सोबन सिंह गुसांई, ठगी के शिकार सिर्फ वही लोग होते हैं जो या तो जागरुक नहीं हैं या फिर अपने काम तक ही सीमित रहते हैं। यह बात उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने कही।

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डाउनलोड करते समय ली जाती है डाटा एक्सेस अनुमति

उन्होंने कहा कि आजकल हम होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग माल में खरीदारी करते समय अपना नंबर देते हैं। यह नंबर डार्क वेब के माध्यम से साइबर ठगों तक पहुंच जाता है। इसके अलावा हम प्ले स्टोर पर जो एप डाउनलोड करते हैं, उनमें कई असुरक्षित रहते हैं। एप डाउनलोड करते समय डाटा एक्सेस की अनुमति ली जाती है।

हम बिना देखे अनुमति दे देते हैं। इससे फोन क्लोन की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए वही एप डाउनलोड करना चाहिए जो बहुत जरूरी है।

बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट के केस

एसएसपी ने कहा कि आजकल डिजिटल अरेस्ट के केस बढ़ गए हैं। अधिकतर मामलों में पार्सल के नाम पर हाउस अरेस्ट की बात सामने आ रही है। हमें यह सोचना चाहिए कि जब कोई पार्सल भेजा ही नहीं गया तो उसमें अवैध सामग्री कैसे हो सकती है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर में

दूसरी बात यह है कि यदि कोई अवैध पार्सल पकड़ा भी जाता है तो कानूनी दायरे में रहकर कार्रवाई होती है। इसमें कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी रुपये नहीं मांगता। इस तरह के फोन आने पर नजदीकी थाने में संपर्क करें। पीड़ित को पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भरोसा करना होगा।

इस तरह से हो रही ठगी

1- बैंकिंग और वित्तीय आमतौर केवाइसी करवाने के नाम पर लोगों को अनजान नंबरों से फोन काल, एसएमस या ईमेल आते हैं। उनसे उनकी व्यक्तिगत, खाते या लागिन की जानकारी देने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी उन्हें लिंक देकर कोई ऐप डाउनलोड करने के लिए भी मजबूर किया जाता है और ठगी की जाती है।

ऐसे बचें

केवाईसी अपडेट के लिए किसी भी अनुरोध को प्राप्त करने पर अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से सत्यापन या सहायता के लिए संपर्क करें। बैंक या वित्तीय संस्थान का संपर्क नंबर या ग्राहक सेवा फोन नंबर केवल उसकी आधिकारिक वेबसाइट या विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त करें। किसी भी साइबर धोखाधड़ी की घटना में तुरंत अपने बैंक या वित्तीय संस्थान को सूचित करें।

2- निवेश के नाम पर साइबर ठग टेलीग्राम, वाट्सएप पर मैसेज भेजकर शेयर मार्केट में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा देते हैं। शुरुआत में वह कुछ रिटर्न भी करते हैं लेकिन कुछ समय बाद मोटी धनराशि निवेश करवाते हैं और ठगी करते हैं।

ऐसे बचें

इस तरह के मैसेज की सत्यता को अच्छी तरह से जांच लें। यह पता कर लें कि आपकी धनराशि जिस कंपनी में निवेश के लिए लगाई जा रही है वह सेबी में रजिस्टर्ड है भी या नहीं।

3- परिचित बनकर साइबर ठग अज्ञात नंबरों से फोन करके खुद को दोस्त या रिश्तेदार बताकर उनके खाते में रुपये डालने की बात करते हैं। इसके बाद फर्जी मैसेज भेजकर अधिक धनराशि भेजने की बात कहकर झांसे में लेते हुए अपने खाते में रुपये मंगवा लेते हैं।

ऐसे बचें

जिस फोन नंबर से काल आई है उसे अच्छी से सत्यापित कर लें। काल करने वाले नंबर और खाते में रुपये जमा करने वाला मैसेज एक ही नंबर से आए तो सावधान हो जाएं। अंजान लिंक को क्लिक न करें।

4- फर्जी मुकदमे में फंसाने का डरसाइबर अपराधियों ने अब अपराध का नया तरीका अपना लिया है। ये ज्यादातर वाट्सएप पर काल कर लोगों को ठग रहे हैं। इसके लिए पुलिस अधिकारी का वर्दी पहनकर, कहीं का थानेदार बनकर किसी को भी अचानक काल करते हैं।

कहते हैं कि उनका बेटा, पति या अन्य कोई करीबी रिश्तेदार उनके कब्जे में है। उसे दुष्कर्म, मारपीट, हत्या आदि के मामले में पकड़ा गया है। अगर वे छुड़ाना चाहते हैं तो इसके बदले में उन्हें रुपये देने होंगे।

ऐसे बचें

यदि इस तरह से कोई फोन आता है तो संबंधित से पहले बात कर लें। यदि किसी कारण उसका नंबर नहीं लग रहा है तो उसके दोस्तों से बात करें या जिस संस्थान में वह नौकरी करता है वहां पता करें।

5- पार्सल के नाम पर कई बार ठग फोन कर कहते हैं कि आपका पार्सल मुंबई क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया है जिसमें अवैध सामग्री है। इसके बाद खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताने वाला स्काइप एप डाउनलोड करवाता है और कई घंटे तक वीडियो काल पर व्यस्त करके रखता है या फिर डिजिटल अरेस्ट की बात कहता है।

ऐसे बचें

यदि आपने कोई पार्सल नहीं भेजा तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। 92 नंबर से आने वाले फोन को न उठाएं। यदि फोन उठा लिया और व्यक्ति डराता या धमकाता है तो नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत करें।


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