स्थान। नैनीताल। । घुघते त्योहार का पर्व भी अपने आप मे सबसे निराला है। दीपा पांडे। रिपोर्ट। ललित जोशी /हर्षित जोशी

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नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल समेत पूरे उत्तराखण्ड़ में घुघते पर्व को बड़ी चाव के साथ मनाते हैं। इस अवसर पर नैनीताल निवासी शिक्षिका दीपा पांडे ने विस्तार से एक भेंट में जिला संवाददाता ललित जोशी को बताया किस तरह से घुघते व खुजर बनाये जाते हैं। इनका बच्चे किस तरह प्रयोग करते हैं। नैनीताल सरोवर नगरी ही नही अपितु पूरे भारत वर्ष में इस त्योहार को अलग अलग ढंग से मनाया जाता है। दीपा पांडे ने बताया सबसे पहले आटा व सूजी को मिक्स किया जाता है। उसमें तिल, गोले का बुरादा, अजवाइन, सोप के साथ ही गुड़ के पाक को मिलाया जाता है साथ ही घी को भी मिलाया जाता है। जिससे सॉफ्ट हो जाते हैं। साथ ही तरह तरह के घुघते के साथ साथ बेट बोल, तलवार , सिरानी, दाड़िम का फूल आदि बनाकर सुबह उठते ही छोटे छोटे बच्चों द्वारा कौओं को बुलाया जाता है ओर देर रात बच्चे अपने लिये माला आदि बनाते हैं जिसमें घुघते, मुमफली, संतरे आदि लगाकर आवाज लगाते हैं। काले कौवा काले घुघूती माला खाले ले कौवा पूरी मुझे दे जा सोने की छुरी, ले कौवा बड़ा मुझे दे जा सोने का घड़ा इस तरह से बच्चों में एक अलग ही उत्साह होता है।


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