
खंडपीठ ने निचली अदालत से चार्जशीट व अन्य का अवलोकन करके निर्णय पारित करने को कहा है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
मामले पर बीती दो जनवरी को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मामले के अनुसार 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के वनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने गई प्रसाशन व पुलिस की टीम पर अतिक्रमणकारियों व कई अन्य लोगों ने पथराव, आगजनी और गोलीबारी की।
हिंसा के दौरान दंगाइयों ने कई वाहनों समेत थाने को घेरकर गोलीबारी की। जिसमे कई लोगों की मौके पर मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए। जांच के बाद पुलिस ने 100 से अधिक दंगाइयों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक आरोपी अब्दुल मलिक भी था। उसके द्वारा जमानत प्रार्थनपत्र में यह कहा गया कि जिस दिन यह घटना हुई, वह वहां न होकर दिल्ली में थे।
उन्हें वेबजह फंसाकर उनके ऊपर दंगा भड़काने और दंगाइयों का साथ देने का झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया। जब अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया। ऐसे में उन्हें जमानत दी जाए। अतिक्रमण करने के मामले में उन्हें एकलपीठ से जमानत मिल चुकी है। शुक्रवार को अब्दुल मलिक के जमानत प्रार्थनापत्र की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की।
