
अजय तिवारी, संस्थापक सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष, सिडकुल इंटरप्रेन्योर वेलफेयर सोसाइटी


बोले अधिकारी
मेरी जब से यहां तैनाती हुई है, तब से सिडकुल में शांति है। 7-8 मामलों में विवाद था, जिन्हें सुलझा लिया गया है। वर्तमान में किसी भी कंपनी के आगे कर्मचारी नहीं बैठे हैं। सिडकुल में वर्तमान में औद्योगिक शांति कायम है। जहां तक थर्ड पार्टी ऑडिट की बात है तो यह राज्यभर में लागू है। यदि उद्योगपतियों को किसी प्रकार की शिकायत है तो वे उसे हमारे उच्चाधिकारियों के सामने रख सकते हैं।
वर्तमान में सिडकुल में तकरीबन 350 कंपनियों का संचालन किया जा रहा है। सिडकुल के उद्योगपतियों का कहना है कि उद्योग करने के लिए सर्वप्रथम सिडकुल में औद्योगिक शांति का माहौल बनाया जाना चाहिए। कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सिडकुल चौकी को थाना बनाए जाने की मांग भी की है। रुद्रपुर में औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल की स्थापना हुए 22 वर्ष हो चुके हैं। सिडकुल की स्थापना के बाद ऊधमसिंह नगर में रोजगार के लोगों को अवसर प्राप्त हुए। शुरुआत में फूड इंडस्ट्रीज के बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज और वर्तमान में विभिन्न प्रकार के उद्योग सिडकुल में स्थापित हो चुके हैं। कुल 3500 एकड़ क्षेत्र में स्थित कंपनियों में तकरीबन दो लाख कर्मचारी नौकरी करते हैं। सिडकुल में उद्योगों की सफलता को देखते हुए सितारगंज में भी कंपनियों का विस्तार किया गया है। हर साल उद्योग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए उद्योग मित्र बैठक का आयोजन किया जाता है। जिला स्तरीय उद्योग बैठक का आयोजन रुद्रपुर और राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन देहरादून में किया जाता है। बैठक में जिलाधिकारी और सबंधित विभाग के सभी अधिकारी मौजूद रहते हैं। बीते कई वर्षों से उद्योग मित्र की बैठक में केवल खानापूर्ति की जाती है। बैठक में लिए गए निर्णय का वास्तविक तौर पर अनुसरण नहीं किया जाता है। बैठक में कार्यों की समय सीमा तय होने के बावजूद सालों तक कार्य पूरे नहीं किए जाते हैं। थर्ड पार्टी ऑडिट होने से उद्योगपतियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रत्येक ऑडिट के लिए कंपनी से 70 हजार से एक लाख रुपये तक शुल्क लिया जाता है। सुरक्षा मानकों के नाम पर उद्योगपतियों को परेशान किया जा रहा है। रिद्धी सिद्धी कंपनी के पास सड़क को दूसरी सड़क से जोड़ा नहीं गया है। कोई अप्रिय घटना होने पर एक ही सड़क से आवाजाही से दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वेस्ट मैटेरियल के निस्तारण को केवल एक वेंडर को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। केवल एक वेंडर होने से एकाधिकार के कारण वेंडर अपनी मनमानी करता है। सुविधाओं के अभाव में ईएसआई अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहा है। सिडकुल चौकी में सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण मोबाइल छिनने और महिला कर्मचारियों से अभद्रता की घटनाएं आम हो गई हैं।
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
दो साल बाद भी लागू नहीं किया गया आदेश : पूरे देश में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। उद्योगपति उद्योग स्थापित करने के लिए क्षेत्र में औद्योगिक शांति के माहौल को प्राथमिकता देते हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि कोई अप्रिय घटना हो जाने पर कर्मचारी कंपनी के प्रवेश द्वार पर ही धरना-प्रदर्शन करते हैं। इसके खिलाफ उद्योगपतियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उद्योगपतियों के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने गांधी पार्क में धरना-प्रदर्शन की जगह चिह्नित कर जिलाधिकारी के माध्यम से आदेश लागू करने के निर्देश दिए थे। दो साल बीत जाने के बाद भी आदेश लागू नहीं किए गए हैं। उद्योगपतियों ने कहा कि कर्मचारियों को धरना-प्रदर्शन करने का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन राजनीति और अन्य चीजों की दखलअंदाजी के कारण मामला और संवेदनशील हो जाता है। औद्योगिक शांति बनाए रखने के लिए चिह्नित जगह पर ही धरना प्रदर्शन कर कर्मचारी अपनी मांग रख सकते हैं। दो साल से लंबित मामले में जिलाधिकारी को जल्द आदेश लागू करना चाहिए।
