2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से भारतीय मतदाताओं के मिजाज में एक गुणात्मक बदलाव आया है. मतदाता अब सरकारों का आंकलन उनकी परफॉरमेंस के आधार पर करने लगे हैं.
साल 2019 और 2024 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी रही हो या फिर 2022 में उत्तराखंड और यूपी और हाल ही में हरियाणा में बीजेपी सरकार की वापसी, इसकी बानगी है. यही क्रम हमें केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भी देखने का मिला रहा है.
जातिवाद का दांव फेल
इस उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूरी तरह नकारात्मक मुद्दों पर फोकस किया. क्षेत्रवाद से लेकर जातिवाद का दांव खुलकर चला गया.लेकिन मतदाताओं ने तमाम तरह के नकारात्मक प्रचार को सिरे से खारिज करते हुए, केदारनाथ धाम से लेकर पूरे यात्रा मार्ग के लिए केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार के विकास कार्यों पर मुहर लगाने का काम किया है.
कांग्रेस रही नकारात्मक
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का प्रचार मुख्य रूप से चारधाम यात्रा को कैंची धाम की ओर मोड़ने, दिल्ली में एक ट्रस्ट की ओर से बनाए जा रहे मंदिर को केदारनाथ धाम से जोड़ने, केदारनाथ मंदिर को दान में मिले सोना पर सवाल उठाने के साथ ही पहाड़ की दो प्रमुख जातियों को आमने सामने रखने पर केंद्रित था.
कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने खुलकर इन नकारात्मक मुद्दों का हवा दी. कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत तो यहां तक कह गए कि यह मुकाबला उनके और बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल के बीच नहीं बल्कि धाम और धामी के बीच है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत तमाम नेता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर हमलावर रहे. इस तरह कांग्रेस पूरी तरह विकास और जनसरोकार के मुद्दों को हासिए पर रखकर नकारात्मक मुद्दों पर निर्भर होती चली गई.
सीएम धामी ने गिनाए काम
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीजेपी के चुनाव अभियान का खुद नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने पहले ही दिन से केदारनाथ सहित पूरे चारधाम यात्रा मार्ग क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को जनता के सामने रखा. साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से महिलाओं, युवाओं के लिए चलाई जा रही नीतियों को हाईलाइट किया.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद उन्होंने आगे आकर उपचुनाव तक खुद को केदारनाथ सीट का विधायक माना और क्षेत्र के विकास के लिए लगभग 700 करोड़ की घोषणाएं कीं, जिनके शासनादेश भी जारी हो चुके हैं.
अपने कैम्पेन में धामी ने पीएम मोदी के केदार प्रेम को सबसे आगे रखा. उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में जलप्रलय से ध्वस्त हो चुकी केदारपुरी को प्रधानमंत्री ने किस तरह संवारा और आज केदारनाथधाम नये स्वरूप में दिखाई दे रहा है. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की 7 बार केदारनाथ की यात्रा का जिक्र उन्होंने अपने हर भाषण में किया. भाजपा प्रदेश संगठन ने भी कंधे से कंधा मिलाकर मुख्यमंत्री धामी का पूरा साथ दिया. पार्टी ने कैबिनेट मंत्रियों समेत पार्टी के सभी विधायकों का चुनाव प्रचार में बखूबी उपयोग किया.
भविष्य के लिए सबक
उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी कांग्रेस के निगेटिव नेरेटिव को तोड़ने में कामयाब रही. केदारनाथ की जनता ने क्षेत्रवाद ओर जातिवाद की खाई खींचने वाली ताकतों को झटका देकर, रजत जयंती वर्ष में उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के संकल्प पर भी मुहर लगा दी है.
एंटी इनकम्बेंसी के सूत्र पर नापे जाने वाली चुनावी राजनीति में मतदाता अब नकारात्मक प्रचार के बजाय काम करने वाली सरकारों को दोबारा जनादेश देने से हिचकते नहीं है. यही रुझान शनिवार को घोषित केदार विधानसभा उपचुनाव परिणाम में भी देखने को मिला है.