देहरादून की हलचल से कुछ दूर, क्लेमेंट टाउन में स्थित है एक ऐसी जगह, जहाँ समय ठहर सा जाता है। यहाँ ना कोई राजनीतिक भाषण है, ना कोई भागमभाग। यहाँ सिर्फ है – मौन, मंत्र और ममता। हम बात कर रहे हैं माइंड रोलिंग मॉनेस्ट्री, जिसे आमजन बुद्ध मंदिर के नाम से जानते हैं। यह न केवल उत्तराखंड की आध्यात्मिक धरोहर है, बल्कि विश्व बौद्ध आस्था का एक जीवंत प्रतीक भी है। सन् 1959 के बाद जब तिब्बती धर्मगुरु और साधु भारत आए, तब उन्होंने अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए देश के विभिन्न कोनों में बौद्ध मठों की स्थापना की। देहरादून का यह मंदिर 1965 में कोएन रिनपोछे और अन्य लामाओं द्वारा स्थापित किया गया। यह बौद्ध धर्म की न्योमा (Nyingma) परंपरा का मुख्य केंद्र है, जो महायान बौद्ध शाखा की सबसे पुरानी परंपरा मानी जाती है। बुद्ध मंदिर का मुख्य स्तूप, जिसकी ऊँचाई करीब 185 फुट है, पूरे भारत में सबसे ऊँचे स्तूपों में गिना जाता है। इसकी दीवारों पर उकेरे गए अष्टधातु चित्र, तिब्बती भित्तिचित्र (Murals), और सोने की परत से ढंकी बुद्ध प्रतिमा इसे नयनाभिराम बनाती है।पांच मंजिला इस संरचना में हर तल पर बुद्ध के जीवन, धर्मचक्र प्रवर्तन, और निर्वाण की कथाएं चित्रित की गई हैं। मंदिर परिसर में फैले बांस के झुरमुट, पुष्पवाटिका, और ध्यान स्थली मन को एक विलक्षण शांति प्रदान q यह मंदिर केवल एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक केंद्र है। यहां प्रतिदिन: ध्यान सत्र मंत्र जाप तिब्बती ग्रंथों का पठन बौद्ध दर्शन पर प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां आने वाले साधु वर्षों तक रहकर “लुंग” (बौद्ध शास्त्रों का पाठ) और “रिगपा” (बोधि की स्थिति) की साधना करते हैं। — लोक आकर्षण: श्रद्धा और पर्यटन का मिलन बुद्ध मंदिर आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। मुख्य आकर्षण हैं: विशाल बुद्ध प्रतिमा और स्तूप रंग-बिरंगी प्रार्थना चक्र (Prayer Wheels) शांत उद्यान और कमल-ताल तिब्बती पुस्तकालय और ध्यान कक्ष परिसर में स्थित कैफे और हस्तशिल्प बाजार यहां हर वर्ष हजारों पर्यटक, साधक और विदेशी पर्यवेक्षक आते हैं। विशेष रूप से बुद्ध पूर्णिमा और तिब्बती नववर्ष (लोसर) पर हजारों श्रद्धालु यहां एकत्र होते हैं। शिक्षा और संस्कृति: परंपरा की पाठशाला मंदिर परिसर में स्थित Ngagyur Nyingma College में 300 से अधिक छात्र तिब्बती बौद्ध शास्त्रों, संस्कृत, ध्यान और तंत्र विद्या का अध्ययन करते हैं। यह कॉलेज तिब्बती संस्कृति के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। — देहरादून के लिए गौरव बुद्ध मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यटन की दृष्टि से भी देहरादून की पहचान बन चुका है। क्लेमेंट टाउन के लोग इसे “शांति का द्वार” कहते हैं। जहाँ एक ओर देश के कोने-कोने में धार्मिक स्थलों की भीड़ और विवाद हैं, वहीं देहरादून का यह बुद्ध मंदिर हमें मौन में ध्यान, करुणा में शक्ति, और विनम्रता में क्रांति का संदेश देता है। यह स्थान हर उस व्यक्ति को आमंत्रण देता है जो जीवन की भीड़ में भीतर की शांति की तलाश में है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट, संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!

Spread the love

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के क्लेमेंट टाउन क्षेत्र में स्थित है। यह न केवल एक आकर्षक पर्यटन स्थल है, बल्कि आध्यात्मिक साधना और तिब्बती संस्कृति का भी प्रमुख केंद्र है।

हालांकि बुद्ध मंदिर आधुनिक युग में बना है, लेकिन इसका संबंध सीधे गौतम बुद्ध की शिक्षाओं और महायान बौद्ध परंपरा से जुड़ा है। महायान बौद्ध धर्म में यह विश्वास है कि बुद्धत्व की प्राप्ति केवल आत्मकल्याण के लिए नहीं बल्कि समस्त जीवों की मुक्ति के लिए होनी चाहिए। इस मंदिर का निर्माण उस आदर्श को समर्पित है।

तिब्बती परंपरा में, यह मंदिर न्योमा (Ngagyur Nyingma) परंपरा से संबंधित है जो तिब्बती बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है।

आध्यात्मिक महत्व:?यह मंदिर न केवल तिब्बती बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि भारतीयों और विदेशी पर्यटकों के लिए भी ध्यान, शांति और करुणा का केंद्र बन चुका है।यहां प्रतिदिन बौद्ध मंत्रोच्चारण, ध्यान सत्र, और धार्मिक प्रवचन आयोजित होते हैं।यह स्थान शांत वातावरण, सुनियोजित उद्यान, और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है जो मन को शांति और आत्मा को विश्राम देता है।


शिक्षा और संस्कृति:?मंदिर परिसर में Ngagyur Nyingma College है, जहाँ तिब्बती बौद्ध ग्रंथों, तंत्र, और ध्यान पर विशेष अध्ययन किया जाता है।बौद्ध साधु (Lama) यहां वर्षों तक शिक्षा प्राप्त करते हैं।बौद्ध नववर्ष “लोसर” और बुद्ध पूर्णिमा जैसे त्योहार भव्य रूप से मनाए जाते हैं।


देहरादून का बुद्ध मंदिर एक अद्भुत संगम है धर्म, कला, संस्कृति और आत्मिक साधना का। यह स्थल न केवल बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए भी प्रेरणा का केंद्र है जो भीतर की शांति, ध्यान, और बौद्ध करुणा के संदेश की तलाश में है।


Spread the love