उत्तराखंड में 15 लाख से अधिक घरों में पुराने मीटर की जगह जल्द ही ‘स्मार्ट’ बिजली मीटर लगाए जाएंगे, जिससे ”रीडिंग या बिलिंग” से संबंधित उपभोक्ताओं की शिकायतों में काफी कमी आएगी।

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प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आर मीनाक्षी सुंदरम ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी।

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के उपभोक्ता शिकायत निवारण केंद्र के साथ-साथ सीएम (मुख्यमंत्री) हेल्पलाइन और विभागीय शिविरों में उपभोक्ताओं से प्राप्त होने वाली अधिकांश शिकायतें वर्तमान में ”बिलिंग और मीटर रीडिंग” से संबंधित हैं।

अधिकारी ने यहां संवाददाताओं को बताया, “स्मार्ट मीटर लगने के बाद मीटर रीडिंग में छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी, जिससे बिलिंग से जुड़ी शिकायतों में अप्रत्याशित कमी आएगी।”

उन्होंने बताया कि बिजली की खपत का ब्योरा उपभोक्ताओं को उनके ‘मोबाइल ऐप’ पर उपलब्ध होगा, जिससे वे अपनी बिजली खपत का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकेंगे।

सुंदरम ने बताया, “इससे आपको हर क्षण बिजली उपयोग की जानकारी, सभी जरूरी सूचनाएं, बिजली उपयोग की तुलना, भुगतान के कई विकल्प मिलेंगे। साथ ही, आपूर्ति बाधित होने की सूचना भी विभाग तक तुरंत पहुंचाई जा सकेगी।”

उन्होंने बताया कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसे केंद्र के सहयोग से सभी राज्यों में भी शुरू किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि पुराने मीटर को बदलकर ‘स्मार्ट मीटर’ लगाने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में केंद्र के निर्देश पर केवल ‘पोस्टपेड मीटर’ ही लगाए जा रहे हैं लेकिन फिर भी अगर कोई उपभोक्ता स्वेच्छा से ‘प्रीपेड मीटर’ लगवाना चाहता है, तो उसे घरेलू कनेक्शन पर लागू वर्तमान दरों पर चार प्रतिशत तथा अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को तीन प्रतिशत की छूट मिलेगी।

सुंदरम ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग सबसे पहले मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के आवासों पर ‘स्मार्ट मीटर’ लगाएगा।

घर बैठे मोबाइल ऐप या ऑनलाइन मीटर रिचार्ज करने पर बिजली बिल पर विलम्ब शुल्क से राहत मिलेगी।

प्रमुख सचिव ऊर्जा ने बताया कि अवकाश के दिनों या रात में ‘बैलेंस’ खत्म होने के बाद भी निर्बाध बिजली आपूर्ति बनी रहेगी।

उन्होंने बताया कि योजना के तहत जून 2026 तक 15.88 लाख उपभोक्ताओं समेत 59,212 ट्रांसफार्मर और 2,602 ‘फीडर मीटर’ को स्मार्ट मीटर से बदला जाना है।


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