संपादकीय:उधम सिंह नगर में स्पा सेंटरों की सटीक संख्या के बारे में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े सीमित हैं। हालांकि, उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, जिले में कई स्पा सेंटर संचालित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए: पिछले वर्ष, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम ने अनियमितताएं पाए जाने पर 7 स्पा सेंटरों पर 10-10 हजार रुपये का चालान किया था। लगभग 2.3 वर्ष पहले, किच्छा क्षेत्र में एक मसाज सेंटर में छापेमारी के दौरान 8 लड़कियां आपत्तिजनक स्थिति में पाई गई थीं। लगभग 4.5 वर्ष पहले, रुद्रपुर के मेट्रोपोलिस मॉल में स्पा सेंटरों पर पुलिस ने छापेमारी की थी, जहां मसाज के नाम पर अवैध गतिविधियां चल रही थीं। इन घटनाओं से संकेत मिलता है कि उधम सिंह नगर में कई स्पा सेंटर सक्रिय हैं।

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प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

संपादकीय;स्पा सेंटर: एक बढ़ती हुई सामाजिक बुराई

आजकल शहरों में स्पा सेंटरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। शुरुआत में इनका उद्देश्य स्वास्थ्य और आराम प्रदान करना था, लेकिन अब इनकी आड़ में अवैध गतिविधियां संचालित हो रही हैं। कई स्पा सेंटर अनैतिक कार्यों, देह व्यापार और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों का अड्डा बन चुके हैं। यह न केवल समाज के नैतिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है, बल्कि अपराध और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दे रहा है।


स्पा सेंटरों में बढ़ती अनैतिक गतिविधियां

हाल के वर्षों में स्पा सेंटरों पर कई छापेमारी हुई हैं, जहां से अनैतिक गतिविधियों के सबूत मिले हैं। पुलिस की जांच में यह पाया गया कि कई स्पा सेंटरों में सेक्स रैकेट चलाए जा रहे हैं और नाबालिग लड़कियों को भी इस धंधे में धकेला जा रहा है।

  • देह व्यापार का गढ़: कई जगहों पर स्पा सेंटरों के नाम पर अवैध देह व्यापार किया जा रहा है। यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा है।
  • नशे का अड्डा: कुछ स्पा सेंटर ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई का केंद्र भी बन चुके हैं, जिससे युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है।
  • ब्लैकमेलिंग और अपराध: स्पा सेंटरों के नाम पर कई बार लोगों को फंसाकर ब्लैकमेल किया जाता है, जिससे अपराध की दर बढ़ती है।

महिलाओं का शोषण और समाज पर नकारात्मक प्रभाव

स्पा सेंटरों में काम करने वाली कई महिलाएं मजबूरी में इस काम में लगी होती हैं। उन्हें अच्छी नौकरी और सम्मानजनक जीवन की उम्मीद देकर लाया जाता है, लेकिन बाद में उन्हें अनैतिक कामों में धकेल दिया जाता है।

  • महिलाओं का शोषण: स्पा सेंटरों में काम करने वाली महिलाओं का मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण किया जाता है।
  • युवाओं पर बुरा असर: युवा वर्ग इन स्पा सेंटरों की ओर आकर्षित होता है और गलत राह पर चला जाता है।
  • सामाजिक नैतिकता पर हमला: पारंपरिक और नैतिक मूल्यों वाले समाज में इस तरह की गतिविधियां नैतिक पतन का संकेत देती हैं।

सरकार और समाज को क्या करना चाहिए?कड़े कानून और निगरानी: स भी सेंटरों का अनिवार्य पंजीकरण हो और नियमित जांच की जाए।अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई: पुलिस और प्रशासन को अवैध गतिविधियों में लिप्त स्पा सेंटरों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।युवाओं को जागरूक करना: युवाओं को शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे इस प्रकार के शोषण और अपराधों से दूर रहें।महिलाओं के लिए वैकल्पिक रोजगार: सरकार को ऐसी महिलाओं के लिए सुरक्षित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए जो मजबूरी में इन स्पा सेंटरों में काम करने को मजबूर हैं।


