विधानसभा सत्र में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई। विपक्ष ने बढ़ते अपराध और नशा कारोबार को लेकर सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए।

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पुलिस पर कानून व्यवस्था को संभालने की बजाय खनन के मामलों में अधिक दिलचस्पी लेने का आरोप लगाया। संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब में कांग्रेस शासन के अपराध गिनाने शुरू किए, तो विपक्ष ने नारेबाजी कर विरोध जताया। सांकेतिक रूप से सदन का वॉकआउट किया।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि 17 महीने के भीतर राज्य में महिला अपराधों में इजाफा हुआ है। हत्या, रेप, अपहरण के केस बढ़ते जा रहे हैं। राजधानी देहरादून में ही अपराध की बाढ़ आ गई है। अंकिता भंडारी, देवाल में पिंकी, उत्तरकाशी, चंपावत में हुई बेटियों की हत्या पर सरकार मौन है। किसी को भी न्याय नहीं मिला है। सरकार अंकिता हत्याकांड की सीबीआई जांच कराए।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार अंकिता केस की क्यों हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में जांच नहीं करा रही। राज्य की जब कानून व्यवस्था ही सही नहीं है, तो यहां निवेश कैसे आएगा। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि पुलिस अपराध रोकने की बजाय टिक टॉक और रील बनाने में व्यस्त है। सिर्फ वाहनों का चालान होता है।

दुकानदारों को परेशान करने समेत जमीनों, खनन के मामलों में पुलिस ज्यादा दिलचस्पी लेती है। आदेश चौहान ने नशा कारोबार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में सबसे अधिक अपराध बढ़ा है। गोपाल राणा, मनोज तिवारी, ममता राकेश, अनुपमा रावत ने भी कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए।

जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य में शत प्रतिशत केस न सिर्फ दर्ज हो रहे हैं, बल्कि उनका खुलासा भी हो रहा है। अंकिता भंडारी केस में भी पुलिस की कार्यवाही को कोर्ट ने भी संतोषजनक बताया है। कांग्रेस सरकार की तुलना में अपराधों में कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों में भी अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की स्थिति बहुत बेहतर है। इस जवाब पर विपक्ष ने जमकर हंगामा करते हुए सदन का सांकेतिक बहिष्कार किया।


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