम सिकरौरा निवासी राजेन्द्र सिंह व उनके पुत्र गुरकीरत सिंह द्वारा डलवायी गई थीं।
पीड़ित का आरोप है कि यह पूरी कार्यवाही सुनियोजित साजिश के तहत की गई है और उसका मकसद उनकी ज़मीन पर जबरन कब्जा करना है। इतना ही नहीं, मदन मित्तल ने यह भी बताया कि ये लोग लगातार उन्हें धमकियां दे रहे हैं — “कोर्ट का आदेश अपनी जगह, लेकिन हम ज़मीन भी कब्जाएंगे और तुझे देख भी लेंगे।”
अदालती आदेश की खुली अवहेलना
यहां यह उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि पर सिविल जज (जू0डी0) रामपुर की अदालत ने दिनांक 30 अक्टूबर 2024 को स्पष्ट आदेश पारित किया था, जिसमें प्रतिवादियों को भूमि में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने से मना किया गया था। लेकिन इस आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए दबंगों ने खुलेआम ईंटें डालकर कब्जे की प्रक्रिया शुरू कर दी।
क्या पुलिस संरक्षण में पल रहे हैं भूमाफिया?
स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त आरोपियों की गिनती रसूखदार और संगठित भूमाफियाओं में होती है। सवाल उठता है कि जब अदालत का स्पष्ट आदेश मौजूद है, तब भी पुलिस की निष्क्रियता किस ओर इशारा कर रही है? क्या भूमाफियाओं को राजनीतिक या पुलिस संरक्षण प्राप्त है?
मदन मित्तल ने पुलिस अधीक्षक को भेजा शिकायती पत्र
इस घटनाक्रम के बाद, मदन मित्तल ने पुलिस अधीक्षक, रामपुर को एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा है, जिसमें उन्होंने अवैध कब्जे, धमकियों और संभावित जानमाल के खतरे का जिक्र करते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपील की है कि ईंटों को तत्काल हटाया जाए और आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
सवाल जो जवाब माँगते हैं:
- क्या रामपुर प्रशासन और पुलिस अदालत के आदेशों को गंभीरता से लेते हैं?
- क्या भूमाफियाओं पर राजनीतिक दबाव और पुलिस की मिलीभगत का जाल बना हुआ है?
- क्या आम आदमी की भूमि की रक्षा के लिए कोई पुख्ता तंत्र बचा है?
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की भूमि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में जन्म ले रहे एक ऐसे आपराधिक तंत्र की ओर इशारा करता है, जो कानून और न्याय व्यवस्था को आँखें दिखा रहा है।
सरकार और प्रशासन से मांग है कि इस मामले को उदाहरण बनाकर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि आम जनता को यह भरोसा हो कि उनका हक और उनकी जमीन सुरक्षित है।
