श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है. हरियाली अमावस्या सावन की पहली अमावस्या कहलाती है. वातावरण में हरियाली होने के कारण इसको हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है.

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इस दिन दान, ध्यान और स्नान का विशेष महत्व है. इसके अलावा, इस दिन विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पौधे भी लगाए जाते हैं. इस तिथि को पौधों के माध्यम से सम्पन्नता और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि हरियाली अमावस्या के दिन शिवजी की कथा सुनना बहुत ही खास माना जाता है.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर ,उत्तराखंड

बहुत समय पहले की बात है, एक प्रतापी राजा का शासन था, जिनका एक बेटा और बहू थी. एक दिन बहू ने चोरी-छुपे मिठाई खा ली और दोष चूहे पर मढ़ दिया. चूहा इस आरोप से बेहद क्रोधित हुआ और उसने बदला लेने की ठान ली. एक दिन, जब राजा के यहां कुछ मेहमान आए हुए थे और राजा के कमरे में सो रहे थे, तो चूहे ने रानी की साड़ी चुपके से वहां रख दी. सुबह जब मेहमानों की नींद खुली और उन्होंने रानी की साड़ी देखी, तो सभी हैरान रह गए. राजा को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल दिया.

अब रानी हर शाम दिया जलाकर ज्वार उगाने का काम करती और पूजा के बाद गुड़धानी का प्रसाद बांटती. एक दिन, राजा उसी रास्ते से गुजरे और उन्होंने उन दीयों की रौशनी देखी. महल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल में जाकर वहां की जांच करने का आदेश दिया. सैनिक जब उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि दीये आपस में बातें कर रहे थे, अपनी-अपनी कहानियां साझा कर रहे थे. एक शांत से दीये से सभी ने उसकी कहानी पूछी. उस दीये ने बताया कि वह रानी का दीया है और उसने सारी घटना विस्तार से सुनाई. उसने बताया कि रानी ने मिठाई चोरी कर आरोप चूहे पर लगा दिया था, उसके बाद चूहे ने रानी से बदला लेने के लिए उसकी साड़ी राजा के कमरे में जाकर रख दी लेकिन रानी इस बार रानी बेकसूर थी लेकिन फिर भी उसे महल से बाहर निकाल दिया गया था फिर भी वह सजा भुगत रही है. सैनिकों ने सारी बात राजा को बताई. राजा ने रानी को वापस महल बुलवाया, जहां रानी फिर से खुशी-खुशी रहने लगी.

हरियाली अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है. आप घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. सूर्य देव को अर्घ्य दें. ऐसा माना जाता है कि हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटने से जीवनसाथी को लंबी उम्र मिलती है और घर में खुशियां भी आती हैं. हरियाली अमावस्या के दिन भक्त पीपल और तुलसी के पेड़ों की भी पूजा करते हैं और परिक्रमा करते हैं. इस दिन मालपुआ को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा है. इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है.


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