हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स / प्रिंट मीडिया : शैल ग्लोबल टाइम्स/ संपादक ;अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड
खबरों के मुताबिक, इजराइल ने अपने फाइटर जेट एफ-16 में ऐसे बदलाव किए हैं जिससे उसके ईधन की क्षमता 50 फीसदी तक बढ़ गई है और वे परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हो गया है.
पश्चिमी मीडिया ने 19 अप्रैल को दावा किया था कि इजराइल ने ईरान के इस्फ़हान शहर पर हमला किया है. ईरान ने इस हमले में किसी भी प्रकार की क्षति होने के दावों को नकार दिया था. लेकिन अब इजराइल ईरान पर विनाशकारी हमला करने की सोच चुका है. इजराइल अपनी रक्षा प्रणाली को इस हिसाब से मजबूत कर रहा है कि वे इजराइल का ज्यादा से ज्यादा नुकसान कर सके.
इजराइल का नया हथियार ‘स्टोर्म’
इजराइल ने अपने F-16 में अपग्रेडेशन करके उसकी ईधन क्षमता को दो गुनी कर लिया है और उसको परमाणु हथियारों को लंबी दूरी तक ले जाने के काबिल बना लिया है. इजराइल से ईरान की दूरी करीब 2 हजार किमी है, यहां कोई भी हमला करने के लिए इजराइल को लंबी दूरी के मिसाइल और प्लेन की जरूरत होगी. इजराइल ने अपने इस नए प्लेन + परमाणु हथियार का नाम तूफान (Storm) दिया है. ये F-16 प्लेन परमाणु बम लेकर सीधे इजराइल से ईरान के आसमान तक उड़ान भर सकता है.
मध्यपूर्व में बड़ा परमाणु जंग का खतरा
मध्यपूर्व का तनाव हर दिन बढ़ता जा रहा है. पूरे मध्यपूर्व में परमाणु हथियार इजराइल के पास है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल के पास करीब 400 परमाणु हथियार हैं. हाल ही में ईरान के एक सांसद ने ये भी दावा किया है कि हम सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई के आदेश का इंतजार है और हम एक हफ्ते के अंदर परमाणु हथियार बना लेंगे. बता दें कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर आरोप लगते आए हैं कि वे इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने की कोशिशों के लिए कर रहा है, जबकि ईरान का कहना है उसका ये प्रोग्राम देश की ऊर्जा के लिए है.
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युद्ध विराम प्रस्ताव पर चर्चा
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजराइल द्वारा हमास द्वारा किए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर चर्चा की. ब्लिंकन ने इस प्रस्ताव को अच्छा बताया. इसी तरह रियाद में मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने भी ऐसा ही बयान दिया था.उन्होंने कहा कि इजराइल और हमास के बीच प्रस्ताव की स्वीकृति होना जरूरी है. दोनों ही पक्षों को इस पर विचार करना चाहिए,
अमेरिका ने किया आगाह
अमेरिका ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ इजराइल को भी अपने सैन्य अभियान के प्रति आगाह किया है. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी रियाद यात्रा के समय भी इस बात को दोहराया था. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि इस तरह का हमले को अमेरिका किसी भी तरह से समर्थन नहीं देगा. दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की ओर से भी कहा गया है कि राफा पर कोई आक्रमण नहीं होगा. कहा तो यहां तक जा रहा है की बाइडेन और नेतन्याहू के बीच फोन पर बातचीत भी हुई है, हालांकि बातचीत क्या हुई यह अभी तक साफ नहीं है.
