इस पूरे विवाद पर पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिक्रिया भी सामने आई. उन्होंने भी प्रेमचंद अग्रवाल के बयान को घोर आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, “इस प्रकार की भाषा किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति से अपेक्षित नहीं है. नाराजगी स्वाभाविक है, जो वीडियो मैंने देखा और सुना, वह पूरी तरह से आपत्तिजनक था. प्रेमचंद अग्रवाल हमारे संसदीय कार्य मंत्री हैं, वे विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं और कई बार विधायक भी रहे हैं. ऐसे में उनसे इस प्रकार की भाषा और आचरण की उम्मीद किसी को नहीं थी. इसे कोई भी उचित नहीं ठहरा सकता.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी की माफी की मांग
उन्होंने कहा कि हम सब उत्तराखंड के लोग हैं और हमें राज्य का सौहार्द बनाए रखना चाहिए. अगर कुछ लोग इस विवाद को और भड़का रहे हैं तो यह भी उचित नहीं है. लेकिन हां, जो प्रेमचंद अग्रवाल जी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि उसे कोई उचित ठहरा सकता है. उन्हें खुद भी समझ आ गया होगा जो वो सही नहीं है उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. हालांकि, प्रेमचंद अग्रवाल पहले ही इस मामले में खेद जता चुके हैं और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग चुके हैं.
दरअसल यह विवाद तब शुरू हुआ जब विधानसभा सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल के मुंह से देसी पहाड़ी जैसे शब्द निकले और उन्होंने कुछ अन्य अपशब्दों का भी प्रयोग किया. इस बयान के बाद उत्तराखंड में भारी विरोध शुरू हो गया, खासकर पहाड़ी मूल के लोगों ने इसे अपनी अस्मिता से जोड़ते हुए प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और उनके इस्तीफे की मांग की है.
प्रेमचंद अग्रवाल पर होगी कार्रवाई
अब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पार्टी पर प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव और ज्यादा बढ़ गया है. वहीं भाजपा पूरे मामले पर बैकफुट पर है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है. उत्तराखंड में पहाड़ी और मैदानी इलाकों की राजनीति हमेशा से संवेदनशील रही है, और इस तरह के विवादों का जनाधार पर प्रभाव पड़ सकता है

