राज्य आंदोलनकारी सँयुक्त मंच के तत्वावधान में आज शहीद स्मारक देहरादून में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई।
सँयुक्त मंच ने कल के समाचार पत्रों में इस आशय की खबरें प्रकाशित होने पर कि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी में आयोजित करने पर विचार कर रही है, पर कड़ी आपत्ति दर्ज की।
सँयुक्त मंच के संयोजक क्रांति कुकरेती ने कहा कि सरकार ने सदन में वचन दिया था कि सरकार 15 दिनों में विशेष सत्र आयोजित करके राज्य आंदोलनकारियों के 10 % क्षैतिज आरक्षण को कानूनी जामा देगी, लेकिन 3 -3 बार प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया परन्तु आज तक धरातल पर कुछ हुआ नहीं।
सँयुक्त मंच ने सरकार से माँग की है कि 25 दिसम्बर तक हर हाल में सत्र आयोजित करके इस विधेयक को राजभवन की मंजूरी दिलवाये। अन्यथा 26 दिसम्बर से हम उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
पत्रकार वार्ता में राम किशन, विनोद असवाल, प्रभात डंडरियाल, शैलेन्द्र राणा, मनोज कुमार, आशीष चौहान, सुनीता ठाकुर, राम चन्द्र नौटियाल आदि आंदोलनकारी उपस्थित रहे।
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी
वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भगवान जोशी जो की खटीमा सितारगंज निवासी हैं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन से लेकर आज तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। उनकी कलम से भी कुछ इस तरह से पोस्ट निकली है। पोस्ट में साफ-साफ शब्दों में राष्ट्रीय पार्टियों को कोष रहे हैं। क्या कुछ लिखा भगवान जोशी ने आप पढ़िए
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड शासन देहरादून
महोदय,
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियो की तरफ से दून में इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन की बहुत-बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही उम्मीद जताई कि प्रदेशवासियो को शीघ्र ही धरातल पर इसके सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे विशेषकर पहाड़ी जिलों में उद्योग स्थापित होने की आस पूरी होगी। लेकिन सरकार को इस पर ठोस कार्य योजना बनाने की जरूरत है जिससे स्थानीय पढ़े-लिखे बेरोजगारों बच्चों को उद्योगो में आसानी से रोजगार मिल सके। महोदय, साथी आपको यह भी अवगत कराना है कि बीजेपी शासित अन्य प्रदेशों में जो जनता के सुख सुविधाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं कैसे मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना, छत्तीसगढ़ में महिलाओं को ₹1500 प्रतिमा देना, व ₹4५0 का गैस सिलेंडर देना, हरियाणा में जनता को बिजली फ्री देना,अन्य जनता की सहायता के लिए कई स्कीम में चलाई जा रही है। लेकिन उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है। जिसमें सरकार बीजेपी की होने के बावजूद भी ऐसी कोई योजना जो जनता के हित में हो, नहीं चलाई जा रही है। जिससे कि उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों व जनता में सरकार के खिलाफ अत्यंत रोष व्याप्त है। अगर समय रहते अन्य राज्यों के अनुसार उत्तराखंड में सरकार द्वारा यह योजनाएं लागू नहीं की गई तो आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को इसका असर दिखाई देगा। जनता को ऐसा लगता है कि जैसे कांग्रेस और बीजेपी दोनों आपस में मिलकर सरकार चला रहे हैं कोई भी विरोधाभास नहीं है
महोदय ,निवेदन इस कि राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण व चिन्हीकरण व पेंशन बढ़ोतरी के संबंध में आपके कार्यकाल में जो कदम उठाए गए हैं उससे राज्य आंदोलनकारियों में एक उम्मीद की किरण जगी है।पिछली भाजपा सरकार जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के 4 वर्ष के कार्यकाल में जहां आंदोलनकारियों की नौकरियों में संकट उत्पन्न हुआ। तथा चिन्हीकरण पर रोक लगी। उससे राज्य आन्दोलनकारियों में घोर निराशा उत्पन्न हो गई थी ,किंतु आपके द्वारा जिस प्रकार से राजभवन से आंदोलनकारियों के आरक्षण संबंधी बिल को वापस मंगाया गया। और उसे कैबिनेट व सदन की सहमति के बाद प्रवर समिति को सौंपा गया। तथा प्रवर समिति ने बिल में सकारात्मक सुधार करके 9 नवंबर 2023 को विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा। वह आंदोलनकारियों के बीच एक अच्छा संदेश लेकर आया । महोदय 9 नवंबर को समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल जी द्वारा आंदोलनकारियों को आश्वाशन दिया गया था कि 15 दिन के अंदर विशेष सत्र आयोजित करके बिल राज भवन भेज दिया जाएगा। किंतु आज तक बिल में आगे कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई जिससे राज आंदोलनकारियो में सरकार के खिलाफ अत्यंत रोष व्याप्त है। सरकार कभी टनल हादसे का बहाना, तो कभी इन्वेस्टर समिट का बहाना, तो कभी ucc, का बहाना बनाकर मामले को लंबित करती चली जा रहा है। जिससे आंदोलनकारियों में भारी असंतोष उत्पन्न हो रहा है ।प्रवर समिति के द्वारा बिल से संबंध में बहुत सकारात्मक कार्रवाई की गई है। किंतु मामला अब सदन के पटल पर है ।इसके संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई सदन में आगे नहीं बढ़ी है। अब जबकि लोकसभा चुनाव सर पर हैं। आंदोलनकारियों के बीच में यह संदेह उत्पन्न हो रहा है कि सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का विशेष सत्र आयोजित नहीं किया जाने वाला है। और न ही आरक्षण संबंधी मामले पर सरकार गंभीर है।
अत महोदय से निवेदन है कि राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षतिज आरक्षण, पेंशन बढ़ोतरी व चिन्हीकरण के मसले पर शीघ्र कार्रवाई करने की कृपा की करें धन्यवाद समस्त चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी खटीमा उत्तराखंड