संपादकीय;उत्तराखंड में खनन नीति को लेकर राजनीतिक घमासान तेज़ हो गया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, जहां एक ओर सरकार इसे नीतिगत सुधारों और राजस्व वृद्धि का परिणाम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अवैध खनन को संरक्षण देने का आरोप लगा रहा हैं।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
भाजपा का दावा: राजस्व में बढ़ोतरी, नीतिगत सुधारों का असर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि सरकार के बेहतर प्रबंधन और नीतिगत सुधारों की वजह से खनन राजस्व में चार गुना वृद्धि हुई है। उनका कहना है कि जब चोरी होती है, तो राजस्व कम होता है, लेकिन उत्तराखंड में इसका उलटा हुआ है, जो यह दर्शाता है कि अवैध खनन पर अंकुश लगा है और सरकारी खजाने में बढ़ोतरी हो रही है।
भट्ट ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासनकाल में खनन नीति माफियाओं के साथ मिलकर बनाई जाती थी। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि क्या वे स्वयं भी खनन लॉबी के साथ जुड़े हुए थे?
विपक्ष के आरोप: सरकार की नाकामी या मिलीभगत?
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाना इस बात का सबूत है कि राज्य सरकार इस समस्या को रोकने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार से लेकर कुमाऊं तक नदियों का सीना चीरा जा रहा है, और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
जोशी ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की ‘डबल इंजन सरकार’ होने के बावजूद यदि अवैध खनन चरम पर है, तो स्पष्ट है कि सरकार खुद खनन माफिया को संरक्षण दे रही है। उन्होंने यह भी चेताया कि अवैध खनन से राज्य के पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, और यदि इसे नहीं रोका गया तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले में अपनी आवाज़ बुलंद की है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उन्होंने अवैध खनन को लेकर संसद में मुद्दा उठाया, तो कुछ ही घंटों में राज्य के खनन अफसरों ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि क्या इतनी जल्दी जांच पूरी हो सकती है? रावत ने साफ किया कि वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी बात करेंगे।
समस्या की जड़ और आगे का रास्ता
यह सच है कि किसी भी राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग आवश्यक है, लेकिन जब यह अनियंत्रित हो जाता है, तो पर्यावरणीय क्षति और स्थानीय जनता की परेशानियां बढ़ जाती हैं। उत्तराखंड की नदियाँ और वन क्षेत्र इसकी जैव विविधता के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, और यदि अवैध खनन पर सख्ती नहीं बरती गई, तो यह दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है।
सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शी नीतियां अपनाए और तकनीकी साधनों का उपयोग करके खनन गतिविधियों की निगरानी करे। वहीं, विपक्ष को भी केवल आरोप लगाने के बजाय ठोस समाधान प्रस्तुत करने चाहिए। राजनीतिक बयानबाजी के बजाय, इस मुद्दे पर एक निष्पक्ष और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा सुरक्षित रह सके और साथ ही राज्य का राजस्व भी बढ़ता रहे।

