इजराइल का हर कदम पर साथ देने वाले अमेरिका ने इस हमले के बाद ईरान को संघर्ष को न बढ़ाने की चेतावनी दी थी, लेकिन ईरान की ओर से एक और हमले के संकेत मिल रहे हैं। वहीं, पिछले शनिवार को हुए इजराइली हमले को लेकर ईरान ने भी अमेरिका पर सवाल उठाए हैं। ईरान ने दावा किया है कि इजराइली विमानों ने अमेरिका द्वारा बनाए गए कॉरिडोर का इस्तेमाल करते हुए ईरान पर हमला किया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा है कि इस हमले के लिए इजराइल ने क्षेत्र के कुछ देशों के हवाई क्षेत्र का भी इस्तेमाल किया।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
ईरान पर इजराइली हमले को लेकर इराक पहले ही यूएन में शिकायत दर्ज करा चुका है, वहीं अब ईरान का कहना है कि हम आधिकारिक तौर पर शिकायत दर्ज कराने के लिए इराकी सरकार के संपर्क में हैं। बुधवार को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा, ‘यहूदी प्रशासन के हमले से पहले मैंने इराक का दौरा किया था, तब इराकी अधिकारियों ने मुझे भरोसा दिलाया था कि वे ईरान पर हमले के लिए अपनी जमीन या हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देंगे।’
अमेरिका ने दिया धोखा ?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका ने ईरान पर हमला करने के लिए इजरायल का साथ दिया या इराक ने धोखा दिया है। दरअसल, अमेरिका ने इराक समेत कई अरब देशों में अपने सैन्य अड्डे बनाए हैं, जिसे लेकर ईरान ने शुरू में इस हमले में अमेरिका के शामिल होने का दावा किया था। आरोप हैं कि इजरायली सेना ने इराक में बने अमेरिकी सैन्य अड्डे का इस्तेमाल कर ईरान पर जवाबी हमला किया है।ईरान के विदेश मंत्री ने इजरायली हमले का अध्ययन करने के बाद जवाब देने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि तेहरान इजरायली हवाई हमले पर कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं देगा, लेकिन वह जवाब देने का अपना अधिकार सुरक्षित रखता है। अराघची ने कहा कि इस हमले के लिए इजरायल को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान को इजरायल की आक्रामकता का जवाब देने का अधिकार है। इस हमले का जवाब इस्लामी गणतंत्र ईरान तय करेगा लेकिन हम किसी और को हमें भावनात्मक प्रतिक्रिया में घसीटने की अनुमति नहीं देंगे।
दूसरी ओर, ईरानी विदेश मंत्री के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की है। आईडीएफ के प्रवक्ता हर्जी हलेवी ने कहा है कि, ‘अगर ईरान अपनी गलती दोहराता है और एक बार फिर इजरायल की ओर मिसाइलें दागता है, तो हम अच्छी तरह जानते हैं कि ईरान तक कैसे पहुंचना है।’ उन्होंने कहा कि अगली बार हम अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करेंगे और ईरान के उन इलाकों को निशाना बनाएंगे, जिन्हें हमने इस बार छोड़ा है। आईडीएफ प्रवक्ता ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि 26 अक्टूबर के हमले में इजरायल ने अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं किया है और उसने अपने कई महत्वपूर्ण ठिकानों को भी निशाना नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे बहुत स्पष्ट कारण है कि हमने इन विकल्पों को भविष्य के लिए बचाकर रखा है, क्योंकि ईरान के साथ संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।