संपादकीय | रुद्रपुर: अतिक्रमण की गिरफ्त में घुटता शहर, अंबेडकर पार्क पर फिर मंडरा रहा संकट

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रुद्रपुर शहर, जो उत्तराखंड राज्य का प्रवेश द्वार कहा जाता है, आज अराजकता और अतिक्रमण की चपेट में है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि शहर के प्रतिष्ठित डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, जो सामाजिक न्याय और समरसता का प्रतीक है, वहाँ भी अब अव्यवस्था का बोलबाला है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]

हाल ही में अंबेडकर प्रतिमा के साथ की गई छेड़छाड़ ने न सिर्फ आम जनता की भावनाओं को आहत किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि प्रशासन की लापरवाही और अतिक्रमणकारी तत्वों का गठजोड़ किस हद तक बढ़ चुका है।

अंबेडकर पार्क, जहां कभी विचार और बदलाव की प्रेरणा मिलती थी, वहाँ अब शराब, मीट, मछली, अंडे, पकौड़ी और चाट वालों की भीड़, और जगह-जगह फैली गंदगी ने इस स्थल की गरिमा को बुरी तरह प्रभावित किया है।

नगर निगम ने उठाया सराहनीय कदम, परंतु अधूरा समाधान नहीं चलेगा

नगर निगम द्वारा इन ठेलों और अवैध अतिक्रमणों को हटाना एक स्वागत योग्य कदम है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक अस्थायी ‘शोपीस’ कार्रवाई थी?

गांधी पार्क के चारों ओर दोबारा लग रहे ठेले, वेंडिंग ज़ोन का सवाल अधूरा

जहां एक तरफ अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही हो रही है, वहीं दूसरी तरफ पुराने स्थानों पर इन्हीं ठेलों को दोबारा लगाए जाने की खबरें निराशाजनक हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वेंडिंग ज़ोन योजना केवल दस्तावेज़ों में ही कारगर रही है।

नव-निर्वाचित मेयर विकास शर्मा के लिए चुनौती

मेयर विकास शर्मा ने मुख्यमंत्री के आगमन पर वेंडिंग जोन की चाबी सौंपते हुए अतिक्रमण मुक्त शहर का सपना दिखाया था। परंतु आज, जब ठेले फिर से मुख्य चौराहों और सड़कों पर कब्जा कर रहे हैं, तो यह सपना टूटता नजर आ रहा है।

ठेलेवालों को भी चाहिए सुनियोजित व्यवस्था

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि रोज़गार के लिए सड़कों पर बैठने को मजबूर ठेलेवाले भी एक वर्ग हैं, जिन्हें उचित व्यवस्था देना प्रशासन का दायित्व है। लेकिन अराजकता के नाम पर छूट देने का मतलब यह नहीं कि पूरे शहर को बंधक बना दिया जाए।

अतिक्रमण से पैदा होता है अराजकता का माहौल

सड़कों पर चलने में महिलाओं और स्कूली बच्चों को हो रही परेशानी से लेकर, यातायात जाम और साफ-सफाई की दुर्दशा तक, हर समस्या की जड़ में यही ठेला संस्कृति और अतिक्रमण है।

शहर के हर कोने से अतिक्रमण हटे, तभी बनेगा सुंदर रुद्रपुर

जो दुकानदार अपने व्यवसाय के आगे ठेले लगवा रहे हैं, वे न केवल फुटपाथ का कब्जा कर रहे हैं, बल्कि इन गरीब ठेलेवालों का आर्थिक शोषण भी कर रहे हैं। यह दोहरा अत्याचार है, जो बंद होना चाहिए।

रुद्रपुर को उत्तराखंड का सबसे सुंदर प्रवेश द्वार बनाने का सपना, तभी साकार होगा जब शहर को अतिक्रमण मुक्त कर संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के विचारों के अनुरूप न्याय और समानता की भावना से संचालित किया जाएगा।

प्रशासन, मीडिया और आम जनता को इस दिशा में सजग रहकर मिलकर कार्य करना होगा।

– अवतार सिंह बिष्ट

राज्य आंदोलनकारी एवं संवाददाता

(शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स)

रुद्रपुर, उत्तराखंड



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