इसके अलावा विकसित किए गए प्रोजेक्ट में शेयर के हिसाब से सबकी अपनी-अपनी हिस्सेदारी तय हो जाती है पर जब बात कानूनी दांव-पेंच पर फंस जाती है तो प्रत्येक हिस्सेदारी एक दूसरे के कंधे पर बंदूक रख कर चलने का प्रयास करता है….अब भला आप ही सोचिए कि अगर गांव-देहात में कोई आलीशान कॉलोनी विकसित होगी तो आपको वहां गांव-देहात के फीडर से ही तो बिजली मिलेगी और इसके अलावा आसपास का माहौल भी तो गांव-देहात जैसा ही होगा,भले ही गांव-देहात में कॉलोनी विकसित करने वाले लोग आलीशान होटल में बैठकर आपको आपके सपनों का घर बैच रहे हो….गांव-देहात में विकसित होने वाली आवासीय कॉलोनी में आप इस बात का ध्यान भी रखें कि कॉलोनी परिसर के मध्य से कहीं कोई चक रोड,कोई सरकारी नाला अथवा कोई गूल तो नहीं निकल रही है….नहीं तो आने वाले समय में आपके खून पसीने की कमाई भी खतरे में पड़ सकती है और आपको दर-दर की ठोकरे खाने के साथ-साथ काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है….कुछ इसी प्रकार रुद्रपुर के काशीपुर रोड पर बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर पर प्रचार-प्रसार के साथ एक दशक पूर्व एक बिल्डर ने ऐसी कॉलोनी विकसित की जो आज दूर से देखने पर खंडहर की तरह नजर आती है,जहां ऐसे कई मामले भी प्रकाश में आए हैं जिसमें एक प्लॉट की रजिस्ट्री कई लोगों के नाम पर कर दी गई और धोखाधड़ी के ऐसे कई मामलों को लेकर स्थानीय कोतवाली में निवेशकों द्वारा कई मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं….
इसीलिए आप अपने खून-पसीने की कमाई को बहुत ही सोच समझकर कहीं निवेश करें क्योंकि इन दिनों शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगाकर लोग आपको आपके सपनों का घर किफायती दामों पर देने का जो वायदा कर रहे हैं उसको कम से कम आप 100 बार जांच परख कर ही कुछ निर्णय ले,नहीं तो आपको भविष्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है….राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास लगे विज्ञापनों के चक्कर में पड़कर आप अपने खून पसीने की कमाई को फर्जीवाड़े से सुरक्षित रहकर और सोच समझ कर ही कहीं निवेश करें अन्यथा आपको दर-दर की ठोकरें खानी पड़ सकती है और आप धोखाधड़ी का शिकार भी हो सकते हैं….हम आपको बता दें कि एनसीआर में आज भी हजारों की संख्या में ऐसे लोग कोर्ट और बिल्डरों के कॉरपोरेट ऑफिस का चक्कर काट रहे हैं,जिनको बिल्डरों ने बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से अपने सपनों के घर का सपना दिखाकर बड़ी-बड़ी हाउसिंग परियोजना में फ्लैट अथवा विला देने का वादा कर उनके खून पसीने की कमाई का निवेश किया था….कुल मिलाकर कहे तो विज्ञापनों के चक्कर में ना पड़ें,हकीकत जाने-पहचाने और उसके बाद ही कुछ के तय कर ठाने….नहीं तो बाद में कहना पड़ेगा कि “खून पसीने की कमाई विज्ञापन के चक्कर में पड़ कर उड़ाई” ।