उत्तरकाशी की विनाशलीला: बादल फटने से धराली में मची तबाही, SDRF-NDRF और सेना बचाव में जुटी

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उत्तरकाशी की विनाशलीला: बादल फटने से धराली में मची तबाही, SDRF-NDRF और सेना बचाव में जुटी

विशेष रिपोर्ट | 5 अगस्त 2025 | उत्तरकाशी, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी तहसील अंतर्गत धराली गाँव एक भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। अपराह्न लगभग 1:50 बजे खीर गाढ़ क्षेत्र में जलस्तर अचानक बढ़ने और भारी मलबा आने के कारण धराली बाजार में कई भवन, होटल और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गए। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, जानमाल के नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है।

घटनास्थल की स्थिति गंभीर?स्थानिय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पानी और मलबा इतनी तेजी से आया कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। कुछ सेकंडों में ही कई दुकानें, होटल और आवासीय भवन बह गए। आसपास का इलाका भयावह रूप ले चुका है और आपदा की विभीषिका स्पष्ट दिख रही है।

बचाव और राहत कार्य जारी?राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) द्वारा जारी सूचना के अनुसार:

  • SDRF, NDRF एवं सेना को राहत और बचाव कार्यों के लिए सक्रिय कर दिया गया है।
  • एयरफोर्स से मदद के लिए रिक्विजिशन भेजा गया है ताकि हवाई बचाव कार्य शीघ्र आरंभ हो सके।
  • पुलिस बल मौके के लिए रवाना हो चुका है
  • एम्स देहरादून और अन्य प्रमुख अस्पतालों में बेड आरक्षित कर दिए गए हैं
  • एम्बुलेंस सेवाएं घटनास्थल की ओर भेज दी गई हैं

हेल्पलाइन नंबर जारी?राज्य और जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र द्वारा नीचे दिए गए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं:

जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र (उत्तरकाशी)

  • 📱 01374-222722
  • 📱 7310913129
  • 📱 7500737269
  • ☎️ टोल फ्री: 1077
  • ☎️ ई.आर.एस.एस. (आपातकालीन सेवा): 112

👉 राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र (देहरादून)

  • 📱 0135-2710334
  • 📱 0135-2710335
  • 📱 8218867005
  • 📱 9058441404
  • ☎️ टोल फ्री: 1070
  • ☎️ ई.आर.एस.एस.: 112

मृतक और घायलों की आधिकारिक संख्या अभी प्रतीक्षित है, जिसे जिलाधिकारी कार्यालय और राज्य आपदा प्राधिकरण की ओर से अलग से साझा किया जाएगा।

भविष्य की तैयारी और चेतावनी प्रणाली पर सवाल?यह आपदा एक बार फिर उत्तराखंड में आपदा पूर्व चेतावनी व्यवस्था और पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते अनियोजित विकास कार्यों पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी जैसे संवेदनशील ज़िलों में मानसून के दौरान ऐसे हादसे आम हो चले हैं, परंतु स्थायी समाधान की दिशा में प्रशासन की तैयारी सीमित ही दिखती है।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया?यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रशासन) श्री आनंद स्वरूप ने कहा कि “स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। राहत कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। विस्तृत जानकारी जल्द साझा की जाएगी।”


सम्पादकीय टिप्पणी: “बार-बार चेतावनी, फिर भी तैयार नहीं क्यों?”उत्तराखंड की भूगोलिक संवेदनशीलता कोई नई बात नहीं है। लेकिन हर साल की बारिश, हर बार की आपदा, हर बार की अफरातफरी—प्रशासन की आपातकालीन व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करती है। राज्य बनने के 25 वर्षों बाद भी यदि एक पहाड़ी गाँव को समय रहते अलर्ट नहीं दिया जा सकता, तो यह केवल ‘प्राकृतिक आपदा’ नहीं बल्कि प्रशासनिक विफलता भी कही जाएगी।हमें चाहिए केवल मलबा हटाने वाली मशीनें नहीं, बल्कि आपदा पूर्व चेतावनी, सतत निगरानी, तकनीकी निवेश, और जनसहभागिता पर आधारित ठोस आपदा प्रबंधन नीति। वरना खीरगाड़ जैसे हादसे कल चोपता, औली या मुन्स्यारी में भी दोहराए जा सकते हैं।


रिपोर्ट: अवतार सिंह बिष्ट | विशेष संवाददाता
हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स



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