शैल सांस्कृतिक समिति (शैल परिषद )के द्वारा 16मार्च रात्रि को गंगापुर रोड स्थित शैली भवन में उत्तराखंड प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए हुए, होलियारो के द्वारा एक के बाद एक होली के गीतों को विभिन्न रागो में गाकर समा बांध दिया ।देर रात तक कार्यक्रम चलता रहा/ इस बैठकी होली की खासियत है कि यह शास्त्रीय रागों पर गायी जाती है और इसमें जमने वाली महफिल देखने लायक होती है. देर रात तक हुलियार बैठकी होली का रंग जमाये  दिनांक 17 मार्च को दोपहर  1:00 बजे  शैल परिषद द्वारा आयोजित महिला होली का आयोजन किया जाएगा /क्या कुछ कहा शैल परिषद के संरक्षक, अध्यक्ष, महामंत्री ने हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की यह रिपोर्ट/ पहाड़ियों में चढ़ने लगा गुलाल का रंग, बैठकी होली का दौर शुरू।पहाड़ों  में होली को होरी, और होरी खेलने वालों को होल्यार, कहा जाता है/ शैल सांस्कृतिक समिति रुद्रपुर

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जब एक स्थान से कोई संस्कृति दूसरे स्थान पर जाती है तो वह धीरे-धीरे वहाँ की विशेषताओं को भी अपने में समेटते हुए वहाँ की हो जाती है। कुमाऊँ की होली में भी ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है।
महासचिव: दिवाकर पांडे

. शैल सांस्कृतिक समिति रुद्रपुर के महासचिव एडवोकेट दिवाकर पाण्डे । बयान जारी कर कहा। कि गांवों में तो आज भी बैठकी होली देखने को मिलती है, लेकिन शहरों में बैठकी होली खत्म सी हो गई है, जिसे जीवंत रखने का प्रयास किया जा रहा है।शैल परिषद रुद्रपुर द्वारा होली के पारंपरिक गीतों को शहरों तक पहुंचाने की कोशिश बैठकी होली के आयोजनों से की जा रही है. ।

अध्यक्ष: गोपाल सिंह पटवाल

शैल परिषद के अध्यक्ष गोपाल सिंह पटवाल द्वारा कि, आज के युवा बैठकी होली से दूर हैं, ऐसे में होली के ठेठ पहाडी गीतों व परम्परा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिये इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन शैल सांस्कृतिक समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष रुद्रपुर के शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है. जिनमें नई पीढ़ी भी प्रतिभाग कर रही है। ओर अपनी जडो को पहचान रही है.

संरक्षण: भरत लाल साह

होली के पारंपरिक गीतों को संजोने का प्रयास, शैल परिषद के संरक्षक भारत लाल शाह कहते हैं कि होली के रंगों के साथ होली गीतों का भी महत्व है. ये बंसत को दर्शाते हैं, ये गीत उल्लास के प्रतीक हैं. कहते हैं कि होली के पारंपरिक गीतों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना नितांत आवश्यक है. पहले हमारे जमाने में रातभर आग जलाकर उसके चारों ओर बैठ होली के गीत गाए जाते थे। लेकिन अब स्वरूप बदल रहा है. किंतु पहाड़ की परंपराओं को जीवित रखने की नितांत आवश्यकता है.

शैल परिषद की बैठकी होली की महफ़िल का समापन पर आशीर्वाद राग, भैरवी की हो मुबारक मंजरी फूल भरी ऐसी होली खेलें जनाब अली गाकर किया गया ।

।होली गायकी का यह क्रम अनवरत पूरी रात चलते हुए प्रात:4बजे राग भैरवी से बैठकी होली का समापन हुआ।
👉तबले और हारमोनियम पर क्रमश प्रभात शाह,धर्नीधर पाण्डे, चंद्रेश पन्त ,दिवाकर पांडेय, चित्रेश त्रिपाठी, बसंत बिष्ट, संदीप गोरखा आदि की संगत दी और उनकी थिरकती उंगलियों ने दर्शकों को नाचने के लिए मजबूर कर दिया ।
इस अवसर पर-
शैल सांस्कृतिक समिति (शैल परिषद)के संरक्षक श्री भारत लाल शाह ,अध्यक्ष गोपाल सिंह पटवाल, महामंत्री दिवाकर पांडे ,कोषाध्यक्ष डीo के,दनाई, सतीश ध्यानी, मोहन सिंह बिष्ट, अवतर सिंह बिष्ट,राजेंद्र बोरा, दिनेश बम, मोहन उपाध्याय, हरीश मिश्रा,दिनेश भट्ट,कीर्ति निधि शर्मा, हरीश दनाई ,मनोज शर्मा,डी एस मेहरा ,महेश कांडपाल, जगदीश बिष्ट, राजेंद्र बलौदी, संजीव बुधौरी ,धीरज पांडे ,गगन काण्डपाल , नरेन्द्र रावत,अतुल पाण्डे, त्रिभुवन जोशी, अवतार सिंह सतीश लोहनी,भास्कर जोशी, ललित दुम्का, त्रिलोचन पनेरू, उत्तम सिंह रावत, के एन जोशी, धीरज गोस्वामी, देव मथेला, लक्ष्मी दत्त जोशी, सहित सैकड़ौ की मौजूदगी रही।
विशेष उपस्थिति -निवर्तमान मेयर रामपाल सिंह,पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु,पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डा0एल एम0उप्रेती आदि
मात्र शक्ति-दुर्गा शाह,गीता भट्ट, सुधा पटवाल,विनीता पांडे,सुनीता पांडे, सरिता उपाध्याय,किरन बोरा,चंदा बम, आशा लोहनी, गीता भट्ट,नीलम कांडपाल,गीता बिष्ट आदि थे।

लोकप्रिय होलियार
धर्नीधर पांडे( हुक्का क्लब अल्मोड़ा) ,संजय जोशी हल्द्वानी,
प्रभात शाह अल्मोड़ा, कमल जोशी हल्द्वानी ,चंद्रेश पंत,नरेंद्र पंत, संदीप गोरखा, ललित मास्साब, के सी त्रिपाठी ,गणेश पंत, कैलाश जोशी चंद्रेश पंत, हेमंत त्रिवेदी, नरेश चम्याल, चंदू जोशी ,राजेंद्र कोठारी, संदीप गोरखा, मोरन्ग महाराज, मोहित उपाध्यक्ष बसंत बिष्ट आदि थे।

राग भैरवी से बैठक की होली का समापन हुआ।
संचालन परिषद महामंत्री एडवोकेट दिवाकर पांडे जी ने किया।


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