नेतन्याहू का कहना है कि हमास के साथ संघर्ष विराम वार्ता में सफलता की परवाह किए बिना इस्राइली सेना द्वारा अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लक्ष्यों को प्राप्त करने से पहले युद्ध को रोकना कोई विकल्प नहीं है।
हम हर हाल में जीत हासिल करेंगे- नेतन्याहू
इस्राइल के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम राफा में प्रवेश कर हमास की बटालियनों को खत्म करेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे कोई समझौता हो या न हो, हम हर हाल में जीत हासिल करेंगे। कुछ देशों ने पीएम नेतन्याहू और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तजाची हानेग्बी से युद्ध जारी रखने और अंतरराष्ट्रीय दबावों का विरोध करने का आग्रह किया है।
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अमेरिका ने की युद्धविराम प्रस्ताव पर चर्चा
उधर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस्राइल द्वारा हमास को दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर चर्चा की। ब्लिंकन ने इस प्रस्ताव को असाधारण रूप से उदार बताया। उन्होंने कहा कि हमास को इस प्रस्ताव पर जल्द ही फैसला करना होगा और उम्मीद है कि सही निर्णय लिया जाएगा। रियाद में मौजूद मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने कहा इस्राइल और हमास के बीच प्रस्ताव की स्वीकृति होना जरूरी है। इस पर दोनों पक्षों को विचार करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रस्ताव पर जल्द ही विचार किया जाएगा और अंतिम फैसले का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि इस्राइल के अधिकारियों ने स्थायी शांति बहाल करने के उद्देश्य से बातचीत में शामिल होने का संकेत दिया है।
हमास की एक मांग पर इस्राइल की सहमति
इस्राइल ने हाल ही में हमास की एक मांग पर सहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि उत्तरी गाजा में फलस्तीन के लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध न लगाया जाए। माना जा रहा है कि यह इस्राइल और हमास के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रियायत थी। इसके बाद भी राफा में इस्राइल के सैन्य आक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।
अमेरिका ने किया इस्राइल को आगाह
उधर अमेरिका ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ इस्राइल को राफा में एक बड़े सैन्य अभियान के प्रति आगाह किया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ब्लिंकन ने अपनी रियाद यात्रा के दौरान अपनी बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए अमेरिका द्वारा इस तरह के हमले का समर्थन नहीं किया गया जाएगा। उधर व्हाइट हाउस द्वारा कहा गया है कि बाइडन प्रशासन द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान होने तक राफा पर कोई आक्रमण नहीं होगा। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच फोन पर बातचीत हुई। इस दौरान अमेरिका ने राफा पर इस्राइली आक्रमण का विरोध जताया गया। इसके बावजूद गाजा में इस्राइल के हवाई हमलों से मरने वालों की संख्या में वृद्धि जारी है।
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फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास का कहना है कि अमेरिका ही एकमात्र देश है जो इजराइल को इस अपराध को करने से रोकने में सक्षम है.
इजराइली अधिकारियों ने स्थायी शांति बहाल करने के उद्देश्य से बातचीत में शामिल होने की इच्छा का संकेत दिया था. हमास ने कहा है कि स्थायी युद्धविराम और इजराइल की पूर्ण वापसी किसी भी समझौते के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं. हालांकि इसके विपरीत, इजराइल ने हमास के खत्म होने तक गाजा में अपना अभियान जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है.
पीछे हटने को राजी नहीं इजराइल
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहूकी ये घोषणा ऐसे समय में आई है, जब गाजा में सीजफायर के समझौते पर इजराइल और हमास से दुनिया उम्मीद लगा रही है. हालांकि मिस्र, कतर और अमेरिका ने दोनों पक्षों को सहमत कराने के लिए कई बार कोशिश की है लेकिन बेंजामिन के इस बयान से लगता है वो सीजफायर के मूड में नही हैं.
अमेरिका पर भरोसा
हमास की बात करें तो उसका कहना है कि वह बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों के लिए कई बंधकों की रिहाई और 40 दिनों के सीजफायर की योजना तैयार कर रहा है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने रफा पर हमला न करने के लिए अमेरिका पर भरोसा जताया हैं. उनका मानना है कि अमेरिका इजराइल को समझा सकता है और सीजफायर या फिर युद्ध रोकने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है.
