
भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन विपक्ष से समझौते के मूड में नहीं दिख रहा है. ऐसे में अगर लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की नौबत आती है तो 72 साल से चली आ रही परपंररा टूट जाएगी, क्योंकि आजादी के बाद से सर्वसम्मति से स्पीकर का चुनाव होता रहा है.


संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है. सांसद अपने में से दो सांसदों को सभापति और उपसभापति चुनते हैं. आम तौर पर सत्तापक्ष लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखता है जबकि उपसभापति का पद विपक्षी दल को दिया जाता है. अब तक लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता आया है और स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस पद के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ है. हालांकि, इस बार सत्तापक्ष उपसभापति का पद विपक्ष को देने के मूड में नहीं है. बीजेपी लोकसभा अध्यक्ष पद अपने पास रखने की तैयारी में है जबकि उपाध्यक्ष के पद को एनडीए के सहयोगी दल को देना चाहती है.
लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की मांग पर अड़ा विपक्ष
लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की मांग पर अड़े विपक्षी इंडिया गठबंधन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसी विपक्षी नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं हुई तो वे लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाती है तो फिर सर्वसम्मति से स्पीकर को चुने जाने की परंपरा टूट जाएगी और मतदान के जरिए लोकसभा नए अध्यक्ष का चुनाव होगा.
18वीं लोकसभा के स्पीकर के लिए मंगलवार दोपहर 12 बजे से नामांकन होना है. इसके साथ विपक्ष और सत्तापक्ष के उम्मीदवारों का पता चल सकेगा. साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि अध्यक्ष के लिए आम सहमति की परंपरा कायम रहेगी या टूट जाएगी. विपक्ष अगर स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारती है तो फिर परंपरा बनी रहेगी, लेकिन जिस तरह से विपक्ष उपाध्यक्ष पद की मांग पर अड़ा है, उसके चलते लगता है कि इस बार वोटिंग के जरिए ही चुनाव होंगे. लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत के ज़रिए किया जाता है. यानी जिस उम्मीदवार को उस दिन लोकसभा में मौजूद आधे से ज़्यादा सांसद वोट देते हैं, वह लोकसभा अध्यक्ष बनता है.
सहयोगी दलों के साथ बीजेपी का सरकार
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन इस बार सहयोगी दलों के सरकार सरकार बनाने में कामयाब रही है. 16वीं-17वीं लोकसभा में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत था. बीजेपी ने अपनी नेता सुमित्रा महाजन को 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनाया था और उपाध्यक्ष का पद एआईएडीएमके को दिया था. एमथम्बी दुरई इस लोकसभा के उपाध्यक्ष थे. इसके बाद 2019 में बीजेपी के ओम बिरला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष बने थे, लेकिन लोकसभा में उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ और पूरे कार्यकाल तक यह पद खाली रहा. इस बार विपक्ष उपाध्यक्ष के पद के लिए अड़ा हुआ है.
बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी ने टीडीपी और जेडीयू की मदद से एनडीए सरकार बनाई. इसीलिए चर्चा है कि लोकसभा अध्यक्ष का पद बीजेपी अपने पास रखेगी या सहयोगी दलों को देगी. माना जा रहा है कि उपाध्यक्ष का पद टीडीपी को दे सकती है. वहीं, इंडिया गठबंधन ने तय किया है कि उपाध्यक्ष पद विपक्ष को नहीं मिला तो वो अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. सोमवार को गठबंधन के सभी दलों में इस पर सहमति बन गई है. विपक्ष को बीजेपी के जवाब का इंतजार है.
‘विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं’
मोदी सरकार के लोगों का कहना है कि विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं है. यह परंपरा है, जिसको तोड़ने की शुरुआत कांग्रेस ने की है. दूसरी लोकसभा में पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के दौरान कांग्रेस के ही हुकुम सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई थी. गठबंधन सरकार के दौरान कई बार सरकार की अगुवाई करने वाले पार्टियों ने अध्यक्ष पद सहयोगी को देते हुए उपाध्यक्ष पद अपने पास रखा है.
अब तक सर्व सम्मति से चुने गए स्पीकर
आजादी के बाद पहली लोकसभा के स्पीकर चुने गए गणेश वसुदेव मावलंकर से लेकर 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे ओम बिरला सर्व सम्मति से चुने गए है. लोकसभा में उन सांसदों को स्पीकर का पद भी दिया गया है जो पहले सत्तापक्ष से नहीं थे.12वीं लोकसभा की अध्यक्षता टीडीपी के बालयोगी ने की जबकि उस समय बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. बालयोगी 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था. लेकिन इसी पद पर रहते हुए उनकी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद शिवसेना सांसद मनोहर जोशी 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे.
मनमोहन सिंह नेतत्व वाली पहली यूपीए सरकार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बाहरी समर्थन दिया था, तब सीपीआई (एम) नेता सोमनाथ चटर्जी लोकसभा के अध्यक्ष बने थे. 2009 से 2014 तक 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालने वाली पहली महिला थीं. उनके बाद बीजेपी की सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनीं. देश में अभी तक स्पीकर के लिए वोटिंग की नौबत नहीं आई है, लेकिन इस बार इस लोकसभा में डिप्टी स्पीकर पद पाने के लिए विपक्ष आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है. हालांकि, विपक्ष को इस बात का भी पता है कि स्पीकर और डिप्टीस्पीकर के मामले में संख्या बल सरकार के साथ है. ऐसे में वह अध्यक्ष पद पर चुनाव के जरिए शक्ति प्रदर्शन दिखाना चाहता है. ऐसे में देखना है कि किस तरह का रास्ता निकलता है?
यहां देखिए संसद सत्र की पूरी टाइमलाइन
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25 जून- नव निर्वाचित सांसदों की शपथ
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26 जून- लोकसभा स्पीकर का चुनाव
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27 जून- संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण
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28 जून- संसद में मंत्रिपरिषद सदस्यों का परिचय सत्र, पीएम मोदी कराएंगे परिचय
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29 जून- अवकाश
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30 जून- अवकाश
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1 जुलाई- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
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2 जुलाई- पीएम मोदी बहस पर दे सकते हैं जवाब
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3 जुलाई- पीएम मोदी का जवाब
