महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने अपने जीवन के माध्यम से अहिंसा, सत्य, करुणा और आत्म-साधना के अद्भुत सिद्धांतों को प्रस्तुत किया। उनकी शिक्षाएं आज भी हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

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यहां जानते हैं उन खास शिक्षाओं के बारे में…

यहां जानें भगवान महावीर की अद्भुत शिक्षाएं:

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]

1. अहिंसा परमो धर्म (Non-violence is the Supreme Religion):

महावीर स्वामी ने सिखाया कि अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। यह केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि विचार, वाक् और कर्म में भी अहिंसा का पालन करना चाहिए।

2. सत्य का महत्व (Truth is Eternal):

उन्होंने कहा, ‘सत्य ही मोक्ष का मार्ग है।’ सत्य बोलना और सत्य पर चलना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।

3. आत्म-संयम और साधना (Self-Discipline and Meditation):

महावीर स्वामी ने आत्म-संयम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘जो अपने आप पर विजय प्राप्त करता है, वही सच्चा विजेता है।’

4. अपरिग्रह का सिद्धांत (Non-possessiveness):

उन्होंने सिखाया कि भौतिक वस्तुओं के प्रति लगाव दुख का कारण बनता है। इसलिए, अपरिग्रह (आसक्ति रहित जीवन) ही सच्चे सुख का मार्ग है।

5. करुणा और सहानुभूति (Compassion and Empathy):

महावीर स्वामी ने हमेशा प्रेम और करुणा के साथ जीने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा, ‘जैसा व्यवहार दूसरों से चाहो, वैसा ही व्यवहार स्वयं करो।’

6. मुक्ति के चार स्तंभ (The Four Pillars of Liberation):

– सम्यक दर्शन

– सम्यक ज्ञान

– सम्यक आचरण

– सम्यक साधना

7. मौन और ध्यान का महत्व (Silence and Meditation):

महावीर स्वामी ने मौन के महत्व को बताया। उन्होंने कहा, ‘मौन ही सबसे बड़ा शक्ति का रूप है।’

महावीर स्वामी के विचारों से क्या प्रेरणा लें : महावीर जयंती के इस शुभ अवसर पर हमें उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और शांति, सच्चाई, और करुणा के संदेश को फैलाना चाहिए। ‘जीवन में सच्चे सुख के लिए अहिंसा, सत्य और आत्म-संयम के मार्ग पर चलें।’


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