थर्ड पार्टी ऑडिट से बढ़ रहीं उद्योगपतियों की मुश्किलें : किसी भी उद्योग के लिए फैक्ट्री की स्थापना के समय सभी सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य किए जाते हैं। पूर्व में कंपनियों में फैक्ट्री निरीक्षक, एएलसी और डीएलसी के माध्यम से कंपनियो में ऑडिट किए जाते थे। वर्ष 2018 से 10-12 संस्थाओं को ऑडिट करने का कार्य सौंपा गया है। शुरुआत में ऑडिट शुल्क 30 हजार रुपये रखा गया था, जो कि वर्तमान में एक लाख रुपये तक पहुंच चुका है। ऑडिट शुल्क में 80 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। इस कारण उद्योगपतियों पर अतिरिक्त आर्थिक भार बढ़ रहा है। दो-तीन बड़ी कंपनियों से वार्ता कर ऑडिट के शुल्क तय किए जाते हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि सिडकुल की कंपनी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के आधार पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। ऑडिट करने वाली संस्थाएं सुरक्षा मानकों का हवाला देकर उद्योगपतियों को बेवजह परेशान करती हैं। पूर्व की तरह ही एएलसी, डीएलसी के माध्यम से ऑडिट किया जाना चाहिए।
रिद्धी सिद्धी कंपनी के समीप आवाजाही के लिए केवल एक सड़क : सिडकुल क्षेत्र में मौजूद कंपनियों की सुरक्षा के लिए सड़क एक अहम जरिया है। सिडकुल क्षेत्र मे मौजूद रिद्धी सिद्धी कंपनी के समीप आवाजाही के लिए केवल एक ही सड़क है। सड़क को समीप ही गुजर रही दूसरी सड़क से नहीं जोड़ा गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि कंपनी में कोई अप्रिय घटना होने पर आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। कुछ वर्षों पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ.नीरज खैरवाल ने निरीक्षण कर सड़क को समीप मौजूद सड़क से जोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन वर्तमान समय तक सड़क से नहीं जोड़ा गया है। सिडकुल की कंपनियों में पूर्व में भी आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। आग लगने की घटना होने पर अग्निशमन वाहनों की आवाजाही और कर्मचारियों के रेस्क्यू के लिए सड़क को जोड़ा जाना चाहिए। सिडकुल की स्थापना के समय से बिजली की तारों को बदला नहीं गया है। बिजली की अधिकतर तारे झूल रही हैं। तेज हवा एवं आंधी चलने पर तारों के आपस में जुड़ने से ट्रिपिंग की समस्या पैदा होती है। शीघ्र ही वर्षों पुरानी बिजली की तारों को बदला जाना चाहिए।
सिडकुल चौकी की जगह खोला जाए थाना : सिडकुल क्षेत्र में एक चौकी है, लेकिन उद्योगपतियों का कहना है कि इसकी जगह यहां थाना खोला जाना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन अब तक थाना नहीं खुल पाया है। उनका कहना है कि चौकी में करीब आठ पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि सिडकुल में ही लाखों पुरुष व महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। ऐसे में लाखों कर्मचारियों की सुरक्षा में महज आठ पुलिसकर्मी नाकाफी हैं। इसके अलावा आवास विकास, ओमेक्स आदि क्षेत्र भी इसी चौकी के अंतर्गत आते हैं। नियमित पुलिस गश्त नहीं होने से कर्मचारियों को कार्यालय आते-जाते समय अपने साथ अप्रिय घटना होने की हमेशा आशंका बनी रहती है। कई महिला कर्मचारियों के साथ पूर्व में छीनाछपटी जैसी अप्रिय घटनाएं भी हो चुकी हैं। क्षेत्र में महिलाओं से छींटाकशी और अभद्रता की घटनाएं भी हो चुकी हैं। आपराधिक प्रवृत्ति के लोग ई-रिक्शा और ऑटो में घूमकर क्षेत्र में अराजकता फैलाते हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि थाना बनने के बाद क्षेत्र में पुलिस की गश्त बढ़ जाएगी, जिससे कर्मचारी बिना भय के कार्यालय आ-जा सकते हैं।
