इस अवसर पर स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कौशियारी के साथ मां बाराही धाम पहुंचकर माता की पूजा कर बग्वाल युद्ध देखा. इस दौरान सीएम धामी ने युद्ध खेलने वाले रणबाकुरों का हौसला बढ़ाया. इस साल कुल 7 मिनट तक चले बग्वाल युद्ध में लगभग 150 रणबाकुरे घायल हुए.
पौराणिक लोक कथाओं के अनुसार पहले इस क्षेत्र में मानव बलि की प्रथा थी, जिसे कालांतर में बदलकर पत्थरों से खेली जाने वाली होली मैं बदल दिया गया. इसे अब पाषाण युद्ध बग्वाल कह कर पुकारा जाता है. यह युद्ध स्थानीय निवासी चार खामों क्रमश चम्याल, गहरवाल, बालिक और लंमगड़ियां खाम के बीच में खेला जाता है. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब यह युद्ध फल फूलों जैसे नाशपाती अमरूद आदि से खेला जाता है. यह भी कड़वा सच है कि खेल के उत्साह में खेल खेलने वाले चारों खेमो के योद्धाओं के द्वारा पत्थरों का उपयोग भी हो जाता है.
7 मिनट चले बग्वाल युद्ध में लगभग 150 लोग घायल
इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि इस साल 7 मिनट चले बग्वाल युद्ध में लगभग 150 रणबाकुर घायल हुए हैं जिनका इलाज मौके पर ही किया गया. वहीं चार गंभीर घायलों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है. इस वर्ष बग्वाल का आयोजन दोपहर के 2:14 से शुरू किया गया और जो 2:21 तक चला. इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं जाकर घायल रणबाकुरों का हाल जाना.