स्पा सेंटरों की आड़ में पनप रही अनैतिक गतिविधियां समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी हैं। अगर इन पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई, तो यह समाज की बुनियादी नैतिकता और मूल्यों को कमजोर कर देगा। सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि एक स्वस्थ, सुरक्षित और नैतिक समाज का निर्माण किया जा सके।

उत्तराखंड में अवैध स्पा और मसाज सेंटरों का कारोबार तेजी से फैल रहा है। इन स्पा सेंटरों की आड़ में अनैतिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं, जिनमें देह व्यापार, ब्लैकमेलिंग और ड्रग्स जैसी गंभीर समस्याएं शामिल हैं। इन अवैध गतिविधियों के पीछे एक संगठित तंत्र काम करता है, जिसमें सत्ताधारी नेताओं, नौकरशाहो और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

कई सत्ताधारी नेता इन स्पा सेंटरों के मालिकों से आर्थिक लाभ लेते हैं या राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें संरक्षण प्रदान करते हैं। जब कोई प्रशासनिक अधिकारी या सामाजिक कार्यकर्ता इनके खिलाफ आवाज उठाता है, तो राजनीतिक दबाव के कारण जांच ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।

पुलिस की भूमिका:

पुलिस को इन अवैध गतिविधियों की जानकारी होती है, लेकिन कई बार घूस लेकर वे इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती। अगर किसी स्पा सेंटर पर छापा मारा भी जाता है, तो खानापूर्ति के लिए कुछ मामूली चालान कर दिए जाते हैं और कुछ दिन बाद वही गतिविधियां फिर से शुरू हो जाती हैं।

स्पा सेंटरों के पंजीकरण और निगरानी की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। लेकिन जब अधिकारी ही भ्रष्ट हों, तो वे गलत दस्तावेजों पर लाइसेंस जारी कर देते हैं या फिर बिना किसी जांच-पड़ताल के इन सेंटरों को चलने देते हैं।

अवैध स्पा सेंटरों से होने वाले दुष्प्रभाव

  • महिलाओं और युवतियों का शोषण बढ़ता है।
  • अपराध और नशे की लत को बढ़ावा मिलता है।
  • स्थानीय लोगों का सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
  • प्रशासन और कानून व्यवस्था पर से जनता का विश्वास उठ जाता है।

समाधान हो सकता है?

  • सख्त निगरानी: सभी स्पा सेंटरों का अनिवार्य पंजीकरण हो और इनकी नियमित जांच की जाए।
  • नेताओं और अधिकारियों की जवाबदेही: जो भी अधिकारी या नेता इन अवैध गतिविधियों में लिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
  • जनता की भागीदारी: स्थानीय लोगों को सतर्क रहना होगा और अवैध गतिविधियों की सूचना बिना डर के प्रशासन को देनी होगी।

अगर सरकार और जनता मिलकर इन भ्रष्टाचार के जड़ों को खत्म करने का प्रयास करें, तो ही अवैध स्पा सेंटरों पर रोक लगाई जा सकती है और समाज को एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल दिया जा सकता है।

उत्तराखंड में स्पा सेंटरों से प्राप्त होने वाले कुल राजस्व के संबंध में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, फरवरी 2023 में देहरादून पुलिस द्वारा स्पा और मसाज सेंटरों पर की गई छापेमारी के दौरान 61 स्पा सेंटरों में अनियमितताएं पाई गईं, जिन्हें बंद कर दिया गया, और 32 स्पा सेंटरों से 2.7 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। इसके अलावा, मई 2023 में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने स्पा और मसाज सेंटरों के लिए नियमावली बनाने का प्रस्ताव पारित किया, जिससे इस क्षेत्र में रेगुलेशन और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। इन घटनाओं से संकेत मिलता है कि स्पा सेंटरों से राज्य को राजस्व प्राप्त होता है।


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