ईएसआई अस्पताल में सुविधाओं का अभाव : सिडकुल के करीब ईएसआई अस्पताल स्थित है। सिडकुल से मुख्य मार्ग के जरिए वहां पहुंचने में करीब आधा घंटा लगता है। उद्योगपतियों ने पांच साल पूर्व सिडकुल परिसर के भीतर से ही अस्पताल तक पहुंचने के लिए एक सड़क का निर्माण कराया। इससे सड़क मार्ग से कुछ ही मिनटों में अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से एक दीवार नहीं ढहाए जाने से सड़क बनने के बावजूद यह किसी काम की नहीं है। इसके अलावा उद्योगपतियों का कहना है कि ईएसआई अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है, वहां न डॉक्टर हैं और न दवाइयां। उनका कहना कि सिडकुल में प्रतिदिन करीब 6 लाख कर्मचारी कार्य करते हैं, जिसमें से ज्यादातर कर्मचारी ईएसआई से जुड़े हैं। प्रत्येक कर्मचारी की सैलरी का 6 प्रतिशत हिस्सा ईएसआई को जाता है। इस तरह उद्योगों की ओर से ईएसआई को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके बावजूद अस्पताल में सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। उद्योगपति अजय तिवारी कहते हैं कि ईएसआई का अस्पताल काफी बड़ा है, लेकिन सुविधाएं नहीं होने से उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
शिकायतें
1-केवल एक वेंडर होने के कारण हैजार्ड्स वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट का समय पर निस्तारण नहीं किया जाता हैं। एकमात्र वेंडर अपने एकाधिकार का गलत इस्तेमाल करता है।
2- करोड़ों की लागत से बनाए गए ईएसआई अस्पताल की सुध लेने वाला कोई नहीं है। गरीब कर्मचारियों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है।
3- सिडकुल में अघोषित बिजली कटौती के कारण कंपनियों को मैन पावर, समय और आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ता है। इस पर जल्द रोक लगाई जानी जरूरी है।
4-मोबाइल छीनने और महिलाओं से अभद्रता की घटनाएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी हैं। रात के समय कर्मचारी सबसे अधिक असुरक्षित महसूस करते हैं।
5-उद्योग मित्र बैठक में लिए गए 100 प्रतिशत निर्णय में से पांच प्रतिशत पर भी अमल नहीं किया जाता है। तय समय सीमा पर कोई कार्य नहीं होता है।
सुझाव
1-हानिकारक वेस्ट मैटेरियल के निस्तारण के लिए दो से अधिक वेंडर को कार्य सौंपा जाना चाहिए। वेस्ट मैटेरियल के निस्तारण में लापरवाही करने पर वेंडर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
2- ईएसआई अस्पताल के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। सुविधाएं बेहतर कर आम जनता के लिए भी अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
3- अघोषित बिजली कटौती को कम करने के लिए ऊर्जा निगम को तकनीक का सहारा लेना चाहिए। अन्य प्रदेशों में अपनाई जाने वाली तकनीक से सीख लेनी चाहिए।
4- सिडकुल चौकी को थाने में तब्दील किया जाना चाहिए। थाने में तब्दील होते ही पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ने से नियमित गश्त भी बढ़ेगी। इससे सुरक्षित माहौल मिल सकेगा।
5- उद्योग मित्र बैठक में लिए गए निर्णयों के लिए सबंधित अधिकारियों से समय-समय पर काम का ब्यौरा मांगा जाना चाहिए। समय पर काम न होने पर अधिकारियों से जवाब-तलब किया जाना चाहिए।
साझा किया दर्द
थर्ड पार्टी ऑडिट के नाम पर उद्योगों से मनमानी फीस वसूल की जा रही है। शुरुआत में इसकी फीस करीब 30 हजार रुपये होती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर एक लाख तक कर दिया गया है। यह उद्योगों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ है।
