दूसरी कई विपक्षी पार्टियों को भी अलग-अलग समितियों की जिम्मेदारी मिली है, इसमें सपा से लेकर टीएमसी तक शामिल है। अब जिन समितियों का गठन हुआ है, उनमें राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्यों को रखा गया है।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर
किस पार्टी के पास कौन सी समिति?
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस सरकार से 6 स्टैडिंग कमेटियों की अध्यक्षता मांग रही थी, लेकिन उसे सिर्फ चार कमेटियां दी गई हैं। कांग्रेस के पास विदेश, शिक्षा, कृषि, ग्रामीण मामलों की कमेटी रहने वाली है। इस बार सोनिया गांधी को किसी भी कमेटी का हिस्सा नहीं बनाया गया है, इससे पहले तक उन्हें भी जिम्मेदारी मिलती रहती थी। वैसे कांग्रेस के अलावा टीएमसी और डीएमके के खाते में भी दो-दो समितियां गई हैं। जेडीयू, टीडीपी, सपा, शिवसेना (एकनाथ), एनसीपी (अजित) को भी एक-एक कमेटी की जिम्मेदारी मिली है।
काम क्या करती हैं यह कमेटियां?
सत्ताधारी बीजेपी की बात करें तो सबसे ज्यादा कमेटियां फिर उसने अपने पास रखी हैं। कुल 11 कमेटियों की अध्यक्षता पारटी करने वाली है। जानकारी के लिए बता दें कि यह जितनी भी कमेटियां हैं, इनमें 31 सदस्य रहने वाले हैं, वहां भी 21 तो लोकसभा के होंगे और 10 राज्यसभा से शामिल होंगे। किसी भी कमेटी का कार्यकाल एक साल से ज्यादा नहीं रहने वाला है। ऐसे में अगले साल फिर नई कमेटियां बनने वाली हैं।
सरकार के लिए क्यों जरूरी कमेटियां?
वैसे समझने वाली बात यह है कि यह जो कमेटियां काम करती हैं, यह अध्यक्ष के ही निर्देशों के अनुसार वर्क करती हैं। सदन के अध्यक्ष ही इनको चुनते हैं और फिर उनके मुताबिक यह कमेटियां काम करती दिख जाती हैं। अपने विभाग से जुड़ी गड़बड़ियों की जांच करना, नए ड्राफ्त तैयार करवाना, जरूरी सुझाव देना कुछ ऐसे काम हैं जो इन समितियों को करने पड़ते हैं, ऐसे में सरकार को गाइड करने में इनकी अहम भूमिका रहती है।