उत्तराखंड विधानसभा सत्र के चौथे दिन शुक्रवार को सदन में मंत्री और विधायक एक दूसरे पर क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने लगे। मामला पहाड़ और मैदान पर आ गया।

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जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सदन की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

सत्र के चौथे दिन सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक तरीके चल रही थी। इसी दौरान कांग्रेस के अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी ने जिला प्राधिकरण से संबंधित सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों में जहां साइकिल खड़ी करने की जगह नहीं है। वहां नक्शा पास करने के लिए गाड़ी पार्किंग की अनिवार्यता कर दी गई है। जो मैदानी क्षेत्रों में तो संभव है,लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में यह व्यावहारिक नहीं है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल मनोज तिवारी के सवाल का जवाब दे रहे थे। इसी बीच कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने प्रेमचंद अग्रवाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पहाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार हैं। मदन बिष्ट की इस टिप्पणी पर संसदीय कार्य मंत्री नाराज हो गए। उन्होंने सदन के अंदर ही विपक्ष को खरी-खोटी सुनाई।

उन्होंने कहा कि क्या हमने उत्तराखंड बनाने के लिए आंदोलन नहीं किया? क्या हमारा आंदोलन इसलिए था कि प्रदेश को पहाड़ और मैदान में बांटा जाए।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने सख्त लहजे में कहा कि पहाड़-मैदान,गढ़वाल कुमाऊं, ठाकुर पंडित जैसी हल्की राजनीति करने की कोशिश नाकरें। ये उत्तराखंड हैं और उत्तराखंड की सीमा के अंदर आने वाला हर एक व्यक्ति उत्तराखंडी हैं। सदन की कार्यवाही को देश विदेश के लोग देखते हैं। ऐसे में उत्तराखंड की छवि बिगाड़ती है।

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद अध्यक्ष Avatar Singh Bisht ,सदन में पहाड़ियों को गाली देकर उन्होंने उन 42शहादतो का भी अपमान किया है। जिन्होंने अपनी शहादत देकर उत्तराखंड राज्य की नींव रखी। यह गाली देश की सीमाओं पर पहरा दे रहे उन फ़ौजी उत्तराखंडायों का भी अपमान है, यह गाली उत्तराखंड की अस्मिता को गाली है। उत्तराखंड की संस्कृति को मातृशक्ति को गाली है, ऐसे व्यक्ति का मंत्री पद पर रहना भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए।

सदन के अंदर जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी इसका विरोध करते हैं ऐसे व्यक्ति को मंत्री तो क्या सदन में जाने तक का अधिकार नहीं होना चाहिए हाई कमान को इस पर से ज्ञान देना चाहिए उत्तराखंड राज्य सभी का है शब्दावली शिक्षित होना एक अलग विषय है

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी शर्मनाक बयान है आपका। पहाड़ियों को सदन में गाली देने वाले अपने मंत्री को सम्मान देकर कुछ नहीं बोल पा रहे हो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है

आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य दो. फूल नही चिंगारी है उत्तराखंड की नारी है के नारों से शुरू हुआ उत्तराखंड आंदोलन जिसमें अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की आहूती दी लेकिन आज हम उत्तराखंड के लोगों को देवभूमि उत्तराखंड के बारे में ये सब सुनना पड रहा है। अफसोस!

दर्जा धारी मंत्री का बेटा अंकिता भंडारी की हत्या करता है, मंत्री समर्थक के साथ ऋषिकेश में पहाड़ी युवक को पीटता है अब वही मंत्री चिल्ला कर पहाड़ वालों को गालियां देते हैं तब भी ना विधानसभा अध्यक्ष और ना मुख्यमंत्री कोई क्षोभ व्यक्त करते हैं । कार्यवाही करना तो दूर की बातें ।


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