General Category के लोगो को मूल निवास 1950 मिल ही नहीं सकता l मूल निवास 1950 सिर्फ और सिर्फ “Tribe” को ही मिलता है I आपने कई बार लोगो से सुना होगा की ,1950 में एक प्रेसिडेंशियल Order निकला था l इसमें कहा गया था की “1950 में जो नागरिक जिस राज्य में रहता है l वह वहां का मूल निवासी है ” यह बात आधी सच है l

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हिंदुस्तान Global Times/। प्रिंट मीडिया: शैल Global Times /Avtar Singh Bisht ,रुद्रपुर, उत्तराखंड

📃 कियुंकी यह Presidential Order 1950 में सिर्फ Tribe & SC लोगो के लिए ही निकला था I इसका General Category के लोगो से कोई लेना देना नहीं है l
यदि कोई व्यक्ति आपको कहता है की General Category के व्यक्ति को मूल निवास 1950 का Certificate मिल सकता है l
तो उससे पूछिए की 130 करोड़ भारतीय में से सिर्फ 1 Certificate दिखा दो जिसमे General Category के व्यक्ति को मूल निवास 1950 मिला हो l
हम जो बात कह रहे हैं l उसका सबूत खुद आपके घरों में रखा हुए है l
आप सन 1990 से पहले अपना मूल निवास का Certificate Check कीजिएगा l अगर आप General Category के है तो उसमें सिर्फ मूल निवास लिखा होगा l
यदि आप Tribe या SC Category के है तो आपके Certificate में मूल निवास 1950 लिखा होगा l
आज भी अगर उत्तराखंड का कोई व्यक्ति Tribe या SC Category का है तो उसे मूल निवास 1950 मिलता है l
इसका मतलब General Category के लोगो को मूल निवास 1950 मिल ही नहीं सकता l
General Category को मूल निवास ना मिलने के कारण 🤷‍♂️

📘 भारतीय संविधान का Article 19 d, e & f के अनुसार – भारत का कोई भी नागरिक कहीं भी आ जा सकता है,रह सकता,बस सकता है,कोई भी नौकरी कर सकता है,व्यापार कर सकता है l
Article 16 – कोई भी नागरिक, केवल धर्म, मूलवंश, जाति, जन्म स्थान,निवास स्थान आदि किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा l
इसका मतलब General Category को मूल निवास 1950 का प्रमाण पत्र देने के लिए l संविधान के Article 16 एवं Article 19 को हटाना होगा l इसे हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई सांसदों का समर्थन चाहिए l फिर यह पूरे देश में लागू होगा l जिसका बुरा असर उत्तराखंड से बाहर बसे सभी उत्तराखंडियो को होगा l दिल्ली NCR, चंडीगढ़ ,मुम्बई आदी जगह रह रहे उत्तराखंडियो के लिए इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे l

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार मूल निवासी का अर्थ किसी विशेष स्थान पर स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होना है l मूल निवासी शब्द Tribe लोगो के लिए इस्तमाल होता है l

अर्थशास्त्र में कौटिल्य के अनुसार वे सीमावर्ती जनजातियां (सीमांत जातियों ) की बात करते हैं (सीमावर्ती क्षेत्र या तो पहाड़ी थे या जंगल में जनजातियों का निवास था) जो पूरी तरह से राजा के नियंत्रण में नहीं थे l ये अपने क्षेत्र में रहती हैं अधिक संख्या में है ,बहादुर है l
आंद्रे बेटील के अनुसार अंग्रेजी शासन में अनुसूचित जनजातियों के लिए पहाड़ी ,वनजनजाति,आदिम जनजाति शब्द इस्तेमाल होते थे।
साइमन कमीशन (1928) के अनुसार – वे आत्मनिर्णय के लिए नहीं,बल्कि भूमि की सुरक्षा के लिए,आजीविका के पारंपरिक तारीख को की खोज में स्वतंत्रता और उनके पुराने रीति रिवाजों के समुचित व्यवहार की मांग करते हैं l
📃 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग में उसकी 1961 की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जनजातियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मूल निवासियों के रूप में जाना जाता है l
लोकसभा की तत्कालीन अध्यक्षा सुश्री मीरा कुमार ने राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस के अवसर पर सदन को बताया कि देश में मूल निवासियों को जनजाति कहा जाता है l

भारत सरकार और राज्य सरकारो के अनुसार मूल निवासी प्रमाण पत्र ,स्थाई निवास प्रमाण पत्र,अधिवास प्रमाण पत्र,निवास प्रमाण पत्र,Domicile Certificate एक ही है l इनमे कोई अंतर नही है l
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं l
1) छत्तीसगढ़ राज्य में व्यक्ति को मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए योग्यता 15 वर्ष है l
2) झारखंड में मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने की योग्यता 30 साल है अथवा वो व्यक्ति जो झारखंड में पैदा होता है और 10 वीं पास करता है l
3) हिमाचल में मूल निवासी प्रमाण पत्र की पात्रता 20 साल है l
4) बाकी राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में 10 से 15 साल रहने पर मूल निवासी प्रमाण पत्र बन जाता है l

इन सभी तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध होता है l उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के लोगो को मूल निवास तभी मिल सकता है l जब उन्हे Tribe ( जनजातीय) का दर्जा मिले l


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