जिले में सिविल, पंचायती वनों में आग लगने की 74 घटनाएं हुई हैं। इनमें 115.25 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। आरक्षित वन में हुई 37 घटनाओं में 51.95 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। आग की बढ़ती घटनाओं से वन विभाग के साथ ही प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया।
प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए विभाग को पांच टुकड़ी होमगार्ड और इतनी ही पीआरडी जवानों की टुकड़ी मिली है। एक टुकड़ी में पांच-पांच जवान हैं। आपदा प्रबंधन के तहत वाहन उपलब्ध कराया गया है। साथ ही इंसीटेंट रिस्पांस टीम बनाई गई है। साथ ही लोगों से वनों में आग लगने पर उसे बुझाने का अनुरोध किया जा रहा है। प्रशासन ने एक सप्ताह तक कूड़ा अपशिष्ट और पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद भी जंगलों की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। बीती रात टकाड़ी के जंगल में विकराल आग लग गई जो महाकाल के जंगल तक पहुंच गई। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बमुश्किल आग पर काबू पाया। जंगल से सुबह तक भी धुंआ उठता रहा।
उधर अस्कोट क्षेत्र के खोलिया गांव धुराचौर निवासी सरस्वती देवी के मकान के पास आग पहुंच गई। आग से घास के दो ढेर भस्म हो गए। परिजनों ने बमुश्किल आग पर काबू पाया। वन क्षेत्राधिकारी बालम सिंह अलमिया ने बताया कि पीड़ित को आपदा राहत के तहत मुआवजा दिया जाएगा। बताया कि आग की घटनाओं पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पकड़े जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
घरों की छतों और बरामदों में राख ही राख
रविवार की रात पिथौरागढ़ नगर से सटे टकाड़ी के जंगल में भीषण आग धधकी। रात भर आग लगने से धुआं और राख हवा में फैल गया। जीआईसी और सरस्वती विहार कालोनी के घरों के बरामदे और छतों में सोमवार की सुबह राख ही राख फैली नजर आई।