चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी सेना पीएलए के लिए 10 लाख आत्मघाती ड्रोन खरीदने का आर्डर दिया है. ये आत्मघाती ड्रोन चीनी सेना को 2026 तक मिल जाएगी. बता दें कि ड्रैगन के इस महाआर्डर की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है.

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ये वही ड्रोन है जिसने आर्मेनिया-अजरबैजान से यूक्रेन-रूस युद्ध तक में तबाही मचाई है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

दुनिया ने पहली बार नागोर्नो काराबाख की लड़ाई में कामीकाजी ड्रोन हमले को देखा था. वहीं अब चीन इसकी तैयारी कर रहा है. ड्रोन के इस महाआर्डर से उसके इरादे साफ नजर आ रहे हैं कि चीन अब आधुनिक युद्ध में इसका इस्तेमाल करने वाला है. जहां एक ओर चीन बड़े पैमाने पर युद्ध की तैयारी में जुटा है, वहीं भारत अभी संख्या और तकनीक के मामले में काफी पीछे है.

इस ड्रोन की खासियत यह है कि यह युद्ध की दिशा और दशा बदलने की ताकत रखता है. हाल ही में हूती, हिज्बुल्लाह और ईऱान ने इजरायल के खिलाफ जमकर ड्रोन हमले किए थे, जिससे इजरायल को काफी नुकसान हुआ था.

चीन के इस कदम की दुनियाभर में चर्चा

चीन द्वारा ड्रोन को लेकर दिए गए इतने बड़े आर्डर के बाद पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है. ये विस्फोटक ड्रोन मिसाइलों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं. हालांकि चीन ने ड्रोन का इतना बड़ा आर्डर क्यों दिया है, अभी इसके बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है.

विश्लेषकों का मानना है कि चीन ताइवान के साथ युद्ध के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहा है. वहीं दूसरी ओर चीन के किलर ड्रोन भारत के लिए खतरा बन सकते हैं. चीनी निर्माता कंपनी ने कहा कि वह अपने घरेलू मांग पर फोकस कर रही है.

कामीकाजी ड्रोन की दौड़ में भारत काफी पीछे

जहां एक ओर चीन जासूसी, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और सटीक हमला करने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है. वहीं भारत ने नागास्त्र नाम से आत्मघाती ड्रोन को शामिल किया है. इस स्वदेशी कामीकाजी ड्रोन का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. फिर भी चीन के मुकाबले भारत कामीकाजी ड्रोन की दौड़ में अभी काफी पीछे है.

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