हमले से डर रहा फिलिस्तीन
इस मामले को लेकर अब्बास ने कहा कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका से अपील करते हैं कि वह इजराइल से रफा ऑपरेशन को रोकने के लिए कहे, क्योंकि अमेरिका ही एकमात्र देश है जो इजराइल को इस अपराध को करने से रोकने में सक्षम है.” आगे उन्होंने कहा अगर इजराइल रफा पर हमला करता है तो सभी लोग यहां से भागने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
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हमास ने इजरायल से युद्ध को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए अपनी एक बड़ी शर्त की पेशकश की है। हमास का कहना है कि अगर उनकी ये शर्त मान ली गई तो वो एक आतंकवादी संगठन से एक राजनीतिक संगठन में बदल जाएगा और इजरायल (Israel) के साथ युद्ध के सीजफायर को भी स्वीकार कर लिया जाएगा। हमास (Hamas) के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि हमास अपने हथियार डाल देगा, जब 1967 से पहले की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना कर दी जाएगी।
फिलिस्तीन को पूर्ण राज्य बनाओ- हमास
इस्तांबुल (Istanbul) में एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए हमास के बड़े अधिकारी खलील अल-हया ने कहा कि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी (Gaza Strip) में एक पूर्ण संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य के गठन और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के मुताबिक फिलिस्तीनी (Palestine) शरणार्थियों की वापसी होगी और हमास फिलिस्तीन मुक्ति संगठन में शामिल होगा। हमास के अधिकारी ने कहा कि कब्जाधारियों के खिलाफ लड़ने वाले लोग जब आजाद हुए तो इन ताकतों ने क्या किया? वे राजनीतिक दलों में बदल गए और उनकी रक्षा करने वाली सेनाएं राष्ट्रीय सेना में बदल गईं। तो हम भी फिर ऐसा ही करेंगे।
अब युद्ध को खत्म करना चाहता है हमास
अल-हया ने कहा कि हमास गाजा और वेस्ट बैंक के लिए एक सरकार बनाने के लिए फिलिस्तीन मुक्ति संगठन में शामिल होना चाहता है। गौर करने वाली बात ये है कि हमास का ये बड़ा बयान तब आया है जब इजराइल पूरी ताकत से हमास पर गाज़ा में हमले कर रहा है औऱ बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करने का ऐलान भी कर दिया है। अब हमास का ये रुख इस बात का संकेत है वो अब इस युद्ध से पीछे हटना चाहता है।
दरअसल इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हजारों फिलस्तीनियों को आश्रय देने वाले गाजा के एक अन्य शहर पर हमला बोलने का मंगलवार को संकल्प लिया है। इससे हमास ही नहीं, बल्कि फिलिस्तीन की आम जनता भी थर्रा उठी है।
नेतन्याहू ने कहा कि वह रफह को खल्लास कर देंगे। उन्होंने कहा कि इजरायल ‘समझौते के साथ या उसके बिना’ हमास की बटालियनों को तबाह करने के लिए रफह में प्रवेश करेगा। इसके बाद भी भीषण जंग होगी। इजरायल और हमास बंधकों को मुक्त कराने और लगभग सात महीने से चल रहे युद्ध में कुछ राहत लाने के लिए संघर्ष विराम समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
नेतन्याहू ने लिया जीत का संकल्प
नेतन्याहू ने शुरू से ही हमास का पूरा खात्मा नहीं होने तक चैन से नहीं बैठने की शपथ ली थी। यही वजह है कि वह युद्ध विराम के प्रयासों को बार-बार खारिज करते रहे हैं। दूसरी वजह हमास द्वारा इजरायली बंधकों को रिहा नहीं करना भी है। इससे नेतन्याहू का गुस्सा और भड़क गया है। अब उन्होंने युद्ध में ‘पूरी तरह जीत हासिल करने’ का संकल्प लिया है और उन पर रफह में हमला करने के लिए उनकी सरकार में शामिल ‘राष्ट्रवादी’ सहयोगियों का दबाव है। इजराइल का मानना है कि रफह शहर हमास का अंतिम बचा हुआ बड़ा गढ़ है। 30 अप्रैल (एपी)