कत्यूरी ध्वजबाहरी सफेद रंग: जीत, शान्ति का प्रतीक व पित्रों से प्रेम का द्योतक हैदो तिकोने: इसमें हमेशा ऊपरी तिकोना नीचे वाले तिकोने से थोड़ा छोटा होता है जो किसी साम्राज्य को बताता है ।

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एक तिकोने वाले झंडे अक्षरशः किसी मन्दिर के ध्वज को बताता है जैसे बद्रीनाथ आदि
केशरिया रंग: यह उदीयमान सूर्य, अग्नि आदि को प्रदर्शित करता है और राजा राम , श्री कृष्ण जी का ध्वज भी केशरिया ही था सनातन धर्म का रंग है जो खुशी हर्ष को बताता है केसरिया रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग केसरिया ही था। चित्त क्षोम और रात्रि अंधता में इस रंग का प्रयोग लाभदायक होता है केसरिया या भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है। भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है अग्निदेव का रंग भी है अर्थात सभी प्रकार की अशुद्धता को भस्म करता है और नवचेतन व प्रकाश का प्रतीक है
ॐ: सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को बताता है अतः उस परब्रह्म परमेश्वर की कृपा हमेशा बनी रहे य
यदि केशरिया पताका पर ॐ हो तो यह सर्ववर्णो का प्रतीक हो जाता है
श्री: श्रीजगदम्बा, आदि के प्रेम का प्रतीक है व ललितसूर देव के पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र से लिया गया है
卐: यह शुभ कार्यो को बताता है और माता लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का प्रतीक स्वरूप है
नन्दी जी: यह ललितपुर देव जी के पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र पत्र से लिया है जो कत्यूरियों के शिव उपासना को बताता है उन्होंने अनेको शिव मन्दिरों का निर्माण किया जैसे केदारनाथ, रामगंगा के किनारे बृद्ध केदारनाथ, जागेश्वर, बैजनाथ, बागेश्वर बागनाथ आदि
त्रिशूल: यह कत्यूरियों का मुख्य यंत्र शस्त्र व शत्रुभेदक है त्रिशूल इन्ही शिव जी का अस्त्र है जिसमे तीन कांटे हैं । जो दैहिक , दैविक और भौतिक कष्टो के नाश.करने का प्रतीक है

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ प्रिंट मीडिया: शैल ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर ,(उत्तराखंड) अध्यक्ष: उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद


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