भारत अब समुद्र की मौन स्थिति को अपनी ताकत के रूप में बदलने जा रहा है। फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की खरीद भारतीय नौसेना की शक्ति को दोगुना कर देगी और हिंद महासागर में भारत की स्थिति को अपराजेय बना देगी।

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यही कारण है कि भारत द्वारा राफेल खरीदने का ऐलान करने के बाद पाकिस्तान के विशेषज्ञ चिंतित हैं।

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

दरअसल, हिंद महासागर, जो भारत के 90% से अधिक व्यापार का मार्ग है, आज चीन की सक्रियता और भारत की बढ़ती रणनीतिक भूमिका का केंद्र बन चुका है। ऐसे में भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो न सिर्फ उसकी नौसैनिक शक्ति को मजबूत करेगा, बल्कि चीन के समुद्री आक्रमण को भी प्रभावी तरीके से रोक सकेगा।

कमर चीमा ने यूट्यूब वीडियो में जाहिर की चिंता

पाकिस्तान के जियो-पॉलिटिकल विशेषज्ञ कमर चीमा ने अपने यूट्यूब वीडियो में यह कहा कि “पाकिस्तान को IMF से एक अरब डॉलर के लोन के लिए बार-बार दरवाजे पर जाना पड़ता है, जबकि भारत 7 अरब डॉलर में फ्रांस से 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने जा रहा है।” यह राफेल मरीन, फ्रांस का ऐसा विमान है जो एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ सकता है और इसमें तेज़ी, घातक ताकत और बहुउद्देशीय क्षमताएँ होती हैं। यह वही विमान है जो फ्रांसीसी नेवी के Charles de Gaulle एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ता है, और अब भारत के INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से भी उड़ान भरेगा।

कमर चीमा ने कहा है कि राफेल सौदा भारत के शक्ति प्रदर्शन का एक हिस्सा है, जिसके माध्यम से भारत हिंद महासागर में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करना चाहता है। उन्होंने यह भी बताया कि चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है, इसलिए भारत अपनी नौसेना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

भारत-चीन को लेकर कही ये बात

विशेषज्ञों के अनुसार, अब 3.5 मोर्चों पर युद्ध की संभावना व्यक्त की जा रही है- पहला मोर्चा चीन, दूसरा पाकिस्तान, तीसरा बांग्लादेश और अगला मोर्चा मालदीव। ऐसे में भारत को अपनी वायुसेना के साथ-साथ नौसेना को भी मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। कमर चीमा ने यह भी कहा कि भारत को चीन से यह डर नहीं है कि वह भारत की ज़मीन पर हमला करेगा, बल्कि भारत का डर यह है कि चीन उनके व्यापार मार्गों पर हमला कर सकता है। इसीलिए भारत अपनी रक्षा तैयारियों को और सशक्त बना रहा है।

भारत का लगभग 95% व्यापार समुद्र के मार्गों से होता है, और इसमें हिंद महासागर की अहम भूमिका है। अधिकांश व्यापारिक मार्ग इंडो-पैसिफिक समुद्री रास्तों से गुजरते हैं। यदि इस समुद्री मार्ग पर चीन का प्रभाव बढ़ता है, तो यह भारत की आर्थिक, सामरिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इस कारण भारतीय नौसेना अब केवल एक सुरक्षा बल नहीं रही, बल्कि एक “Trade Protector Force” के रूप में कार्य कर रही है। राफेल मरीन जैसे उन्नत जेट्स इस सुरक्षा ढांचे को और मजबूत करते हैं।

समुद्र के बीच से भारत कर सकता है एयरस्ट्राइक

INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर राफेल मरीन के साथ मिलकर फ्लोटिंग एयरबेस बन जाते हैं, जिसका मतलब है कि भारत समुद्र के बीच से एयरस्ट्राइक कर सकता है, बिना किसी स्थिर एयरबेस पर निर्भर हुए। यही कारण है कि पाकिस्तान के विशेषज्ञों में राफेल सौदे को लेकर चिंता और डर पैदा हो गया है।


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