


बैठक में यूसीसी से जुड़े सभी प्रमुख पहलुओं पर चर्चा हो चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, समिति ने शाह को रिपोर्ट पूरी तरह से तैयार होने की जानकारी दी। नई दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यूसीसी रिपोर्ट जल्द सौंपे जाने के संकेत दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को मुख्यमंत्री धामी ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मुलाकात में यूसीसी पर भी चर्चा हुई। इसके बाद यूसीसी की विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी शाह से मिले। Hindustan Global Times, Avtar Singh Bisht, journalist from Uttarakhand
समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) ने शाह को ड्राफ्ट रिपोर्ट के सभी प्रमुख प्रावधानों की जानकारी दी। समिति की ओर से बताया गया कि ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार है। समिति के एक सदस्य ने शाह से मुलाकात की पुष्टि की। उन्होंने संकेत दिए कि रिपोर्ट अक्तूबर आखिर या नवंबर महीने के पहले हफ्ते तक कभी भी सरकार को सौंपी जा सकती है।


पांच राज्यों के चुनाव के लिहाज से खास मायने
उत्तराखंड में यूसीसी की दिशा में बढ़ाए जा रहे कदम के सियासी मायने भी टटोले जा रहे हैं। ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने और राज्य में इसे लागू करने के लिए अचानक आई तेजी को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि यूसीसी बेशक उत्तराखंड में लागू होगा, लेकिन असर पांच राज्यों के चुनाव में भी दिखाया जा सकता है। धामी सरकार का यूसीसी लागू करने का चुनावी वादा है।
कार्यकाल बेशक बढ़ाया, पहले आ जाएगी रिपोर्ट
27 सितंबर को विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सरकार ने उसका कार्यकाल चार माह बढ़ा दिया था, लेकिन समिति इससे काफी पहले ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। पहले 31 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना थी।
शीतकालीन सत्र में पटल पर आ सकता यूसीसी
सूत्रों का कहना है कि धामी सरकार रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद उसका विधिक परीक्षण कराने के साथ राज्य में समान कानून की व्यवस्था लागू करने के लिए बिल विधानसभा में पेश कर सकती है। चर्चा तो यह भी है कि राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण विधेयक के साथ विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी भी आ सकता है।
महिलाओं, बच्चों और लैंगिक समानता पर जोर
समिति की अध्यक्ष भी पूर्व में यह कह चुकी हैं कि यूसीसी ड्राफ्ट में महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता पर फोकस होगा। मनमानी और भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास होगा।
यूसीसी में ये खास प्रावधान हो सकते
- महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष।
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
- लिव-इन जोड़ों को अपने फैसले के बारे में अपने माता-पिता को सूचित करना होगा
- हलाला और इद्दत की प्रथा बंद होगी। बहुविवाह (एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा) भी गैरकानूनी होगा।
- पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक दिया जाएगा।
- मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश हो सकती है।
यूसीसी प्रक्रिया तेजी से आगे चल रही है। विशेषज्ञ समिति के लोग अपना काम कर रहे हैं। जल्द ही संभावना है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट हमें प्राप्त हो जाएगी।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
