पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का विवाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के दरबार तक पहुंचा,हल्द्वानी,पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है,6 फरवरी 2024 को एक तरफा पत्र जारी कर हुकम सिंह कुंवर को पद मुक्त करने का पत्र जारी किया गया था,इसके बाद हुकम सिंह कुंवर सहित समाज के वरिष्ठ लोगों ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज़ की थी,जिलाधिकारी ,नगर मजिस्ट्रेट,उपजिलाधिकारी,उपनिबंधक कार्यालय से अलग अलग इसकी जांच चल रही है,12 मार्च 2024 को मंच के अध्यक्ष महामंत्री ने हुकम सिंह कुंवर को मंच मैं बुलाकर एक परिवार विशेष व गैर समाज को लेकर घेरने व उनके साथ अभद्रता करने की शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक से की गई थी इसकी भी जांच चल रही है,अब इस पूरे प्रकरण को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान मैं लाया गया है, विगत दिनों हल्द्वानी मैं मुख्यमंत्री को एक पत्र देकर पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच की पूरी जांच व इसके विधिवत चुनाव कराने की मांग की थी,पत्र मैं हुकम सिंह कुंवर,डॉक्टर केदार पलड़िया,पृथ्वी पाल रावत,डॉक्टर बालम सिंह बिष्ट,बृज मोहन सिजवाली,पंकज सुयाल,रमेश जोशी ,जगमोहन चिलवाल,आदि के हस्ताक्षर है,हुकम सिंह कुंवर ने कहा कि वह 1982 से पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच से जुड़े हैं,छात्र संघ उपाध्यक्ष रहते अपने 122 साथियों के साथ जेल भी गए थे,मंच की शिलापट पर सभी का नाम अंकित है,अब मंच मैं उन लोगों का कब्जा हो गया है जिनका मंच के लिए कोई योगदान नहीं था,एक परिवार विशेष के लोग उस पर कब्जा जमाए रखना चाहते हैं,हमने हमेशा मंच मैं पारदर्शिता की बात की इसी कारण मुझे एक तरफा पद मुक्त कर दिया,उन्होंने कहा मुझे पद की कोई लालसा नहीं है,पूरी कार्यकारणी भंग कर आम सभा बुलाकर चुनाव कराए जाएं,उन्होंने कहा मेरे लड़ाई व्यक्तिगत नही है,मैं मंच को कुछ लोगों के चुंगल से मुक्त कराना चाहता हूं,डॉक्टर महेंद्र पाल,हरीश मेहता,भुवन जोशी,किरन पांडे, एन बी गुणवंत, हेमंत बगड़वाल, लक्ष्मण सिंह लमगरिया की मध्यस्ता भी स्वार्थों के कारण व्यर्थ हो गई,उन्होंने कहा कि मंच को मुक्त कराने की लड़ाई अंतिम समय तक लड़ी जाएगी,

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