उत्तराखंड में विवाहित स्त्रियां अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना हेतु वट सावित्री का उपवास रखती है

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करक चतुर्थी(करवाचौथ) 2023
सभी सनातनीय पाठकों धर्मावलंबियों को सादर प्रणाम। अवगत कराना चाहूंगी सुहागन स्त्रियों का आस्था का प्रतीक करवा चौथ पर्व 1 नवंबर 2023 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य व जीवनसाथी की अच्छी सेहत एवं दीर्घायु की कामना हेतु इस दिन निर्जला उपवास रखती है।
हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व माना गया है। करवा चौथ विशेषकर भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है।
उत्तराखंड में विवाहित स्त्रियां अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना हेतु वट सावित्री का उपवास रखती है
इस वर्ष करक चतुर्थी (करवाचौथ) पर विशेष योग बन रहा है। चंद्र देव अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहेंगे। देव गुरु बृहस्पति मेष में एवं शनि स्वराशि कुंभ में होने से सुख और समृद्धि में वृद्धि होगी इसके अतिरिक्त सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है। करवा चौथ पर्व पर शिवयोग, सर्वार्थसिद्धि योग व परिघ योग होने से जातकों को विशेष फल की प्राप्ति होगी।

करवा चौथ शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 31 अक्टूबर 2023 रात्रि 9:32 से 1 नवंबर 2023 रात्रि 9:21 तक।
चंद्रोदय रात्रि 8:15 पर होगा।
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:36 से लेकर 06:54 बजे तक रहेगा।(सभी राज्यों में अलग समय हो सकता है)।

विधि
सूर्योदय से पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के उपरांत सोलह श्रृंगार करें उपवास का संकल्प लें। सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखें चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें। करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा का विधान है। इस दिन पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी,भगवान शिव और गणेश जी को आसन में बिठाकर। रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप,नैवेद्य पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई आदि अर्पित करते हैं।मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें घी का अखंड दीपक जलाएं। व्रत कथा पढ़ सकते हैं।
चावल, सोलह श्रृंगार सामग्री,भेंट मां गौरी को समर्पित करे। पूजा के उपरांत सामग्री को किसी सुहागन महिला को भेंट स्वरूप दे सकते हैं। पूर्ण चंद्रोदय होने पर तब चंद्र दर्शन कर छलनी से देखकर अर्घ्य दें। आरती उतारें ,पति के दर्शन करते हुए पूजा करें। पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें। पति के हाथ से जलपान कर उपवास का पारण करें।

छलनी से चंद्र दर्शन करने का कारण
आपने अक्सर देखा होगा करवा चौथ पर्व पर महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती है फिर अपने पति के दर्शन करती हैं इसके पीछे का कारण क्या है। चंद्र देव को सुंदरता, प्रेम,शीतलता का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां छलनी से पहले चंद्र दर्शन फिर अपने जीवनसाथी को निहारती है व चंद्रदेव से पतिदेव की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जैसे छलनी से छलने के बाद किसी भी वस्तु की अशुद्धियां अलग हो जाती हैं। केवल शुद्ध वस्तु ही बचती है ठीक उसी प्रकार करवा चौथ पर महिलाएं अपने प्रेम की शुद्धता हेतु छलनी से चंद्र दर्शन करती है छलनी से चांद को देखकर पति की दीर्घायु और सौभाग्य में बढ़ोतरी की प्रार्थना करती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ.मंजू जोशी


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