रूद्रपुर अटरिया रोड़ पर स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ मां अटरिया मंदिर में चैत्र माह में नवरात्र के अष्टमी पर्व दिवस से पिछले कई दशकों से अटरिया मेले का आयोजन होता आ रहा है। जिसमें नगर एवं दूरदराज क्षेत्रों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर मां अटरिया की विधि विधान से पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं। मान्यता है कि मंदिर में मांगी गई मन्नतें मां अटरिया अवश्य पूरी करती है। मंदिर परिसर के बाहर सरकारी एवं काश्तकारों की भूमि पर दशकों से मेला भी आयोजित होता आ रहा है। जिसमें पूजा सामग्री, खान पान की दुकानों के साथ ही खेल खिलौने, श्रृंगार सामग्री, बर्तन, कपड़े, दैनिक उपयोग की वस्तुएं सहित कई झूले भी लगाये जाते हैं। जहां मेले में आने वाले श्रद्धालु मंदिर में पूजा अर्चना करने के साथ ही मंेले में खरीददारी तथा मनोरंजन करते हैं। पूर्व में यहां मेले आयोजन की जिम्मेवारी ठेका प्रथा पर दी जाती थी। परंतु मन्दिर समिति का ठेकेदारों से वैचारिक मतभेदों के कारण गत वर्ष प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्थता में कमेटी का गठन कर मेला आयोजन के लिए नीलामी की गई। पिछले वर्ष मेला का ठेका 22 लाख रूपये से ऊपर में छूटा था और जीएसटी लगाकर 26 लाख रूपये से ऊपर की रकम सरकारी खजाने में जमा कराई गई थी। परंतु इस वर्ष लोकसभा चुनावके मद्देनजर लगी आचार संहिता के चलते मेले के आयोजन के लिये नीलामी नहीं कराई जा सकी। जिस पर माता अटरिया मन्दिर समिति द्वारा प्रशासन को एक पत्र भेजकर मेले लगाये जाने की अनुमति मांगी गई। अनुमति न मिलने के बावजूद भी समिति द्वारा मेले का आयोजन कर लिया गया। बताया जाता है कि समिति द्वारा पिछले वर्ष हुई नीलामी की धनराशि जितना शुल्क इस वर्ष भी सरकारी खजाने में जमा कराये जाने की बात कहकर मेला लगाया गया था। मेले के दौरान चढ़ावा,मुण्डन, शौचालाय,सर्कस, झूले और दुकाने आदि से मन्दिर समिति को पिछले वर्षो की भांति इस वर्ष भी करोड़ो रूपये की आय हुई। करोड़ों में आय होने के बावजूद भी मन्दिर समिति द्वारा 26 लाख रूपये से अधिक का शुल्क सरकारी खजाने में अभी तक जमा नही कराया गया है। सरकारी शुल्क जमा न कराये जाने की जानकारी जब एसडीएम को लगी तो उन्होने गत दिवस मेले के सभी पक्षकारों को बुलाकर जमकर फटकार लगाई। इस दौरान एक पक्षकार द्वारा बताया गया कि उसके द्वारा 6 लाख रूपये सरकारी खजाने में जमा करा दिये गये है। एसडीएम ने मन्दिर समिति को 1 दिन का समय देते हुये शेष सरकारी शुल्क तुरन्त जमा करने का निर्देश दिया। बताया जाता है कि मन्दिर समिति द्वारा अभी तक मेले की नीलामी का सम्पूर्ण शुल्क अभी तक जमा नही कराया गया है। अब देखना यह होगा कि बिना अनुमति के लगाये गये मेले और उसके बावजूद अभी तक सरकारी शुल्क जमा न किये जाने के मामले में प्रशासन द्वारा मेला आयोजकों के खिलाफ क्या कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

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