पंचोत्सव: प्रकाश, प्रज्ञा और पंचजन्य का सनातन संदेश” विषय पर गुरुदेव नरेंद्र रावत ‘नरेन’ का प्रेरक ऑनलाइन प्रवचन!साहित्यिक सचेतना मंच एवं स्वास्तिक पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन)

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गुरुग्राम, 18 अक्टूबर 2025।
दीपोत्सव के पावन अवसर पर साहित्यिक सचेतना मंच एवं स्वास्तिक मासिक पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साप्ताहिक ऑनलाइन वेबिनार में संस्थापक एवं मार्गदर्शक आदरणीय गुरुदेव नरेंद्र रावत ‘नरेन’ जी ने “पंचोत्सव: प्रकाश, प्रज्ञा और पंचजन्य का सनातन संदेश” विषय पर प्रेरक व्याख्यान प्रस्तुत किया।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

गुरुदेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि सृष्टि का प्रारंभ ही द्वंद्व से हुआ है—देव और दानव, प्रकाश और अंधकार, सत्य और असत्य। यही द्वंद्व जीवन की गति और संतुलन का आधार है। उन्होंने कहा कि “देवत्व और दानवत्व दो विरोधी शक्तियाँ नहीं, बल्कि एक ही ऊर्जा के दो रूप हैं।” जब मनुष्य अपने भीतर के देव को जगाता है, तभी ब्रह्मांड उसके पक्ष में कार्य करता है।

उन्होंने “पंचजन्य” की व्याख्या करते हुए बताया कि मानव चेतना के पाँच स्तर—निषाद, शूद्र, वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण—दरअसल जाति नहीं बल्कि चेतना के विकास के पाँच आयाम हैं। इन्हीं आयामों की उन्नति हेतु पंचप्रकाशोत्सव मनाया जाता है—नरकचतुर्दशी, गोवर्धन पूजा, धनतेरस, भैयादूज और दीपावली।

गुरुदेव ने कहा, “यह पंचोत्सव केवल उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश, लोभ से दान और अज्ञान से आत्मबोध तक की यात्रा है। यह हमें आत्मशुद्धि, सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है।”

उन्होंने बताया कि—

  • नरकचतुर्दशी आंतरिक शुद्धि का प्रतीक है,
  • गोवर्धन पूजा प्रकृति और गौसेवा के प्रति कृतज्ञता का भाव है,
  • धनतेरस धन, स्वास्थ्य और धर्म के संतुलन का संदेश देता है,
  • भैयादूज प्रेम, सुरक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को पुष्ट करता है,
  • और दीपावली आत्मप्रकाश, प्रज्ञा और सत्य का दिव्य उत्सव है।

गुरुदेव ने कहा कि पंचोत्सव के इन पाँच दिवसों में व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भीतर स्थित प्रकाश को जगाए और समाज में प्रेम, सत्य, सेवा और समरसता के दीप प्रज्वलित करे।

गोष्ठी में देशभर से अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार उपस्थित रहे, जिनमें श्रवण कुमार, किरण कांडपाल, राम सिंह भंडारी, राहुल कुमार, रायसिंह भंडारी, हरि कृष्ण जोशी, शिवानी बडोनी, आशीष तिवारी, जयश्री सिंघल, यशोदा मैथानी, लक्ष्मण रावत, मीरा मोहन, उर्मिला पपनोई, शारदा कनोरिया, सावित्री भारतीय, योगेश गहतोड़ी एवं विजयश्री प्रमुख रूप से शामिल रहे।

कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन राष्ट्रीय महासचिव एवं संपादिका प्रीति डिमरी ‘प्रीत’ द्वारा किया गया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “सचेतना मंच सदैव सनातन संस्कृति, साहित्यिक जागरण और मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहेगा।”

अंत में सभी उपस्थित जनों ने गुरुदेव के साथ “ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः” का सामूहिक उच्चारण कर पंचोत्सव की शुभकामनाएँ दीं।


(प्रेषक)
प्रीति डिमरी ‘प्रीत’
राष्ट्रीय महासचिव एवं संपादिका,
साहित्यिक सचेतना मंच एवं स्वास्तिक मासिक पत्रिका
🌐 www.sachetna.net



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