-विकास पांडे
उद्योग चलाने वाले सभी नियमों का पालन करते हैं, लेकिन कोई चाहे तो ऑडिट के नाम पर गलतियां निकाल सकता है। यह केवल उद्योगपतियों को परेशान करने का एक तरीका है। इस पर शासन-प्रशासन की ओर से अंकुश लगाया जाना चाहिए।
-संतोष रेगोड़े
सिडकुल में कुछ अच्छे कार्य भी हुए हैं। वर्ष 2006 से 2019 तक यहां 40-50 करोड़ रुपये से सड़कें बनी हैं और पार्कों आदि का सौंदर्यीकरण किया गया है। हालांकि, यह सभी कार्य कंपनियों के सीएसआर फंड के तहत हुए हैं।
सिडकुल में बिजली की लाइनें काफी पुरानी हो गई हैं। इनसे हादसा होने की आशंका रहती है, इसलिए इन्हें बदला जाना चाहिए। साथ ही बिजली कटौती की सूचना पूर्व में दी जानी चाहिए, जिससे उद्योग अपनी व्यवस्थाएं कर सके
जब से सिडकुल में उद्योग स्थापित हुए हैं, तब से एक ही कंपनी बायोवेस्ट आदि उठा रही है, लेकिन वह अपनी मनमानी करती है। इस मामले में संबंधित कंपनी की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उद्योगों में इसे लेकर रोष है।
निकट में स्थित कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है। वहां डॉक्टर व दवाइयां तक नहीं हैं। सिडकुल में कार्यरत अधिकतर श्रमिक सदस्य हैं। ईएसआई को उद्योगों की ओर से करोड़ों रुपये दिए जाते हैं
सिडकुल परिसर में धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति रोकने के लिए डीएम को अधिकार दिए गए हैं। इसके बावजूद यहां अक्सर धरना-प्रदर्शन होते हैं। धरना-प्रदर्शन करना कर्मचारियों का अधिकार है, लेकिन इसके लिए गांधी मैदान चिह्नित किया गया है।
बरसात में यहां जलभराव की स्थिति आम है। इससे लोगों को आवागमन में काफी दिक्कतें होती हैं। इसके लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। थर्ट पार्टी ऑडिट से उद्योगों का काम बढ़ता है और आर्थिक नुकसान होता है। इसमें सुधार किया जाना चाहिए।
सिडकुल परिसर में धरना-प्रदर्शन न तो उद्योगों और न ही किसी अन्य के हित में है। यदि उद्योगों को सकारात्मक माहौल नहीं मिलेगा तो वह यहां से अन्य राज्यों की ओर पलायन कर सकते हैं। सिडकुल में लाखों कर्मचारी कार्यरत हैं, वे भी प्रभावित होंगे
सिडकुल के आसपास अप्रिय घटनाएं होने की आशंका रहती है। पूर्व में छीनाछपटी जैसी कई घटनाएं हुई भी हैं, इसलिए यहां नियमित रूप से सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा।
पहले थर्ड पार्टी ऑडिट जैसा कुछ नहीं था। अब कुछ संस्थाओं को थर्ड पार्टी ऑडिट का कार्य दिया गया है, जिससे उद्योगों में नाराजगी है। बायोमेडिकल वेस्ट उठाने के लिए भी सालों से एक ही वेंडर को कार्य दिए जाने से मनमानी बढ़ी है।
उद्योगों से सरकार काफी उम्मीद करती है और उद्योगपति उसी अनुरूप से त्वरित कार्य भी करते हैं, लेकिन जब सरकार की बारी आती है तो कार्यों को सालों तक लटकाया जाता है। उद्योगों के लिए शांति पूर्ण माहौल चाहिए। उद्योगपति अपने रुपये लगाकर उद्योग लगाता है, इसलिए उसे सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए। सरकार को इसकी पहल करनी चाहिए कि उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं प्रदान की जाएं।
-श्रीकर सिन्हा, अध्यक्ष, सिडकुल इंटरप्रेन्योर वेलफेयर सोसाइटी
प्रत्येक साल प्रदेश व जिला स्तर पर उद्योग मित्र को लेकर बैठक की जाती है। वहां कई मुद्दों पर गंभीर चर्चाएं होती हैं। बड़े-बड़े आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन हर बार नतीजा सिफर ही रहता है। करीब 20 साल से उद्योग मित्र की बैठक हो रही है, लेकिन कुछ छोटे मुद्दों को छोड़कर खास कुछ नहीं होता है। कई बार बड़े स्तर के अधिकारी कुछ करना भी चाहते हैं, लेकिन तब तक उनका ट्रांसफर हो जाता है।
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